कर्नाटक क्वार्टल की प्रस्तुति : वाद्यों की जुगलबंदियों ने बिखेरी मिश्री सी मिठास
दूसरे दिन की शुरुआत भी कर्नाटक संगीत से शुरू हुई
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन की शुरुआत भी कर्नाटक संगीत से शुरू हुई।
जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन की शुरुआत भी कर्नाटक संगीत से शुरू हुई। मॉर्निंग म्यूजिक के तहत आज की प्रस्तुति चार युवा संगीतज्ञों के समूह कर्नाटक क्वार्टल्स ने दी। इस समूह में श्रेया देवनाथन वायलिन एमलय एम कार्तिकेयन नागस्वरम, प्रवीण स्पर्श मृदंगम व अड्यार जी सिलमरासन थाविल बजाते हैं। ये चारों ही वाद्य दक्षिण भारतीय संगीत की परंपरा की अलग-अलग शैलियों में प्रचलित हैं। कार्यक्रम की शुरुआत टेम्पल म्यूजिक में प्रयुक्त राग मल्लारी की जुगलबंदी से की। मंदिर परिसरों में विभिन्न पवित्र धार्मिक आयोजनों के समय बजाए जाने वाला मल्लारी राग नागस्वरम और थाविल पर प्रस्तुत किया जाता है।
उनकी दूसरी पेशकश थी सुबह के राग अहीर भैरव में संगीतबद्ध स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्र की संस्कृत रचना पीब रे राम रसम रसने एजनन मरण भय शोक विदूरम....की रही। बाद में उनके शिष्यों द्वारा कुछ अन्य नॉटुस्वरम जोड़े गए, जो मूल विचार और उद्देश्य का पालन करते हैं। अगली पेशकश थी रबींद्र संगीत में रचित अमार मल्लिका बानो जाखोन, जिसमें कर्नाटक वाद्य यंत्रों के साथ रबींद्र संगीत का मिश्रण बेहद मीठा बन पड़ा। सुबह की अंतिम प्रस्तुति रही राग देश तिलाना में पद्मश्री लालगुड़ी जयरामम की संगीतबद्ध रचना जिसे प्राय: भरतनाट्यम की प्रस्तुति के दौरान बजाया जाता है।
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