बाइट थेरेपी से मल्टीपल मायलोमा के इलाज में आई नई क्रांति, एक प्रकार की बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट तकनीक है बाइट थेरेपी
कैसे काम करती है बाइट थेरेपी
मल्टीपल मायलोमा रक्त के प्लाज्मा कोशिकाओं का एक प्रकार का कैंसर है, जिसमें असामान्य कोशिकाएं बोन मैरो में बढ़ने लगती हैं
जयपुर। मल्टीपल मायलोमा रक्त के प्लाज्मा कोशिकाओं का एक प्रकार का कैंसर है, जिसमें असामान्य कोशिकाएं बोन मैरो में बढ़ने लगती हैं और स्वस्थ कोशिकाओं को बाधित करती हैं। इस जटिल रोग के उपचार में एक नवीनतम तकनीक है बाय स्पेसिफिक टी-सेल एंगेजर यानी बाइट थेरेपी।
कैसे काम करती है बाइट थेरेपी
महावीर कैंसर हॉस्पिटल के सीनियर हिमेटोलॉजिस्ट डॉ. उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि बाइट थेरेपी एक बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट तकनीक है, जिसमें एक विशेष प्रकार का बाय-स्पेसिफिक एंटीबॉडी प्रयोग होती है। यह एंटीबॉडी एक साथ दो लक्ष्य साधती है। पहलाए यह शरीर की टी-कोशिकाओं यानी प्रतिरक्षा कोशिकाएं से जुड़ती है और दूसरा, यह कैंसर कोशिकाओं को पहचानती है। बाइट थेरेपी शरीर की टी-कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं के विरुद्ध इकट्ठा करती है। परिणामस्वरूप शरीर स्वयं अपनी रोग प्रतिरोधक सेना के बल पर मायलोमा कोशिकाओं को खत्म करने में सक्षम हो जाता है।
बाइट थेरेपी के फायदे
डॉ. शर्मा ने बताया कि बाइट थेरेपी के प्रमुख लाभों में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह उपचार सीधे रोग की जड़ पर प्रहार करता है, जिससे कैंसर कोशिकाओं का नाश अधिक प्रभावी ढंग से होता है। अन्य पारंपरिक उपचारों की तुलना में इसमें स्वस्थ कोशिकाओं को कम क्षति पहुंचती है, जिससे मरीज की सामान्य प्रतिरक्षा शक्ति सुरक्षित रहती है। विशेष रूप से उन मरीजों में, जिनमें दवाओं के प्रति प्रतिरोधकता विकसित हो चुकी थी, बाइट थेरेपी ने सकारात्मक और उत्साहजनक परिणाम दिखाए हैं। इसके अलावा इस तकनीक से रोग के दोबारा लौटने की आशंका भी कम होती है, जिससे मरीजों को लंबे समय तक राहत मिलती है। डॉ. शर्मा ने बताया कि जिन रोगियों पर अब तक की दवाएं असफल हो गई थीं, उनके लिए बाइट थेरेपी एक वरदान सिद्ध हो रही है।

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