तेल, दाल, आटा, मसाला उद्योग तीन दिन करेंगे सद्बुद्धि यज्ञ
जयपुर में बड़ी सभा आयोजित की जायेगी
तेल, दाल. आटा, मसाला उद्योगों को बन्द भी किया जा सकता है, जिसकी सारी जिम्मेवादी राज्य सरकार की होगी।
जयपुर। भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल तथा राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के तत्वावधान में आयोजित सभा में राजस्थान के तेल मिल, आटा मिल, दाल मिल तथा मसाला उद्योग के उद्योगपत्ति एक साथ उपस्थित हुए और निर्णय लिया कि राज्य सरकार 30 जनवरी से पहले बाहर से आयात की गयी कृषि जिंस पर राजस्थान में मण्डी सेस तथा कृषक कल्याण फीस नहीं लगने का निर्णय नहीं करती है, तथा साथ ही पुरानी मीलों को नयी मीलों की तरह रिप्स में छूट नहीं देती है, तो राज्य की तेल मीलें, आटा मीलें. दाल मीलें, मसाला उद्योग राज्य सरकार को चेतावनी के लिये दिनांक 1, 2, 3 फरवरी 2025 को सद्बुद्धि यज्ञ करेंगे। अपने-अपने शहर व कस्बों में सामूहिक यज्ञ आयोजित किये जायेंगे। यदि फिर भी राज्य सरकार हमारी मांग नहीं मानती है, तो 4 फरवरी को जयपुर में बड़ी सभा आयोजित की जायेगी, जिसमें आंदोजन की अग्रिम रूपरेखा तय की जायेगी। आवश्यक हुआ तो तेल, दाल. आटा, मसाला उद्योगों को बन्द भी किया जा सकता है, जिसकी सारी जिम्मेवादी राज्य सरकार की होगी।
आयोजित सभा में मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल डाटा तथा राष्ट्रीय मंत्री अनिल चतर के साथ प्रान्त के तेल मिल एसोसिएशन के सदस्यों ने तथा प्रदेश दाल मिल महासंघ समिति, राजस्थान के अध्यक्ष विमल बड़जात्या, पवन अग्रवाल, जयपुर दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबूलाल गोयल सहित एसोसिएशन के अन्य सदायों ने, राजस्थान रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के प्रान्तीय अध्यक्ष गोविन्द ग्रोवर, मंत्री भानूप्रकाश गर्ग व एसोसिएशन के अन्य सदस्यों ने,नेशनल ऑयल्स मैन्यूफैक्चरर्स एण्ड रिपैकर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मुरारका तथा एसोसिएशन के अन्य सदस्यों ने, राजस्थान मसाला उद्योग व्यापार संघ के प्रान्तीय मंत्री दिनेश अग्रवाल एवं एसोसिएशन के सदस्यों ने उपस्थिति दर्ज की।
भारतीय उद्योग व्यापर मण्डल के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमेन बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि सभा में उपस्थित सभी सदस्यों ने रोष व्यक्त किया कि राज्य सरकार राईजिंग राजस्थान का सम्मेलन आयोजित कर तथा रिप्स में नयी मीलों को प्रोत्साहन राशि उपलब्ध करवाकर नए उद्योग लगाना चाहती है, परन्तु सभी उद्योगों के लिये राज्य के बाहर से दलहन, गेहूँ, तिलहन एवं मसाले आयात करने पर दुबारा गण्डी सेस तथा कृषक कल्याण फीस लेती हैं, जिसका उद्योगों पर विपरीत प्रभाव पडता है। चैरिटी नहीं आने के कारण पुरानी मीलें बन्द होती जा रही हैं, इसलिये आवश्यक है कि आयातित कृषि जिन्स पर राज्य में मण्डी सेस तथा कृषक कल्याण फीस नहीं लगाई जाएं। नयी मीलों की तरह पुरानी मीलों को भी रिप्स में छूट दी जायें तथा अन्य दी जाने वाली सब्सिडी भी पुरानी मीलों को उपलब्ध करवाई जाएं। यह उद्योग किसान के हित में तथा उपभोक्ताओं के हित में है। यदि राज्य सरकार 31 जनवरी तक आदेश नहीं पारित करती है, तो 1, 2, 3 फरवरी को सामूहिक सद्बुद्धि यज्ञ आयोजित किये जाएंगे और 4 फरवरी को संयुक्त सभा आयोजित कर आन्दोलन की अग्रिम रूपरेखा तय की जायेगी।
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