कांग्रेसी नेताओं का दोहरा चरित्र : दादी शब्द पर बिना वजह राजनीति कर विपक्ष सदन की गरिमा को भूला, राठौड़ ने कहा - जनता ने उन्हें पहचाना

एक परिवार की चापलूसी से ऊपर उठ ही नहीं पा रहे हैं

कांग्रेसी नेताओं का दोहरा चरित्र : दादी शब्द पर बिना वजह राजनीति कर विपक्ष सदन की गरिमा को भूला, राठौड़ ने कहा - जनता ने उन्हें पहचाना

कांग्रेसी नकारात्मक सोच के साथ सदन में बैठे हैं, उन्हें सदन में जनता के मुद्दों पर सत्ता पक्ष से बहस करनी चाहिए थी, लेकिन वो एक परिवार की चापलूसी से ऊपर उठ ही नहीं पा रहे हैं। 

जयपुर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कांग्रेसी नेताओं द्वारा दादी शब्द पर बिना वजह राजनीति करने पर कहा कि प्रदेश में विपक्ष सदन की गरिमा को भूल गया। एक ओर बजट सत्र के दौरान सदन में बाधा डालने का काम किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सदन से बाहर कांग्रेस प्रदर्शन करके जनता को परेशान कर रही है। इतना ही नहीं, कांग्रेसी नेता दोहरी नीति अपना रहे है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने एक ओर विधानसभा स्पीकर के कक्ष में जाकर गतिरोध दूर करने के लिए सहमति जताई, लेकिन सदन में जाकर अपनी ही बात से मुकर गए। इससे इनका दोहरा चरित्र उजागर होता है। कांग्रेसी नकारात्मक सोच के साथ सदन में बैठे हैं, उन्हें सदन में जनता के मुद्दों पर सत्ता पक्ष से बहस करनी चाहिए थी, लेकिन वो एक परिवार की चापलूसी से ऊपर उठ ही नहीं पा रहे हैं। 

राठौड़ ने कहा कि हमारे समाज में दादा-दादी, नाना-नानी सम्मानजनक शब्द हैं और ये शब्द हमारे परिवार में आदर के रूप में संबोधित किए जाते हैं। ऐसे में आपकी दादी शब्द पर सदन का बहिष्कार करना, सदन में आसन की ओर चढ़ने का प्रयास करना एक अच्छे विपक्ष का कार्य नहीं है। विपक्ष भाजपा सरकार की ओर से पेश किए गए शानदार और बेमिसाल बजट के बाद से ही घबराया हुआ है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने और वित्त मंत्री दीया कुमारी ने बजट में हर वर्ग को, हर समुदाय को और समाज के अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति तक के लिए योजनाओं का पिटारा खोला है। इससे बौखलाकर विपक्ष बिना वजह हंगामा कर रहा है। सदन में विपक्ष का यह रवैया सही नहीं।

मदन राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस हमेशा दोहरा चरित्र अपनाती है। कांग्रेसी नेता चुनाव के दौरान जनता को झूठ बोलकर गुमराह करते है और झूठे वादे करते हुए रेवड़ियां बांटने का काम करते हैं लेकिन प्रदेश की जनता कांग्रेसियों के मंसूबे पहचान चुकी है। इसके चलते वो सत्ता से बाहर है और उपचुनावों में भी अपनी सीटें गवाते जा रहे हैं। प्रदेश की जनता ने भाजपा पर विश्वास जताया तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने उनके विश्वास पर खरा उतरने का प्रयास किया। 

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