वैदिक शिक्षा के स्वर्णिम युग का उद्घोष : कल्ला
बालिकाओं ने वेद पाठ किया
बालिकाओं को वैदिक शिक्षा देने से परिवार, समाज और राष्ट्र का चारित्रिक, भौतिक और आध्यामिक उत्थान होगा।
जयपुर। बालिकाओं का प्रथम बार सस्वर सामूहिक वेद पाठ वैदिक शिक्षा ही नहीं, अपितु संपूर्ण शिक्षा जगत में एक स्वर्णिम युग का उद्घोष है। यह बात राजस्थान संस्कृत अकादमी के राज्य स्तरीय पुरस्कार सम्मान समारोह में शिक्षा, कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहीं। उन्होंने कहा कि बालिकाओं को वैदिक शिक्षा देने से परिवार, समाज और राष्ट्र का चारित्रिक, भौतिक और आध्यामिक उत्थान होगा। अध्यक्षता कर रही अकादमी अध्यक्ष डॉ. सरोज कोचर ने कहा कि संस्कृत को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए अकादमी सवा लाख दुर्लभ पांडुलिपियों को सूचीबद्ध और डिजिटलाइज करवाएगी। कल्ला ने राज्य के प्रथम बालिका वेद आश्रम मोहरी देवी तापड़िया बालिका वेदाश्रम की 14 बालिकाओं के चरणों का प्रक्षालन किया। डॉ. सरोज कोचर ने तिलक लगाया और उपस्थित विद्वानों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किय। इसके बाद बालिकाओं ने वेद पाठ किया।
ये विद्वान हुए सम्मानित
इस अवसर पर राष्टÑपति सम्मानित विद्वान डॉ. नारायण शास्त्री को मरणोपरांत डॉ. मंडन मिश्र पुरस्कार, प्रो. कुलदीप शर्मा को नवोदित पुरस्कार, डॉ. अंजना शर्मा को संस्कृत विदुषी सम्मान, डॉ. रामेश्वर दयाल शर्मा को जगन्नाथ सम्राट ज्योतिष सम्मान, डॉ. राकेश शास्त्री को पंडित गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी दर्शन सम्मान, डॉ. शंभू नाथ मिश्र को वेद सम्मान, प्रो. आनंद पुरोहित को धर्मशास्त्र सम्मान, प्रो. ताराशंकर पांडेय को पंडित मथुरा नाथ शास्त्री सम्मान और अनुपमा रजोरिया को संस्कृत कौस्तुभ सम्मान दिया गया। इसके साथ संस्थाओं में कल्लाजी वेद पीठ एवं शोध संस्थान निम्बाहेड़ा को पंडित नवल किशोर कांकर वेद-वेदांग पुरस्कार, नरवर आश्रम सेवा समिति खोले के हनुमानजी को भारती मिश्रा पुरस्कार, ब्रह्मज्ञान संस्कृत शिक्षा परमार्थ सेवा संस्थान घाटारानी भीलवाड़ा के छात्र गोविंद शर्मा और शिव प्रकाश शर्मा को बिहारी पुरस्कार और मोहरी देवी तापड़िया वेद विद्यालय जसवंतगढ़ के छात्र मंजीत शर्मा को को पंडित पन्नालाल जोशी पुरस्कार दिया गया।

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