वार्निंग कॉल से पहले ही शिकार दबोचने का हुनर सीख रहे शावक

प्रदेश की पहली बाघ रिवाइल्डिंग : किल करना और छिपाना सीखा

वार्निंग कॉल से पहले ही शिकार दबोचने का हुनर सीख रहे शावक

मुकुंदरा व रामगढ़ में दोनों शावक अब तक आधा दर्जन वन्यजीवों का कर चुके शिकार।

कोटा। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से रामगढ़ व मुकुंदरा में शिफ्ट किए रणथम्भौर की बाघिन टी-114 के दोनों शावक जंगल की चुनौतिपूर्ण परिस्थितियों में खुद को ढाल रहे हैं। दबे पैर शिकार का पीछा करना, घात लगाना, वार्निंग कॉल मिलने से पहले ही शिकार को धर-दबोचना सहित शिकार करने के तौर-तरीके सीख रहे हैं। वहीं, जंगल के दंगल में संघर्षों को पछाड़ पंजों की पकड़ मजबूत कर रहे हैं। दरअसल, दोनों शावकों ने अब तक आधा दर्जन से अधिक वन्यजीवों का शिकार कर चुके हैं। उनकी प्रोग्रेस देखते हुए रिवाइल्डिंग अपने उद्देश्यों में सफल होती नजर आ रही है। यह प्रदेश की पहली बाघ रिवाइल्डिंग है, जिसे सफल बनाने में वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक व वन अधिकारियों द्वारा सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं। 

नील गाय से चीतल तक का किया शिकार
रामगढ़ व मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के सॉफ्ट एनक्लोर में रह रहे दोनों शावक अब तक आधा दर्जन से अधिक वन्यजीवों का सफलतापूर्वक शिकार कर चुके हैं। वहीं, किल करने के बाद शिकार को झाड़ियों में छिपाना, दबे पैर शिकार पर छलांग लगाने सीख चुके हैं। रामगढ़ में नर शावक ने शिफ्ट होने के तीन दिन बाद ही व्यस्क नील गाय का शिकार कर लिया था। वहीं, मुकुंदरा में मादा शावक ने एक सप्ताह बाद किल किया था। अब तक दोनों शावक नील गाय, चीतल का शिकार कर चुकार चुके हैं। 

रिवाइल्डिंग पर है विभाग की पूरी नजर
शावकों को रिवाइल्ड कर रहे वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ. तेजेंद्र सिंह रियाड़ बताते हैं, दोनों शावक तेजी से जंगल की परिस्थितियों में खुद को ढालना सीख रहे हैं। अब इस स्टेप से आगे दबे पैर  शिकार पर घात लगाना, छलांग लगाने की डिस्टेंस, वन्यजीव को वार्निंग कॉल देकर अन्य जानवरों को खतरे के प्रति आगाज करने का मौका न देना, शिकार खुद का बचाव करना सहित  शिकार कला की अन्य बारीकियां सीखने की प्रोसेज पर आ चुके हैं। इसी तरह प्रोगे्रस रही तो जल्द ही दोनों शावकों को पूरी तरह वाइल्ड में रिलीज किए जाने की संभावना बनेगी।  हालांकि, रिवाइल्डिंग पर पूरी नजर रखी जा रही है।

रेडियोकॉलर व कैमरा ट्रैप से 24 घंटे निगरानी
दोनों शावकों के गले पर रेडियोकॉर्लर लगा हुआ है। वहीं, सॉफ्ट एनक्लोजर में पेड़ों पर लगे कैमरा ट्रैप से बाघों की 24 घंटे मॉनिटरिंग की जा रही है। शावकों की हर गतिविधियों पर वन्यजीव चिकित्सक व वन अधिकारियों द्वारा नजर रखी जा रही है। पांच हैक्टेयर के एनक्लोजर में पर्याप्त जगह मिलने से शावक करीब 8 से 10 किमी का मूवमेंट कर रहे हैं। जिससे उनका  शारीरिक विकास तेजी से हो रहा है। 

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एनक्लोजर में पर्याप्त प्रे-बेस
चिकित्सक रियाड ने बताया कि रामगढ़ की जैतपुर रैंज में नर शावक व मुकुंदरा की दरा रैंज में मादा शावक को शिफ्ट किया गया है। दोनों ही जगहों पर प्रे-बेस की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। वहीं, 5-5 हैक्टेयर के सॉफ्ट एनक्लोजर को ग्रीन नेट से पूरी तरह से कवर किया गया है। रेडियो कॉर्लर, कैमरा ट्रैप व तीन मंजिला वॉच टॉवर से 24 घंटे निगरानी की जा रही है। साथ ही मानव दखल से बिलकुल दूर व जीरो मॉबिलिटी में सुनिश्चित की गई है। 

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रिवाइल्डिंग केंद्र बनकर उभरेगा मुकुंदरा
उन्होंने बताया कि राजस्थान का यह पहला रिवाइल्डिंग का प्रयास है। सफल हुए तो प्रदेश में कोटा रिवाइल्डिंग केंद्र के रूप में उभरकर सामने आएगा।  प्रदेश के अन्य जंगलों में जहां कहीं भी अनाथ शावक होंगे तो भविष्य में उन्हें कोटा में लगाकर रिवाइल्ड किए जा सकेंगे। वनकर्मी व अधिकारी पूरी शिद्दत से सफल रिवाइल्डिंग में जुटे हैं।  

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दोनों शावक पहले अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में टाइगर के नाइट शेल्टर में थे, जो साइज में काफी छोटे थे। अब इन्हें सेमी वाइल्ड में छोड़ा गया है। इनका प्रदर्शन आशानुसार रही रहा है। इसी तरह चलता रहा शीघ्र ही इन्हें वाइल्ड में छोड़ा जाएगा। 
- डॉ. तेजेंद्र सिंह रियाड़, वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक मुकुंदरा 

रिवाइल्डिंग सही दिशा में जा रही है। दोनों शावक अब तक आधा दर्जन से अधिक वन्यजीवों का सफलतापूर्वक शिकार कर चुके हैं। मुकुंदरा में मादा शावक दो चीतल व चार नील गाय का शिकार कर चुकी है। रिवाइल्डिंग मापदंडों के अनुसार इनका प्रदर्शन बेहतर रहा है। आगे भी प्रदर्शन ऐसा ही रहा तो उच्चाधिकारियों के दिशा-निर्देश पर जल्द ही हार्ड रिलीज किया जाएगा। 
- रामकरण खैरवा, संभागीय मुख्य वन संरक्षण एवं क्षेत्र निदेशक वन विभाग 

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