लोकसभा चुनाव 2024 : पिछली दो हार से सबक लेगी कांग्रेस, इस बार युवा-अनुभवी के फॉर्मूले से जीत की आस
तीन श्रेणी में बांटी सीटें
लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में खाता भी नहीं खोल पाने के मलाल वाली कांग्रेस इस बार राजस्थान में एक दर्जन सीटों पर पक्की जीत के लिए दम झोंकेंगी।
जयपुर। लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में खाता भी नहीं खोल पाने के मलाल वाली कांग्रेस इस बार राजस्थान में एक दर्जन सीटों पर पक्की जीत के लिए दम झोंकेंगी। भाजपा की रणनीति को टक्कर देने के लिए इस बार लोकप्रिय युवा और अनुभवी नेताओं को मैदान में उतारने की रणनीति बनाई जा रही है। इस बार की चुनौतियों से पार पाने के लिए उन सीटों पर सबसे ज्यादा फोकस किया जा रहा है, जहां कांग्रेस के विधायक और परपंरागत वोट बैंक ज्यादा हैं। बहरहाल, नया फॉर्मूला सफल होने का लोकसभा चुनाव परिणाम का बात ही पता चलेगा, लेकिन इस बार कांग्रेस बड़ी जीत के इरादे से मैदान में उतरेगी।
तीन श्रेणी में बांटी सीटें
जीत की जद्दोजहद में जुटी कांग्रेस रणनीति के तहत सर्वे के आधार पर 25 सीटों को तीन श्रेणी में बांटा है। ए श्रेणी में नौ, बी श्रेणी में पांच और सी श्रेणी में 11 सीटें रखी हैं। कांग्रेस सबसे ज्यादा मजबूत मान रही ए श्रेणी में डूंगरपुर-बांसवाडा, नागौर, सीकर, झुंझुंनू, दौसा, टोंक-सवाईमाधोपुर, चुरू, करौली-सवाईमाधोपुर और गंगानगर सीट, बी और सी श्रेणी में उन सीटों को रखा गया है, जहां विधानसभा में पार्टी का औसत या कमजोर प्रदर्शन रहा। बी श्रेणी में जयपुर देहात, कोटा-बूंदी, जालोर-सिरोही, अलवर और भरतपुर तथा सी श्रेणी में जयपुर शहर, पाली, राजसमंद, उदयपुर, अजमेर, चित्तौडगढ़, भीलवाड़ा, बीकानेर, जोधपुर, झालावाड़ और बाड़मेर-जैसलमेर शामिल हैं। ए श्रेणी वाली नौ लोकसभा सीटों में शामिल विधानसभाओं में कांग्रेस के 42 विधायक हैं।
युवा और अनुभवी चेहरों को मौका मिलेगा, बडे नेता जुटा रहे फीडबैक
प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली मजबूत प्रत्याशी चुनने और जीत के लिए खुद सभी लोकसभा क्षेत्रों में जनसंवाद कार्यक्रमों के जरिए कार्यकर्ताओं और लोगों की नब्ज टटोल रहे हैं। जन संवाद कार्यक्रमों के जरिए जुटाए जा रहे फीडबैक के जरिए मजबूत प्रत्याशी भी तलाशे जा रहे। परपंरागत वोट बैंक साधने के लिए उनके मुद्दे घोषणा पत्र में शामिल किए जाएंगे। कांग्रेस के पर्यवेक्षकों ने सभी सीटों पर ऐसे युवा चेहरों और अनुभवी चेहरों के नाम तलाशकर आलाकमान को सौंपे हैं, जो भाजपा से टक्कर ले सकते हों। हालांकि पूर्व सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट जैसे बडे नाम चुनाव नहीं नहीं लड़ना चाहते हैं,लेकिन पार्टी जरूरत के हिसाब से कुछ बडे चेहरों को भी टिकट दे सकती है। सभी सीटों पर एक से तीन नाम के पैनल सौंपे गए हैं। महेन्द्रजीत मालविया के भाजपा में शामिल होने के बाद कुछ नेताओं को संतुष्ट करने के लिए करीब आधा दर्जन सीटों पर सिंगल पैनल भी तैयार किए गए हैं। भाजपा के लोकसभा चुनाव तैयारियों में आजमाए जा रहे दाव पेच को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस अपने प्रत्याशियों को तैयार करेगी।
पिछली बार के कुछ दावेदारों को भी मिल सकता है मौका
