अपेक्षा ग्रुप ठगी मामला : एक और डायरेक्टर बारां से गिरफ्तार

तीन दिन के रिमांड पर

अपेक्षा ग्रुप ठगी मामला :  एक और डायरेक्टर बारां से गिरफ्तार

साल 2015 से वह अपेक्षा ग्रुप से जुड़ा है। उसने करीब 50 निवेशकों को लालच देकर अपेक्षा ग्रुप की अलग- अलग कम्पनियों में 1 करोड़ 19 लाख रूपए का निवेश करवाया ।

कोटा । अपेक्षा ग्रुप  नाम से फर्जी कम्पनी बनाकर निवेशकों से करोड़ो की ठगी करने के मामले में शुक्रवार को एसआईटी ने अपेक्षा ग्रुप के एक और डायरेक्टर को बारां से गिरफ्तार किया । गिरफ्तार आरोपी हेमंत विजय पुत्र नवल किशोर विजय निवासी चौमुखा बाजार बारां को तीन दिन की रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया । एसआईटी आरोपी से पूछताछ कर रही है । आरोपी हेमंत विजय  का स्टेशनरी का काम है। स्कूलों में कॉपी - किताबें सप्लाई करता है। साल 2015 से वह अपेक्षा ग्रुप से जुड़ा है। उसने करीब 50 निवेशकों को लालच देकर अपेक्षा ग्रुप की अलग- अलग कम्पनियों में 1 करोड़ 19 लाख रूपए का निवेश करवाया । एसआईटी टीम ने ठगी के आरोपी को कोर्ट में पेश किया। जहां से  12 जून तक रिमांड पर भेजने के आदेश दिए। कोर्ट में पेशी के दौरान आरोपी मीडिया से बचने के लिए अपना चेहरा छिपाता रहा। उल्लेखनीय है कि अपेक्षा ग्रुप द्वारा ठगी के मामले में अब तक कंपनी के मुख्य आरोपी सीएमडी मुरली मनोहर नामदेव सहित अन्य 24 सक्रिय डायरेक्टर- सदस्यों को  गिरफ्तार किया जा चुका है। दो दिन पहले भी कोटा के कमिश्नर आॅफिस (संभागीय आयुक्त कार्यालय) में तैनात सहायक प्रशासनिक अधिकारी चेतन स्वरूप नामा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था।

ये था मामला
अपेक्षा ग्रुप का निदेशक मुरली मनोहर नामदेव बारां का निवासी है। इसने रकम दुगुनी करने का झांसा देकर कम्पनी में कई लोगों को डायरेक्टर बनाया। फिर एक कम्पनी से 12 से 14 कम्पनियां खड़ी की।  लोगों को अमीर बनाने के सपने दिखाकर उनसे ठगी की। अनुमान के मुताबिक  कम्पनी ने कोटा संभाग  के (कोटा, बूंदी,बारां झालावाड़) के करीब ढाई से 3 हजार निवेशको को  करीब 200 करोड़ का चूना लगाया। पिछले साल जनवरी में अपेक्षा ग्रुप कम्पनी के 38 डायरेक्टर्स के खिलाफ गुमानपुरा थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ था। कम्पनी के डायरेक्टर्स के खिलाफ शहर के अलग अलग थानों में करीब 100 से ज्यादा मामले दर्ज है। इस मामले कुछ आरोपियों ने सभी मुकदमों के लिए हाईकोर्ट में याचिका पेश की थी जिसे हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए एसपी से मामले की जांच कराने के निर्देश दिए थे । इस पर एसपी ने हाईकोर्ट से निवेदन किया तो हाईकोर्ट ने मामले में जांच के लिए एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी को देने का आदेश दिया था।  इसके बाद मामले की जांच एडिशनल एसपी ठाकुर चंद्र शील कुमार  को दी गई थी।

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