नशा माफिया का नेटवर्क तोड़ना नारकोटिक्स के लिए दूर की कौड़ी, छोटे हैंडलर पकड़ रहा ब्यूरो
शहर में बाहर से लगातार आ रही नशे की खैप
सीबीएन ने सवा तीन साल में पकड़े 207 आरोपी।
कोटा। कोटा जिले में लगातार नशे की खैप आ रही है। माफिया के नेटवर्क से होता हुआ यह छोटे छोटे हैंडलर के हाथों युवाओं तक पहुंच रहा है। सीबीएन की टीम छोटे-छोटे हैंडलर तो पकड़ रही है लेकिन माफिया तक अपनी पकड़ नहीं बना पाई है। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में एक भी बड़ा ड्रग माफिया इनके हाथ नहीं आया है। केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (सीबीएन) ने तीन साल में मादक पदार्थ तस्करी के खिलाफ जो कार्रवाई की ,उससे साफ हो रहा है कि शहर में भारी मात्रा में मादक पदार्थों की तस्करी हो रही है। पकड़ा गया मादक पदार्थ तो बहुत कम है। इसकी आड़ में काफी अधिक तो सप्लाई भी हो चुका होगा। सीबीएन ने सवा तीन साल में 207 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। शहर में पहले जहां स्मैक व गांजे का नशा अधिक होता था। वहीं अब अफीम, पपी स्ट्रॉ, हेरोइन समेत कई तरह का नशा किया जा रहा है। इस नशे की चपेट में अधिकतर युवाओं व कोचिंग स्टूडेंट को लिया जा रहा है। शहर में बाहर से आकर बड़ी संख्या में युवा रहे हैं। घर से दूर व दोस्तों के साथ इस तरह से नशे की लत पड़ने से युवाओं के शरीर को दीमक की तरह से नशा खोखला कर रहा है। हालांकि केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो द्वारा लगातार मादक पदार्थ सप्लाई करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तो की जा रही है। जिसमें छोटे-छोटे कैरियर ही पकड़े जा रहे है। जबकि मुख्य सप्लायर तक सीबीएन की टीम पहुंच ही नहीं पा रही है।
साल दर साल लगातार बढ़ी कार्रवाई
सीबीएन अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार टीम द्वारा जनवरी 2022 से मार्च 2025 तक जो कार्रवाई की गई है। उसमें साल दर साल कार्रवाई बढ़ी है। इससे स्पष्ट है कि किस तेजी से शहर में नशे की खैप आ रही है। वर्ष 2022 में मादक पदार्थ तस्करी के 26 मुकदमें दर्ज हुए थे। जिनमें 26 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2023 में 37 मुकदमें दर्ज हुए। जिनमें 42 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। वर्ष 2024 में मुकदमों की संख्या अचानक से दोगुनी से अधिक हो गई। 87 मुकदमें दर्ज हुए जिनमें 107 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। वहीं इस साल जनवरी से मार्च के तीन माह में ही मादक पदार्थ तस्करी के 34 मुकदमें दर्ज हुए हैं। उनमें 32 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
सवा तीन साल में 184 कार्रवाई
सीबीएन की टीम ने पिछले सवा तीन साल में मादक पदार्थ तस्करों के खिलाफ 184 कार्रवाई की है। जनवरी 2022 से लेकर मार्च 2025 तक की गई इन कार्रवाई में कुल 207 आरोपियों को भी पकड़ा गया है। जिनमें बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ भी जब्त किया गया है।
नीचम व श्योपुर से अधिक आ रहा
शहर में गांजा, अफीम व स्मैक, एमडी का नशा अधिकतर बाराबंकी, गाजीपुर के साथ राजस्थान के चित्तौड़ जिले के अलावा मध्य प्रदेश के श्योपुर व नीमच से अधिक आ रहा है। राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा से लगे होने से यहां से नशा आसानी से कोटा में भी सप्लाई हो रहा है। यह नशा छोटी-छोटी पुड़ियाओं के माध्यम से जगह-जगह थड़ी और दुकानों पर बिक रहा है।
फैक्ट फाइल
वर्ष दर्ज मुकदमें गिरफ्तार आरोपी
2022 26 26
2023 37 42
2024 87 107
2025 34 32
तीन साल में चार गुना बढ़े मामले
वर्ष 2022 में पूरे साल में जहां मात्र 26 मुकदमें दर्ज हुए और 26 ही आरोपी गिरफ्तार हुए थे। वहीं इस साल वर्ष 2025 में जनवरी से मार्च के तीन माह में ही 34 मुकदमें दर्ज कर 32 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
सीबीएन की टीमें नशे के खिलाफ जो कार्रवाई कर रही हैं वह तो नाम मात्र की है। इनकी आड़ में न जाने कितना गुना नशा शहर में आ रहा है। जिसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। यदि नशे को रोकना है तो मुख्य सप्लायर तक पहुंचना होगा। जब तक सप्लायर नहीं पकड़े जाएंगे नशे की खैप को शहर में आने से रोकना मुश्किल है।
- अनिल कारवानी, कंसुआ
बिचौलियों को पकड़ना समाधान नहीं
शहर में मादक पदार्थ सप्लाई करने वाले लोग इतने अधिक शातिर हैं कि वे सीबीएन के हाथ ही नहीं आते। ये दोनों विभाग जो कार्रवाई करते हैं। उनमें बिचौलिए ही पकड़े जाते हैं। ये भी उन्हें पकड़कर ही इतिश्री कर लेते हैं। लेकिन मुख्य सप्लायर तक नहीं पहुंच पाते। युवा पीढ़ी को बचाना है तो उन्हें नशे से दूर रखने के लिए प्रभावी कार्रवाई करनी होगी।
- महेश नागर, गोविंद नगर
शहर में अधिकतर मादक पदार्थ चित्तौड़ व नीमच से आ रहा है। इसकी जानकारी होने पर ही सीबीएन की टीम लगातार कार्रवाई कर रही है। विभाग की कार्रवाई का ही परिणाम है कि पिछले कई सालों में न केवल बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ जब्त किया गया। वरन् आरोपी भी गिरफ्तार किए गए। पहले जहां आरोपी कम पकड़े जाते थे। अब उनकी संख्या भी बढ़ी है। हालांकि मादक पदार्थ सप्लाई करने वालों की चैन काफी लम्बी है। पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ व जांच के बाद मुख्य सप्लायरों तक पहुंचने का प्रयास किया जाता है। लेकिन वहां तक पहुंचना थोड़ा मुश्किल होता है। बिचौलियों को खुद पता नहीं होता कि उनके पास माल कहां से आया और किसने पहुंचाया। छोटे-छोटे टुकड़ों में कई लोगों के शामिल होने से मुख्य सप्लायरों के पकड़े जाने का प्रतिशत काफी कम है। लेकिन नियमित कार्रवाई करने से सप्लायर में डर तो बना रहता है।
- नरेश बुंदेल, उप नारकोटिक्स आयुक्त केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो कोटा
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