नहीं चलेगी पुलिस की मनमानी, 3 बार सजा होने पर ही खुलती है हिस्ट्रीशीट
अदालत हिस्ट्रीशीट को रद्द कर देती है
कई बार पुलिस इस कानूनी प्रावधान की अवहेलना कर व्यक्ति की हिस्ट्रीशीट खोल दी जाती है, लेकिन मामला हाईकोर्ट में आने पर अदालत हिस्ट्रीशीट को रद्द कर देती है।
जयपुर। पुलिस प्रशासन की ओर से कई बार मनमानी करते हुए समाजकंटक को आदतन अपराधी घोषित कर उसकी हिस्ट्रीशीट खोल दी जाती है। इसके बाद एरिया में कुछ भी संदिग्ध होने पर सबसे पहले इन आदतन अपराधियों का राउंड अप किया जाता है। हालांकि कानून में आदतन अपराधी घोषित करने का भी अलग से प्रावधान है। आदतन अपराधी अधिनियम में बताई शर्त पूरी होने पर ही पुलिस किसी को आदतन अपराधी घोषित कर सकती है। कई बार पुलिस इस कानूनी प्रावधान की अवहेलना कर व्यक्ति की हिस्ट्रीशीट खोल दी जाती है, लेकिन मामला हाईकोर्ट में आने पर अदालत हिस्ट्रीशीट को रद्द कर देती है।
यह कहती है धारा
राजस्थान आदतन अपराधी अधिनियम, 1953 की धारा 2ए के तहत आदतन अपराधी उस व्यक्ति को माना जाता है, जिसे लगातार पांच साल की अवधि में कम से कम तीन बार दोषसिद्ध होकर सजा दी गई हो। इसी तरह 18 साल के कम उम्र के अपराधी को भी आदतन अपराधी घोषित नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट कर चुका है पूर्व में रद्द
27 मार्च, 2001 को करौली के तत्कालीन एसपी दिनेश एमएन ने अशोक पाठक की हिस्ट्रीशीट खोली थी। जबकि पाठक पर तब एक ही आपराधिक मामला दर्ज था। इसे इस आधार पर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी कि पांच साल में तीन बार सजा होने पर ही हिस्ट्रीशीट खोल सकते हैं। हाईकोर्ट ने भी इस तथ्य पर मुहर लगाते हुए मार्च, 2017 में पाठक की हिस्ट्रीशीट को रद्द कर दिया था।
पुलिस की ओर से मनमानी करते हुए अक्सर ऐसे लोगों की हिस्ट्रीशीट खोल दी जाती है, जिनके खिलाफ कुछ मामले पुलिस में दर्ज हैं। जबकि आदतन अपराधी घोषित करने के लिए राजस्थान आदतन अपराधी अधिनियम, 1953 की धारा 2ए के तहत व्यक्ति को लगातार पांच साल में कम से कम तीन बार दोषसिद्ध किया गया हो।
- प्रहलाद शर्मा, आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ता
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