बस केयर-डे योजना ने निगम की बसों की पलटी काया
कोटा डिपो में वर्तमान में 70 बसे हो रही संचालित, 7 बसे कबाड़ में पड़ी
यात्रियों को रोडवेज बसों में अच्छी सुविधाएं देने के लिए दो साल पहले रोडवेज प्रशासन की ओर से अपनी बस केयर-डे योजना शुरू की थी। पिछले दो साल में कोटा वर्कशॉप में 90 फीसदी बसों की मरम्मत एबीसीडी योजना के तहत की जा चुकी है। इस अभियान में बस के बॉडीलुक-डे, बस पेंटिंग, डेंटिंग, साफ-सफाई, इलेक्ट्रिक-डे, बस की लाइट, बैटरी चैक, वायरिंग चैक, सेफ्टी-डे के कार्यक्रम शामिल हैं।
कोटा। यात्रियों को रोडवेज बसों में अच्छी सुविधाएं देने के लिए दो साल पहले रोडवेज प्रशासन की ओर से अपनी बस केयर-डे योजना शुरू की थी। रोडवेज के तत्कालीन एमडी नवीन जैन ने दो साल पहले रोडवेज की बसों की छवि सुधारने को लेकर यह योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत रोडवेज वर्कशॉप में कार्य करने वाले कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर खराब बसों की मरम्मत कर उसे रूट पर चलने योग्य करने के टारगेट दिए थे। जिसके शुरुआती दौर में काफी सार्थक परिणाम भी आए थे। नवीन जैन के एमडी पद से हटते ही कई डिपो में यह कार्य धीरे पड़ गए। लेकिन कोटा वर्कशॉप में यहां के मैकेनिक अभी हर माह दिए टारगेट के अनुसार बसों की मरम्मत कर यात्रियों की सुविधाजनक बनाने में जुटे हुए हैं। पिछले दो साल में कोटा वर्कशॉप में 90 फीसदी बसों की मरम्मत एबीसीडी योजना के तहत की जा चुकी है। इस अभियान में बस के बॉडीलुक-डे, बस पेंटिंग, डेंटिंग, साफ-सफाई, इलेक्ट्रिक-डे, बस की लाइट, बैटरी चैक, वायरिंग चैक, सेफ्टी-डे के कार्यक्रम शामिल हैं। इसमें अलग-अलग प्रभारी लगाए गए हैं, ताकि इसकी सही तरीके से मॉनीटरिंग की जा सके। आगार प्रबंधक बसों की संख्या व आवागमन को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक डे को दो या तीन दिन तक कर सकते हैं। इसमें बसों की फोटोग्राफी के साथ बसों के रखरखाव का पूरा ध्यान रखा जाता है। ताकि बसें साफ-सुथरी नजर आएं।
आरामदाय सफर के लिए शुरू की थी केयर डे योजना
दो साल पहले राजस्थान रोडवेज की बसों में यात्रियों के सफर आरामदाय बनाने के लिए केयर-डे योजना की शुरुआत की थी। एक साल तक तो इसके काफी सार्थक परिणाम भी आए। जिसमें यात्रियों को सफर के दौरान रोडवेज की बसों में न तो हिचकोले खाने पड़े और न ही बसों में गंदगी नजर आई । ऐसा इसलिए संभव हो सका क्योंकि ‘केयर डे’ के दिन आगार प्रबंधन अपनी-अपनी बसों की ठीक से सार-संभाल कर रहे थे। 2020 से 2021 के मध्य यांत्रिक विभाग की मेहनत से कई खटारा हो चुकी बसें फिर से ठीक होकर रोड पर दौड़ने लगी जिससे बसों की कमी कुछ हद तक कम हुई। कोटा वर्कशॉप में अभी टारगेट के अनुसार ही कार्य होने से यहां की बसों की हालत अन्य डिपो से बेहतर है।
डीलक्स सुविधाओं का करा रहा एहसास
कोटा डिपो के वर्कशॉप प्रबंधक व मुख्य मैकिनल इंजिनीयर अजय मीणा ने बताया कि दो साल पहले यात्रीभार की कमी व आर्थिक संकट से जूझ रहे राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम ने यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अपनी बस केयर-डे (एबीसीडी) योजना शुरू की थी । इसमें विभिन्न मार्गों पर संचालित बसें अब नई बसों जैसी नजर आने लगी है। कोटा डिपो की 90 फीसदी बसें एबीसीडी योजना के तहत मरम्मत की जा चुकी है। इसमें बसों की सीटें, कुशन, पर्दे सहित उनकी साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यात्रियों को बसों में डीलक्स सुविधाओं जैसी अनुभूति कराने का लक्ष्य है।
वर्कशॉप में अभी 7 बसें कंडम
कोटा वर्कशॉप में अभी सात बसें ऐसी हंै जो कंडम हैं। इनकी मरम्मत हो सकती है लेकिन इनके लिए मड रूट नहीं है। ऐसे में इनकी फिलहाल मरम्मत नहीं की जा रही है। इसके अलावा कुछ ग्रामीण परिवहन की बसें भी खटारा होकर पड़ी है।
रोडवेज वर्कशॉप में बस केयर डे योजना के तहत हर माह एक से दो बसों की मरम्मत कर उन्हें यात्री सुविधा युक्त किया जाता है।
- रघुराज सिंह राजावत, मुख्य आगार प्रबंधक कोटा

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