3 साल से गड्ढ़ों में फुटबॉल मैदान, प्रेक्टिस को भटक रहे खिलाड़ी
बजट होने के बावजूद डवलप नहीं करवाया ग्राउंड
हाड़ौती का एकमात्र राजकीय फुटबॉल छात्रावास वाकेशनल स्कूल का खेल मैदान जिम्मेदारों की उपेक्षा का दंश झेल रहा है।
कोटा। हाड़ौती का एकमात्र राजकीय फुटबॉल छात्रावास वाकेशनल स्कूल का खेल मैदान जिम्मेदारों की उपेक्षा का दंश झेल रहा है। छात्रावास का फुटबॉल ग्राउंड पिछले 3 सालों से गड्ढ़ों में तब्दील है, जबकि इसके डवलपमेंट के लिए बजट भी मिला हुआ है। इसके बावजूद खेल और खिलाड़ियों के प्रति जिम्मेदारों ने लापरवाहपूर्ण रवैया अपनाया हुआ है। हालात यह है कि इस छात्रावास में प्रदेशभर से खिलाड़ी आते हैं, जिन्हें खेलने के लिए मैदान नहीं मिलता। ऐसे में प्रेक्टिस के लिए उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ता है।
97 लाख का बजट कराया था उपलब्ध
नयापुरा स्थित राजकीय फुटबॉल छात्रावास में खेल मैदान है, जो वर्तमान में खेलने लायक नहीं है। मैदान में जगह-जगह गड्ढ़े हो रहे हैं। जिसकी वजह से हॉस्टल के फुटबॉल खिलाड़ी अपने ही मैदान में पिछले तीन साल से प्रेक्टिस नहीं कर पा रहे। जबकि, तत्कालीन सरकार ने हॉस्टल डवलपमेंट के लिए 97 लाख का बजट केडीए (पूर्व में यूआईटी) को उपलब्ध करवा दिया था। इसके बावजूद मैदान को डवलप नहीं किया गया। हालांकि, गत वर्ष हॉस्टल में नए कमरे बनाए गए थे और मैदान में मिट्टी भरवाकर समतलीकरण किया जाना था, जो अब तक नहीं करवाया गया।
हर रोज ग्राउंड पहुंचने के लिए होती है मशक्कत
शारीरिक शिक्षक प्रवीण विजय ने बताया कि पिछले तीन साल से छात्रावास का मैदान में गड्ढ़े हो रहे हैं। जिसमें खिलाड़ियों का प्रेक्टिस करना संभव नहीं है। ऐसे में उन्हें स्टेडियम जाना पड़ता है, जहां कई बार खेलने के लिए जगह नहीं मिल पाती, क्योंकि वहां पहले से ही कई अकेडमियों की टीमें प्रेक्टिस कर रही होती है। ऐसे में टीम को खेलने से पहले हर रोज ग्राउंड ढूंढने की मशक्कत करनी पड़ती है। जबकि, खिलाड़ियों को हर रोज दो से ढाई घंटे प्रेक्टिस करनी होती है, जो ग्राउंड के अभाव में नहीं हो पाती। समस्या से अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को भी अवगत कराया लेकिन समाधान नहीं हुआ।
खिलाड़ियों के पैदल स्टेडियम जाने-आने में हादसे का खतरा
संभाग का एकलौता राजकीय फुटबॉल छात्रावास नयापुरा जेकेलोन अस्पताल के सामने वोकेशनल स्कूल में है। यहां खेल मैदान नहीं होने से 20 खिलाड़ियों को करीब 500 मीटर स्टेडियम में पैदल-पैदल जाना-आना पड़ता है। जबकि, इस रोड पर ट्रैफिक अधिक रहता है। ऐसे में हादसे की आशंका बनी रहती है। वहीं, अव्यवस्थाओं का असर उनके खेल पर भी पड़ता है। जबकि, राज्य के विभिन्न जिलों से खिलाड़ी अच्छी खेल सुविधा के भरोसे में कोटा आते हैं। ऐसे में उन्हें अव्यवस्थाओं से जूझना पड़े तो प्रदेश में कोटा की छवि पर गलत प्रभाव पड़ेगा।
मैदान में झाड़-झाड़ियों
