एनआरआई की बचाई जान, मलेरिया बन रहा था जानलेवा
महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया
दक्षिण अफ्रीका से दीपावली पर जयपुर लौटे एनआरआई वीरेंद्र सिंह को तेज बुखार, प्लेटलेट्स घटने और सेप्सिस के कारण गंभीर हालत में महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया। 60–70% पैरासिटिक इंडेक्स वाले मलेरिया ने किडनी व फेफड़ों को भी प्रभावित किया। वेंटिलेटर व CRRT सपोर्ट के बावजूद तीन दवाएँ बेअसर रहीं, लेकिन विशेष मलेरिया दवा से सुधार हुआ। एक महीने बाद वे स्वस्थ होकर घर भेजे गए।
जयपुर। दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले एनआरआई वीरेंद्र सिंह दीपावली पर अपने घर लौटे ही थे कि उन्हें अचानक तेज बुखार, प्लेटलेट्स कम होने, ब्लड प्रेशर गिरने और सेप्सिस जैसे गंभीर लक्षणों की वजह से तुरंत महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी हालत इतनी खराब थी कि किडनी फेलियर हो गया और उन्हें कई दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया।
मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और यूनिट हेड डॉ. मुकेश सरना ने बताया कि अनुभव के तौर पर ही पहचान की गई कि मरीज को गंभीर मलेरिया है। वीरेंद्र का पैरासिटिक इंडेक्स 60–70 प्रतिशत तक पहुँच गया था, जिससे दिमाग पर असर पड़ रहा था। साथ ही किडनी भी काम करना बंद कर चुकी थी। उनके फेफड़े भी संक्रमण से प्रभावित थे। तुरंत मलेरिया की दवाइयाँ शुरू की गईं। पर, तीन तरह की दवाएं असर नहीं कर रहीं थीं। उनकी बिगड़ती स्थिति को देखते हुए उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया और CRRT मशीन की मदद से शरीर के अपशिष्ट बाहर निकाले गए। लेकिन अंत में मलेरिया की एक विशेष दवा ने असर दिखाया और मरीज की हालत में सुधार शुरू हुआ।
करीब एक माह तक लगातार इलाज के बाद अंततः वीरेंद्र सिंह की जान बचा ली गई और अब वे स्वस्थ हो गए हैं। डॉ. सरना ने बताया कि इस चुनौतीपूर्ण उपचार में उनकी टीम के साथ गुर्दा रोग विषयों की टीम, गहन चिकित्सा विभाग के डॉ. आशीष जैन, डॉ. सृष्टि जैन और पूरी टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा। ठीक होने पर उन्हें घर भेज दिया गया।

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