चार साल से गड्ढों में दबा फुटबॉल मैदान, अभ्यास के लिए भटकते खिलाड़ी
अभावों के बावजूद उपविजेता टीम, फिर भी सुविधाओं से वंचित
बजट मिला, फिर भी मैदान बदहाल,रोज प्रैक्टिस से पहले ग्राउंड की तलाश।
कोटा। हाड़ौती संभाग का एकमात्र राजकीय फुटबॉल छात्रावास नयापुरा स्थित वोकेशनल स्कूल इन दिनों बदहाली की तस्वीर बना हुआ है। यहां का फुटबॉल मैदान पिछले चार वर्षों से गड्ढों, झाड़-झंकाड़ और गंदगी के ढेर में तब्दील है। हालत यह है कि खेलना तो दूर, मैदान पर चलना भी मुश्किल हो गया है। विडंबना यह है कि मैदान के विकास के लिए 2022 में मिला एक करोंड से ज्यादा का बजट उपलब्ध होने के बावजूद आज तक कार्य पूरा नहीं कराया गया। नतीजतन, प्रदेशभर से यहां आने वाले प्रतिभाशाली खिलाड़ी अभ्यास के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। मैदान के अभाव में फुटबॉल गतिविधियां ठप होती जा रही हैं। यदि समय रहते मैदान का विकास कराया जाए, तो कोटा से और भी बेहतर खिलाड़ी निकल सकते हैं। अब सवाल यह है कि आखिर कब जागेंगे जिम्मेदार और कब इन खिलाड़ियों को उनका हक ओर खेलने लायक मैदान मिलेगा।
बजट के बावजूद नहीं हुआ विकास
छात्रावास के विकास के लिए तत्कालीन सरकार द्वारा एक करोंड रुपये से ज्यादा का बजट केडीए को उपलब्ध कराया गया था। गत वर्ष हॉस्टल में नए कमरों का निर्माण तो हो गया, लेकिन मैदान में मिट्टी भराव और समतलीकरण का काम अधूरा रह गया। मैदान में केवल सीढ़ियां बन पाई हैं, जबकि खेलने योग्य सतह आज तक तैयार नहीं हो सकी। ठेकेदार का तर्क है कि ह्लबजट ओवर हो गया, काम भी ओवरह्व, लेकिन खिलाड़ियों के लिए समस्या जस की तस बनी हुई है।
प्रैक्टिस के लिए रोज जद्दोजहद
पिछले तीन साल से खिलाड़ी अपने ही मैदान में अभ्यास नहीं कर पा रहे। मजबूरी में उन्हें करीब 500 मीटर दूर स्टेडियम तक पैदल जाना पड़ता है। वहां भी पहले से कई अकादमियों की टीमें अभ्यास करती रहती हैं, ऐसे में कई बार बिना खेले लौटना पड़ता है। रोजाना दो से ढाई घंटे की आवश्यक प्रैक्टिस ग्राउंड के अभाव में पूरी नहीं हो पाती।
झाड़ियों में तब्दील मैदान, जहरीले जीवों का डर
करीब 100़100 साइज के इस मैदान में झाड़-झंकाड़ उग आए हैं, जिससे जहरीले जीव-जंतुओं की आशंका बनी रहती है। जगह-जगह गंदगी के ढेर हैं। यह स्थिति न केवल खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि खेल के प्रति प्रशासनिक उदासीनता को भी उजागर करती है।
अभावों में भी चमकी प्रतिभा
इन तमाम अव्यवस्थाओं के बावजूद छात्रावास की टीमों ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उपविजेता स्थान हासिल किया। एक खिलाड़ी का राष्ट्रीय टीम में चयन भी हुआ है। राज्य स्तरीय टूनार्मेंट में भी अधिकांश खिलाड़ी इसी छात्रावास के हैं, लेकिन नियमित अभ्यास के बिना प्रदर्शन पर असर पड़ना तय है।
यह कोटा के खेल जगत के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक स्थिति है कि जिस वोकेशनल हॉस्टल से देश को कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी मिले, आज उसी संस्थान का खेल मैदान बदहाली का शिकार है। मैदान की जर्जर हालत के कारण खिलाड़ी लंबे समय से अभ्यास और प्रतियोगिता की तैयारी में गंभीर कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। यह न केवल खिलाड़ियों के भविष्य के साथ अन्याय है, बल्कि कोटा की खेल परंपरा पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। इस गंभीर समस्या का शीघ्र और स्थायी समाधान किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
- तीरथ सांगा, सचिव जिला फुटबॉल संघ, कोटा
मैदान की बदहाल स्थिति को लेकर खिलाड़ी और मैने पहले भी अपने स्तर पर कई बार प्रयास करें हैं और आज भी लगातार आवाज उठा रहे हैं। संबंधित अधिकारियों को बार-बार अवगत करवाने के बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं। नतीजा यह है कि अभ्यास के अभाव में खिलाड़ियों का भविष्य प्रभावित हो रहा है और उन्हें रोजाना परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आखिर कब खिलाड़ियों को उनका हक मिलेगा
- प्रवीण विजय, फुटबॉल कोच
इनका कहना है
मामला संज्ञान में आया है। यदि किसी स्तर पर कोई अनियमितता या चूक पाई जाती है, तो उसकी निष्पक्ष जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। कोशिश रहेगी की कोटा के खिलाडियों को खेलने के लिए अच्छा मैदान उपल्बध हो सके।
-मुकेश चौधरी, सचिव केडीए

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