लक्ष्मीनाथ मंदिर में शंखनाद और गड़ीसर सरोवर से शोभायात्रा के साथ मरु महोत्सव का आगाज
हाथों में भाले लिए सजे-धजे ऊंटों पर आरूढ़ बीएसएफ के जवान आकर्षण बने
शोभायात्रा में विदेशी पर्यटक भी शामिल हुए एवं शोभायात्रा के सभी मनोहारी दृश्यों को अपनी चिरस्थायी याद के लिए कैमरो में कैद किया।
जैसलमेर। जग विख्यात चार दिवसीय मरू महोत्सव के दौरान जैसलमेर के पवित्र गड़ीसर सरोवर से भव्य शोभायात्रा के साथ मरु महोत्सव का आगाज हुआ। इससे पूर्व नगर के आराध्य देव लक्ष्मीनाथ मन्दिर में पूजा अर्चना कर शंखदनाद किया गया। महोत्सव में मरू संस्कृति की झलक को दृश्यावलोकन करती शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए लोक कलाकारों ने अपने-अपने क्षेत्रीय लोक संस्कृति की प्रस्तुति दी। गड़ीसर सरोवर से जैसलमेर विधायक छोटूसिह भाटी, जिला कलक्टर प्रतापसिंह एवं जिला पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने हरी झंडी दिखा लोक संस्कृति और परंपराओं को दिग्दर्षित करती शोभा यात्रा को रवाना किया। मरु महोत्सव के तहत गड़ीसर सरोवर से पूनमसिंह स्टेडियम तक निकली शोभायात्रा ने जैसलमेर के बाशिन्दों से लेकर देशी-विदेशी पर्यटकों को लोक संस्कृति से रूबरू करवाया। मुख्य बाजार से होती हुई निकली शोभायात्रा का नगर वासियों ने अपने घरों की छतों पर बैठ कर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया एवं इस महोत्सव को उत्सव के रूप में लिया। शोभायात्रा की झलक पाने मार्ग के दोनों तरफ व भवनों की छतों पर सैलाब उमड़ पड़ा। मरू महोत्सव में इस बार विदेशी पर्यटकों की अच्छी भागीदारी रही। शोभायात्रा में विदेशी पर्यटक भी शामिल हुए एवं शोभायात्रा के सभी मनोहारी दृश्यों को अपनी चिरस्थायी याद के लिए कैमरो में कैद किया।
सीमा सुरक्षा बल के सजे-धजे ऊंट आकर्षण बने
बीएसएफ के सजे-धजे ऊंट एवं इन पर सवार बीएसएफ के जांबाज, केमल माउण्टेन बैंड वादकों का समूह, मंगल कलश लिए बालिकाएं, लोक कलाकारों का कारवां मुख्य मार्ग से होता हुआ शहीद पूनमसिंह स्टेडियम पहुंच शानदार समारोह में परिवर्तित हुआ। शोभायात्रा का सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र सीमा सुरक्षा बल के उपसमादेष्टा मनोहर सिंह खींची के नेतृत्व में शाही पोशाक में अपने हाथों में भाले लिए हुए बांके जवान, सजे-धजे ऊंटों पर सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र रहे। शोभायात्रा में श्रृंगारित ऊंटों पर सवार रौबीले मरु श्री एवं इस प्रतियोगिता के प्रतिभागी ऊंटों एवं ऊंट गाड़ों पर सवार पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित मिस मूमल एवं महेंद्रा के प्रतियोगी और विभिन्न झांकियां आकर्षण का केन्द्र रहीं।
लोक कलाकारों ने मचाई लोक संस्कृति की धूम
शोभायात्रा में सबसे आगे बॉस्केटबॉल अकादमी के छात्र अपने हाथों में पर्यटन विभाग का लोगो सहित बैनर लिए हुए थे, वहीं मस्कवादन कलाकारो ने मस्क के माध्यम से राजस्थानी लोक गीतों की मधुर स्वरियां पेश कर सभी को मोहित किया, यहीं नहीं इस पर कई महिला पर्यटकों ने उत्साह के साथ नृत्य भी किया। इसके साथ ही रंगी-बिरंगी पोशाकों में सजी-धजी बालिकाएं अपने सिर पर मंगल कलश धारण किए हुए शोभायात्रा की शोभा बढ़ा रही थी, वहीं आंगी गैर ने शानदार नृत्य पेश किया। इस दौरान लोक कलाकारों की ओर से कच्छी घोड़ी नृत्य पेश कर पूरे माहौल को संगीत से सरोबार कर दिया। मूमल-महिन्द्रा की झांकी भी ऊंट गाड़ो पर अतिसुन्दर लग रही थी। शोभायात्रा में बहरूपियों ने अपने अंदाज में रूप का प्रदर्शन कर सभी को अपनी ओर आकर्षित किया। वहीं, सिरेमोरी एवं स्वामी मुखोटे नृत्य भी शोभायात्रा की शोभा बढा रहे थे।
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