का लगा ढेरफुटबॉल छात्रावास का खेल मैदान करीब 100 गुना 100 साइज का है। जिसमें से प्रेक्टिस एरिया 100 गुना 80 है। जिसमें झाड़-झाड़ियों उगी होने से जंगल हो रहा है। जिसमें जहरीले जीव जंतुओं की मौजूदगी बनी रहती है। वहीं, जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। हॉस्टल के नवनिर्मित कमरों के निर्माण के बाद मैदान में मिट्टी भरवाकर जमीन समतलीकरण की जानी थी, जो अब तक पूरा नहीं हो सका। हालांकि, मैदान में केवल सीढ़ियां ही बनी है।
अभावों के बावजूद उप विजेता रही टीम
शारीरिक शिक्षक प्रवीण विजय ने बताया कि छात्रावास की फुटबॉल टीम गत वर्ष सितम्बर माह में बारां में आयोजित हुई राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उप विजेता रही है। वहीं, नेशनल टीम में एक बच्चे का चयन हुआ है। इसके अलावा 17 व 19 वर्षीय फुटबॉल स्टेट टूर्नामेंट इसी साल होना है। जिसमें अधिकतर खिलाड़ी छात्रावास के ही होंगे। ऐसे में इनकी नियमित प्रेक्टिस जरूरी है। अधिकारियों को हस्तक्षेप कर ग्राउंड विकसित करवाया जाना चाहिए।
कैसे निखरेगी प्रतिभाएं
प्रदेशभर के अलग-अलग जिलों से चयनित खिलाड़ी कोटा आते हैं। लेकिन छात्रावास में खेलने के लिए मैदान ही नहीं है। रोजाना पैदल-पैदल स्टेडियम जाना होता है, फिर वहां खेलने के लिए जगह ढूंढनी पड़ती है। इतनी मशक्कत के बाद कभी जगह मिलती हो तो प्रेक्टिस हो पाती है, कई बार तो बैरंग लौटना पड़ता है। अभावों में खेल प्रतिभाएं कैसे निखरेगी।
क्या कहते हैं खिलाड़ी
खुद के ही कैम्पस में खेल नहीं पा रहे। मैदान में इतने गड्ढ़े हैं कि प्रेक्टिस करने की सोच भी नहीं सकते। जबकि, बोर्ड परीक्षा के बाद स्टेट टूर्नामेंट होने वाला है, ऐसे में प्रेक्टिस की सख्त आवश्यकता है लेकिन स्टेडियम में भी कई बार जगह नहीं मिल पाती। जिसकी वजह से पे्रक्टिस नहीं हो पाती। अधिकारियों को खेल सुविधाएं विकसित करनी चाहिए।
- सुरेंद्र गोयल (परिवर्तित नाम) खिलाड़ीं
यह बहुत पुराना फुटबॉल ग्राउंड है, जो मरम्मत के अभाव में खेलने लायक नहीं बचा है। इस एरिया में फुटबॉल खेलना बंद सा हो गया है। जिम्मेदार अधिकारियों को इसके विकास पर ध्यान देना चाहिए ताकि, प्रतिभाएं निखर सके। क्योंकि शहर में पहले ही खेल मैदानों की कमी है, ज्यादा मैदान होंगे तो कोटा को ज्यादा खिलाड़ी मिल सकेगी।
- तीरथ सांगा, सचिव, जिला फुटबॉल संघ कोटा
स्कूल खुलने पर जिला शिक्षाधिकारी की मौजूदगी में प्रिंसिपल व कोच की बैठक कर समस्या क्या है, मैदान डवलप क्यों नहीं हो पा रहा, इसकी जानकारी करेंगे और मिलकर समाधान करवाएंगे।
- शिवराज सिंह चौधरी, उप जिला शिक्षाधिकारी, शारीरिक शिक्षा
आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है। मंगलवार को स्कूल खुलने पर मैं स्वयं खेल मैदान का निरीक्षण करुंगा। यदि, मैदान डवलपमेंट के लिए बजट आया हुआ है फिर भी काम नहंी करवाया गया तो गंभीर बात है। मामले की पूरी जानकारी कर प्राथमिकता से समाधान करवाएंगे।
- केके शर्मा, जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक कोटा
राज्य सरकार खेलों को बढ़ावा दे रही है। छात्रावास के फुटबॉल ग्राउंड को डवलप करवाने व समस्या के समाधान के लिए जिला शिक्षाधिकारी व एडीपीसी को निर्देशित किया है।
- सतीश गुप्ता, विशेषाधिकारी शिक्षा मंत्री
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