चारागाह भूमि को आबादी भूमि में परिवर्तित करने की विधानसभा में उठी मांग : जवाब में बोले मीणा- 1000 की आबादी या 200 परिवारों की संख्या होने पर आबादी भूमि में परिवर्तित करने का है प्रावधान
अलग से भूमि आवंटन का भी प्रावधान
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के जरिए आदेश जारी किए जाते हैं। हाईकोर्ट ने भी एक विशेष प्रकरण में चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाने के आदेश है।
जयपुर। राज्य विधानसभा में बुधवार को प्रदेश में गांव की सीमा से लगी चारागाह भूमि को आबादी भूमि में परिवर्तित करने की मांग उठी। जवाब में राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने कहा कि चारागाह भूमि को 1000 की आबादी या 200 परिवारों की संख्या होने पर आबादी भूमि में परिवर्तित करने का नियमों में प्रावधान है। इसके अतिरिक्त आबादी से लगती 5 एकड़ भूमि तक परिवर्तित करने का भी प्रावधान है। इसके साथ ही आबादी के लिए आवंटन नियमों के तहत भी अलग से भूमि आवंटन का भी प्रावधान है।
इसके लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के जरिए आदेश जारी किए जाते हैं। हाईकोर्ट ने भी एक विशेष प्रकरण में चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाने के आदेश है। 25 साल के काबिज परिवार को 100 गज तक आबादी पट्टा देने के प्रावधान है। भाजपा विधायक श्रीचंद कृपलानी ने शून्यकाल में ध्यानाकर्षण के जरिए मामला उठाते हुए कहा कि लाखों की संख्या में परिवार चारागाह भूमि पर बसे हुए हैं जो सालों से पट्टे का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पट्टे नहीं मिल रहे हैं, उन्हें निमित्त करने के लिए सरकार को फैसला लेना चाहिए, आज ग्रामीण क्षेत्रों में पुराने गांव से निकाल कर लोग अपने खेतों में मकान बना लेते हैं।
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