33 हजार पर्यटक घटे, 12 लाख राजस्व का नुकसान
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से पर्यटकों का हो रहा मोहभंग
टाइगर-लॉयन सहित बड़े एनिमल की कमी मुख्य कारण
कोटा। प्रदेश का सबसे बड़ा अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क अपनी चमक खो रहा है। वन्यजीव विभाग की अनदेखी से पर्यटकों का मोहभंग होता जा रहा है। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 27 अक्टूबर तक करीब 33 हजार से ज्यादा पर्यटकों की संख्या घटी है। वहीं, 12 लाख रुपए राजस्व का घाटा हुआ है। दरअसल, 1 जनवरी से अक्टूबर 2023 तक करीब 1 लाख पर्यटक बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीवों के दीदार को पहुंचे थे। जबकि, इस वर्ष 27 अक्टूबर तक 66 हजार 760 ही पहुंचे। वहीं, पर्यटकों से होने वाली आय की बात करें तो गत वर्ष अक्टूबर तक करीब 37 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था। वहीं, इस वर्ष 27 अक्टूबर तक 25 लाख 36 हजार 236 ही हुआ है।
इस जनवरी में 34 हजार का नुकसान
गत वर्ष जनवरी माह के मुकाबले इस वर्ष की जनवरी में करीब 34 हजार रुपए राजस्व का बायोलॉजिकल पार्क को नुकसान हुआ है। जनवरी-2023 में 5 लाख 30 हजार 626 रुपए की कमाई हुई थी। जबकि, वर्ष 2024 की जनवरी में 4 लाख 96 हजार 740 रुपए की आय हुई है। जबकि, जनवरी 2021 की बात करें तो सर्वाधिक 20 हजार 682 पर्यटकों के साथ 9 लाख 99 हजार 880 रुपए की कमाई हुई थी। हालांकि, इस माह में बायोलॉजिकल पार्क के द्वार पर्यटकों के लिए खुले थे।
जुलाई में सर्वाधिक 4 लाख रुपए का नुकसान
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क को सर्वाधिक राजस्व 4 लाख रुपए का नुकसान जुलाई माह में हुआ है। वहीं, पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड 9 हजार से ज्यादा की गिरावट दर्ज हुई है। जुलाई 2023 में 14 हजार पर्यटक घूमने आए थे, जिनसे पार्क को 6 लाख रुपए की आय हुई थी। जबकि, जुलाई 2024 में कमाई का आंकड़ा औंधे मुंह गिरकर 1 लाख 84 हजार 990 ही रह गया। वहीं, पर्यटकों की संख्या भी घटकर 4 हजार 606 ही रह गई।
टाइगर की मौत के बाद तेजी से गिरा रेवन्यू
बाघ नाहर की मौत के बाद से ही पर्यटकों की संख्या व राजस्व के आंकड़ों में भारी गिरावट देखने को मिली। वन्यजीव पे्रमियों का कहना है, लॉयन व टाइगर के कदम पड़ते ही अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में धन बरसना शुरू हो गया था। गत वर्ष अप्रेल माह में भीषण गर्मी होने के बावजूद 7 हजार 928 पर्यटकों लॉयन व टाइगर देखने पहुंच गए थे। जिनसे पार्क को एक ही माह में 3 लाख 51 हजार 434 रुपए की कमाई हुई थी। जबकि, वर्ष 2024 की अप्रेल में 3 हजार 484 पर्यटकों से 1 लाख 44 हजार 610 रुपए की ही इनकम हुई। यानी गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 4,444 पर्यटक व 2 लाख 6 हजार 824 राजस्व का नुकसान हुआ है।
न पिंजरे बने और न ही वन्यजीव शिफ्ट हुए
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में द्वितीय चरण के तहत कई अधूरे निर्माण कार्य पूरे किए जाने हैं। लेकिन, वन्यजीव विभाग को 25 करोड़ का बजट दो साल बाद भी नहीं मिल सका। बजट के अभाव में 31 एनक्लोजर, स्टाफ क्वार्टर, कैफेटेरिया, वेटनरी हॉस्पिटल, आॅडिटोरियम हॉल, छांव के लिए शेड, कुछ जगहों पर पथ-वे सहित अन्य कार्य नहीं हो पाए। वहीं, चिड़ियाघर से मगरमच्छ, घड़िया, अजगर सहित विभिन्न प्रजाति के पक्षी यहां शिफ्ट नहीं हो पा रहे।
पर्यटकों का रुझान घटने के मुख्य कारण
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के प्रति पर्यटकों के घटते रुझान की प्रमुख वजह वन्यजीव विभाग की लापरवाही है। पार्क में लंबे समय से बड़े एनीमल्स की कमी है। जिसके चलते पर्यटकों का मोहभंग हो गया। 1 मार्च 2023 को नर बाघ नाहर की मौत के बाद से अब तक दूसरा बाघ नहीं लाया गया। वहीं, वन्यजीव विभाग दो साल बाद भी लॉयन लाने में नाकाम रहा। इसके अलावा मगरमच्छ, घड़ियाल, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पक्षी ऐमू भी नहीं लाए गए। इसके अलावा मूलभूत सुविधाएं कैफेटेरिया नहीं है, पर्यटकों को चाय नाश्ते के लिए पार्क के बाहर इधर-उधर भटकना पड़ता है। टाइगर के एनक्लोजर से चिंकारा तक के पिंजरे के बीच बैठने के लिए पर्याप्त बैंचे नहीं है। वहीं, वाटर कूलर भी नहीं है। जिसकी वजह से पार्क के प्रति पर्यटकों का मोह भंग होता जा रहा है, जिससे सरकार को लगातार राजस्व का नुकसान हो रहा है।
डीएफओ ने नहीं दिया जवाब
नवज्योति ने मामले को लेकर वन्यजीव उप वन संरक्षक अनुराग भटनागर को फोन किए लेकिन उन्होंने अटैंड नहीं किया। इसके बाद उन्हें मैसेज कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन डीएफओ ने जवाब नहीं दिया।
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