जयपुर का पतंग बाजार : मंदी के बावजूद कारोबार में उम्मीद की उड़ान

डिजाइंड काइट्स की डिमांड बढ़ी 

जयपुर का पतंग बाजार : मंदी के बावजूद कारोबार में उम्मीद की उड़ान

पिंक सिटी का पतंग डोर का बाजार सजधज कर तैयार है। चांदपोल बाजार, अजमेरी गेट और हांडी पूरा पतंग डोर के थोक बाजार है

जयपुर। पिंक सिटी का पतंग डोर का बाजार सजधज कर तैयार है। चांदपोल बाजार, अजमेरी गेट और हांडी पूरा पतंग डोर के थोक बाजार है। शहर में करीब दो हजार से अधिक रिटेलर्स दुकान लगाते हैं। रंगीन पन्नी की पतंग और डिजाइनर पतंग की मांग अधिक है। फाइबर की चर्खियों की मांग बांस की चर्खियों से अधिक है। कलर सादा भी बच्चे अधिक पसंद कर रहे हैं। पतंग बाजार इस साल कच्चे माल की कीमतों में तेजी के चलते 5-10% महंगा हो गया है। बाजार में नई कंपनियों के धागों ने वैरायटी में बढ़ोतरी की है। मांझा तीन प्रमुख प्रकारों - पांडा, वन टू थ्री और 8400 में उपलब्ध है, जो बरेली से निर्मित होकर जयपुर सहित अन्य शहरों में पहुंचता है।

बाजार का आकार और मूल्य निर्धारण
जयपुर का पतंग बाजार करीब 10-12 करोड़ रुपये का है।

पतंगों की कीमतें :

पन्नी की पतंग : 40-100 रुपये कौड़ी (20 पतंगें)

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मंझोली पतंग : 120-150 रुपये कौड़ी

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अद्दा पतंग : 160-200 रुपये कौड़ी

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मांझे की कीमतें :

3 गट्टा : 400-600 रुपये

6 गट्टा : 700-1200 रुपये

900 मीटर गट्टा (कृष्णा, वर्धमान, ब्लैक ईगल) : 75-80 रुपये

नए डिज़ाइन और प्रचलन
इस साल फाइबर की चरखियां ट्रेंड में हैं। बरेली और रामपुर की पतंगों की मांग बढ़ रही है, जबकि पन्नी की पतंगें अहमदाबाद और लोकल धागे की आपूर्ति आगरा से होती है।

व्यवसाय से जुड़ी व्यापक भागीदारी
मांझा निर्माण से जुड़े सैकड़ों कारीगर, खासकर बरेली और रामपुर के, इस कारोबार में अहम भूमिका निभाते हैं। यह कारोबार हजारों परिवारों की रोज़ी-रोटी का जरिया है।

बलराम पतंग मर्चेंट के निदेशक आशीष गुप्ता ने बताया कि 
कच्चे माल की महंगाई ने पतंग बाजार को प्रभावित किया है, लेकिन नई डिज़ाइन, बेहतर वैरायटी और फेस्टिव सीजन के चलते बाजार में सकारात्मकता बनी हुई है। जयपुर का पतंग बाजार अपनी परंपरागत धरोहर और व्यवसायिक योगदान को जीवित रखे हुए है।

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