कोर्ट में बाल विवाह निरस्त करने की गुहार : 34 दिन की बालिका वधु ने 19 वर्ष बाद बाल विवाह को नकारा
ससुराल पक्ष की ओर से लगातार धमकियां व दबाव
पारिवारिक न्यायालय संख्या 1 के न्यायाधीश सतीश कुमार गोदारा ने प्रकरण दर्ज कर लिया है।
जोधपुर। बाल विवाह की कुप्रथा अबूझ सावा माने जाने वाली अक्षय तृतीया पर बालिका वधु ने बाल विवाह को नकार कर मुक्ति के लिए आवाज बुलंद की है। करीब 19 वर्ष पूर्व महज 34 दिन की अबोध उम्र में ही बाल विवाह की बेड़ियों में जकड़ी बालिका वधु (बदला हुआ नाम मधु) ने अक्षय तृतीया पर ही सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति भारती की मदद से जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय में दस्तक देकर बाल विवाह निरस्त का वाद पेश किया है। जिसे पारिवारिक न्यायालय संख्या 1 के न्यायाधीश सतीश कुमार गोदारा ने प्रकरण दर्ज कर लिया है।
डॉ. कृति भारती ने बताया, करीब 19 वर्षीय सोनिया का विवाह महज 34 दिन की उम्र में वर्ष 2005 में जोधपुर जिले के ही ग्रामीण क्षेत्र के एक युवक के साथ हुआ था। इसके बाद मधु को वर्ष 2022 में गौना कर ससुराल भेज दिया गया, जहां दुर्व्यवहार के चलते मधु वापस पिता के घर लौट आई। इसके बाद भी ससुराल पक्ष की ओर से लगातार धमकियां व दबाव झेलना पड़ा। इस बीच मधु ने बाल विवाह निरस्त के लिए डॉ. कृति भारती से सम्पर्क किया। जिसके बाद डॉ. कृति भारती की मदद से पारिवारिक न्यायालय संख्या 1 में वाद दायर किया। मधु ने बताया, उसे बाल विवाह मंजूर नहीं है। डॉ. कृति की मदद से बाल विवाह निरस्त का वाद दायर किया है। अब जल्द ही बाल विवाह से मुक्ति मिलने की उम्मीद बंधी है। इसके बाद वह अपना भविष्य संवार सकेगी।
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