कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान से बदली जल संरक्षण की तस्वीर, प्रदेश में बनी 14,500 से अधिक जल संरचनाएं
प्रदेश में जल संरक्षण आंदोलन को व्यापक जनसमर्थन मिल रहा
भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में संचालित ‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ अभियान प्रदेश में जल संरक्षण और भूजल पुनर्भरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘कैच द रेन’ अभियान से प्रेरित इस पहल के तहत राजस्थान में जल को सहेजने की परम्परा को नई मजबूती मिली। राज्य में अब तक 14,500 से अधिक जल संरक्षण और रिचार्ज संरचनाओं का निर्माण किया जा चुका है, जिससे वर्षा जल संचयन को बढ़ावा मिला।
जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में संचालित ‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ अभियान प्रदेश में जल संरक्षण और भूजल पुनर्भरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘कैच द रेन’ अभियान से प्रेरित इस पहल के तहत राजस्थान में जल को सहेजने की परम्परा को नई मजबूती मिली है। राज्य में अब तक 14,500 से अधिक जल संरक्षण और रिचार्ज संरचनाओं का निर्माण किया जा चुका है, जिससे वर्षा जल संचयन को बढ़ावा मिला है। अभियान का उद्देश्य प्रवासी राजस्थानियों को अपनी मातृभूमि से जोड़ते हुए जल संरक्षण के कार्यों में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है। इसके लिए भामाशाहों, कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) और क्राउड फंडिंग के माध्यम से चार वर्षों में लगभग 45,000 संरचनाओं के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।
प्रदेश के 41 जिलों की 11,195 ग्राम पंचायतों में ई-पंचायत मोबाइल एप के माध्यम से 42,081 रिचार्ज स्थलों का चयन किया गया, जिनमें से बड़ी संख्या में कार्य पूर्ण हो चुके हैं। अभियान की प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया है।
इसके साथ ही ‘वंदे गंगा जल संरक्षण–जन अभियान’ के माध्यम से जलाशयों की सफाई, मरम्मत और पौधारोपण जैसे कार्यों को भी गति मिली है, जिससे प्रदेश में जल संरक्षण आंदोलन को व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है।

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