पंचांग का यह महीना तीज-त्योहारों से परिपूर्ण : आठ अक्टूबर से शुरू होगा कार्तिक प्रतिपदा क्षय, प्रात: स्नान शरद पूर्णिमा से ही
शक्ति और धर्म विजय का प्रतीक
10 अक्टूबर को करवा चौथ, 13 को अहोई अष्टमी, 17 को रमा एकादशी, 18 को धनतेरस, 20 को दीपावली, 22 को गोवर्धन पूजा, 23 को भाई दूज, 27 को छठ महापर्व, एक नवंबर को देवउठनी एकादशी और पांच नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का महापर्व मनाया जाएगा।
जयपुर। पवित्र कार्तिक माह आठ अक्टूबर से शुरू होकर पांच नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के साथ संपन्न होंगे। कार्तिक मास में विशेषकर महिलाएं सूर्योदय से पूर्व ही स्नान कर सेवा-पूजा करेंगी। दरअसल, हिंदू पंचांग का यह आठवां महीना तीज-त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस महीने में धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पर्व, देवउठनी एकादशी और देव दीपावली जैसे प्रमुख पर्व मनाए जाते हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक मास में भगवान गणेश, विष्णु-लक्ष्मी, धन्वंतरि, गोवर्धन पूजन, सूर्यदेव के छठ व्रत और कार्तिकेय स्वामी की पूजा विशेष फ लदायी होती है। इस महीने में दीपदान का विशेष महत्व बताया गया है। मंदिरों, नदियों, कुओं, बावड़ियों और तुलसी व आंवले के पेड़ के पास दीपदान करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य प्राप्त होता है।
दिनचर्या पर देना चाहिए विशेष ध्यान
कार्तिक मास में दिनचर्या और खान-पान पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस अवधि में शरद ऋतु का आगमन होता है, इसलिए शरीर को ऊष्मा देने वाले आहार जैसे केसर दूध, मौसमी फ ल और कंद-मूल का सेवन लाभदायक रहता है। इस महीने में तेल मालिश और दालों का सेवन वर्जित माना गया है। कार्तिक मास में सूयार्दय से पहले उठकर स्नान, ध्यान और सूर्य अर्घ्य का विधान है।
जानिए पौराणिक कथा में इस महीने का नाम क्यों पड़ा कार्तिक
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी महीने में भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था। इस कारण इस महीने को शक्ति और धर्म विजय का प्रतीक माना गया है।
प्रमुख त्योहार
10 अक्टूबर को करवा चौथ, 13 को अहोई अष्टमी, 17 को रमा एकादशी, 18 को धनतेरस, 20 को दीपावली, 22 को गोवर्धन पूजा, 23 को भाई दूज, 27 को छठ महापर्व, एक नवंबर को देवउठनी एकादशी और पांच नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का महापर्व मनाया जाएगा।

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