असर खबर का - गांवों में पहुंचे अधिकारी, किसानों को कर रहे जागरूक
पीएम प्रणाम योजना के तहत कृषक गोष्ठियां का आयोजन शुरू
किसानों को भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने और कार्बनिक खाद का अधिकाधिक उपयोग बढ़ाने के सम्बंध में जागरूक किया गया।
कोटा । जिले में खेतों की मिट्टी की सेहत खराब होती जा रही है। पोषक तत्वों की कमी के कारण फसलों के उत्पादन के साथ गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। केमिकल तत्व मिट्टी में घुलते जा रहे है। ऐसे में अब सरकार द्वारा वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग बढ़ाकर रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के लिए पी. एम. प्रणाम योजना शुरू की गई। इसके तहत कोटा जिले में कृषि विभाग की ओर से सोमवार को जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कृषक गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें किसानों को भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने और कार्बनिक खाद का अधिकाधिक उपयोग बढ़ाने के सम्बंध में जागरूक किया गया। किसानों को बताया गया कि मिट्टी का कार्बनिक स्तर कम हो गया है। इसके शून्य स्तर पर आने पर खेती करना अंसभव हो जाता है और जमीन अनुपजाऊ बन जाती है।
पहले दिन यहां पर हुई गोष्ठियां
कृषि विभाग के अनुसार बुवाई के समय किसानों द्वारा फॉस्फेटिक उर्वरक के रूप में डीएपी के उपयोग का प्रचलन अधिक है। कृषकों का फॉरपोटिक उर्वरक के रूप में केवल डीएपी पर अधिक निर्भर होने के कारण इसे उपलब्ध कराने में कठिनाई आती है एवं भूमि में संतुलित पोषक तत्वों की भी आपूर्ति नहीं होती है। इस कारण किसानों को जागरूक करने के लिए समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन के तहत जिले में कृषक गोष्ठियों का आयोजन शुरू किया गया है। सोमवार को जिले के चेचट, पीपल्दा, काल्याखेड़ी व देवलीखुर्द में गोष्ठी आयोजित की गई। इसमें एसएसपी के अधिक से अधिक उपयोग करने के बारे में किसानों को प्रोत्साहित किया गया। अब नैनो उर्वरको के उपयोग को बढ़ावा दिया जाकर परम्परागत उर्वरकों पर निर्भरता कम करने के प्रयास किए जा रहे है।
नवज्योति ने प्रमुखता से उठाया था मामला
जिले के खेतों में मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग नहीं के कारण फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के लक्षण मिले हैं। इस सम्बंध में दैनिक नवज्योति में 11 मई को प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया गया था। इसमें बताया था कि उर्वरा शक्ति कमजोर होने से भी मिट्टी से पैदा हो रही उपज में पोषक तत्वों की कमी होने लगी है। केमिकल तत्व मिट्टी में घुलते जा रहे है। इसमें पीलापन, शिराओं का सफेद होना, बौनापन, फल फटना आदि लक्षण प्रमुख हैं। इससे फसलोत्पादन में गिरावट आती है। इसलिए यह आवश्यक है कि मुख्य पोषक तत्वों के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी प्रयोग किया जाना चाहिए। अब विभाग द्वारा सोमवार से कृषक गोष्ठियों के माध्यम से किसानों को फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों के उपयोग की सलाह दी जा रही है, ताकि अधिक उत्पादन हो सके।
इनका कहना है
किसानों को पोषक तत्वों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने से वह रासायनिक खाद का उपयोग अधिक करते हैं। इस सम्बंध में कृषि विभाग का यह अभियान किसानों के लिए काफी फायदेमंद होगा। विभाग को यह अभियान निरन्तर चलाना चाहिए।
- राजेन्द्र धाकड़, किसान
कृषि विभाग की ओर से सोमवार को जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कृषक गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें किसानों को भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने और कार्बनिक खाद का अधिकाधिक उपयोग बढ़ाने के सम्बंध में जागरूक किया गया। यह आयोजन आगामी दिनों में भी जारी रहेगा।
- अतीश कुमार शर्मा, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग
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