2019 लोकसभा चुनाव के कांग्रेस प्रत्याशियों में से इस बार भी नमोनारायण मीणा टोंक-सवाईमाधोपुर, ब्रदी जाखड़ पाली, भंवर जितेन्द्र सिंह अलवर, वैभव गहलोत जोधपुर, मानवेन्द्र सिंह जसोल बाड़मेर की जोधुपर, मदनगोपाल मेघवाल बीकानेर, रतन देवासी जालोर-सिरोही, रघुवीर मीणा उदयपुर, देवकीनंदन गुर्जर राजसमंद, कृष्णा पूनिया की इस बार जयपुर ग्रामीण की जगह चुरू से, अभिजीत जाटव भरतपुर की दावेदारी इस बार भी प्रबल बनी हुई है। नागौर से प्रत्याशी रही ज्योति मिर्धा, जयपुर शहर प्रत्याशी ज्योति खंडेलवाल, सीकर प्रत्याशी सुभाष महरिया भाजपा का दामन थाम चुके हैं। गोपाल ईडवा चित्तौडगढ़, पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा बांसवाड़ा, रिजु झुंझुनवाला अजमेर, रफीक मंडेलिया चुरू, श्रवण कुमार झुंझुनू, भरतराम मेघवाल गंगानगर, रामपाल शर्मा भीलवाड़ा की इस बार दावेदारी कमजोर आंकी जा रही है। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में राजबाला ओला झुंझुनू, सीपी जोशी जयपुर ग्रामीण की अब भीलवाडा और जयपुर शहर से, भंवर जितेन्द्र सिंह अलवर, लक्खीराम बैरवा करौली-धौलपुर, नमोनारायण मीणा दौसा इस बार टोंक-सवाईमाधोपुर, उदयलाल आंजना जालौर इस बार चित्तौडगढ़ से, रघुवीर सिंह मीणा उदयपुर, प्रमोद जैन भाया झालावाड-बारां इस बार भी मजबूत दावेदार हैं।
इन दावेदारों के नाम चर्चाओं में
श्रीगंगानगर-हनुमानगढ: कुलदीप इंदौरा, विधायक सोहनलाल नायक, शंकर पन्नू और शिमला नायक
बीकानेर: गोविन्दराम मेघवाल, मोडाराम मेघवाल, सरिता मेघवाल और मदन मेघवाल।
झुंझुंनू: विधायक बृजेन्द्र ओला, राजबाला ओला और दिनेश सुंडा।
सीकर: सीताराम लांबा, महादेव सिंह खंडेला, सुनीता गठाला और मुकुल खींचड़।
उदयपुर: दयाराम परमार, ताराचंद मीणा, रघुवीर मीणा और रामलाल मीणा।
डूंगरपुर-बांसवाडा: अर्जुन बामनिया, नानामल निनामा या फिर बाप से गठबंधन।
चुरू: कृष्णा पूनियां, अनिल शर्मा और रामसिंह कस्वा।
अलवर: भंवर जितेन्द्र सिंह, राजेन्द्र यादव, ललित यादव और संदीप यादव।
जयपुर ग्रामीण: राजेन्द्र यादव, अनिल चौपड़ा, राजेश चौधरी, संजय गुर्जर और इन्द्राज गुर्जर।
भीलवाडा: धीरज गुर्जर, रामलाल जाट और अक्षय त्रिपाठी और सीपी जोशी
कोटा-बूंदी: अशोक चांदना, ममता शर्मा, सरोज मीणा।
बारां-झालावाड: प्रमोद जैन भाया, उर्मिला जैन, रघुराज सिंह हाड़ा, गिरिराज धाकड़ और रामचरण मीणा।
टोंक-सवाईमाधोपुर: धीरज मीणा, हरिश्चन्द्र मीणा, नमोनारायण मीणा, रामनारायण मीणा और केसी घुमरिया।
करौली-धौलपुर: किरोड़ी जाटव, खिलाडीलाल बैरवा, सुरेश बैरवा, लक्खीराम बैरवा, विधायक अनीता जाटव।
भरतपुर: भजनलाल जाटव, अभिजीत जाटव, संजना जाटव और निर्भय जाटव।
राजसमंद: लक्ष्मण रावत या सुदर्शन रावत, देवकीनंदन गुर्जर, रामचन्द्र जारोड़ा और कार्तिक चौधरी।
चित्तौडगढ़: उदयलाल आंजना, प्रमोद सिसोदिया, जितेन्द्र सिंह।
जालोर-सिरोही: वैभव गहलोत, रतन देवासी, सवाराम चौधरी, ऊम सिंह।
जोधपुर: वैभव गहलोत, महेन्द्र विश्नोई, करण सिंह उचियाड़ा, मानवेन्द्र सिंह जसोल।
पाली: दिव्या मदेरणा, संगीता बेनीवाल, ब्रदी जाखड़, डॉ.सोहन चौधरी, सुनील चौधरी।
जैसलमेर-बाड़मेर: प्रभा चौधरी, हेमाराम चौधरी, सालेह मोहम्मद, हरीश चौधरी और कर्नल सोनाराम चौधरी।
जयपुर शहर: सीताराम अग्रवाल, आरआर तिवाड़ी, संजय बाफना, राजपाल शर्मा, सीपी जोशी।
दौसा: विधायक मुरारीलाल मीणा, कमल मीणा, कांति मीणा, ओमप्रकाश हुड़ला, पीडी मीणा और राजेश्वरी मीणा।
अजमेर: विधायक विकास चौधरी, रामनिवास गावडिया, रघु शर्मा, धर्मेन्द्र राठौड़, रामचन्द्र चौधरी, नसीम अख्तर।
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