विश्व मेडिटेशन-डे पर हुआ विशेष राजयोग ध्यान शिविर, गीता ज्ञान शिविर का समापन
गीता का मूल संदेश कर्मों की शुद्धता
ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी वीणा दीदी ने कहा कि गीता का मूल संदेश कर्मों की शुद्धता है। मनुष्य जैसा सोचता है, वैसा कर्म करता है और उन्हीं कर्मों से उसका जीवन निर्मित होता है।
जयपुर। ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी वीणा दीदी ने कहा कि गीता का मूल संदेश कर्मों की शुद्धता है। मनुष्य जैसा सोचता है, वैसा कर्म करता है और उन्हीं कर्मों से उसका जीवन निर्मित होता है। राजयोग ध्यान के अभ्यास से विचार, वाणी और कर्म में सकारात्मक परिवर्तन संभव है। दीदी रविवार को वैशाली नगर स्थित प्रभु निधि सभागार में त्रिदिवसीय गीता ज्ञान शिविर के समापन समारोह को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित कर रहीं थीं। समापन दिवस पर गीता में प्रतिपादित कर्म सिद्धांत, आत्मिक शुद्धता और जीवन निर्माण पर गहन विचार प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर जयपुर व्यापार महासंघ के अध्यक्ष सुभाष गोयल एवं बनीपार्क धर्मार्थ संस्थान के सचिव विरेंद्र परवाल विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। जयपुर सबजोन प्रभारी राजयोगिनी सुषमा दीदी ने कर्मयोग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परिस्थितियां नहीं बल्कि हमारे कर्म ही हमारे भाग्य का निर्माण करते हैं।
ईश्वर स्मृति में किए गए कर्म आत्मिक शांति और संतुलन प्रदान करते हैं। विश्व मेडिटेशन डे के अवसर पर विशेष राजयोग ध्यान सत्र आयोजित किया गया, जिसमें उपस्थित जनसमूह ने शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव किया। केंद्र प्रभारी राजयोगिनी चंद्रकला दीदी एवं राजयोगिनी लक्ष्मी दीदी ने बताया कि शिविर में बड़ी संख्या में नागरिकों ने सहभागिता कर गीता ज्ञान से जीवन परिवर्तन की प्रेरणा प्राप्त की। कार्यक्रम का समापन शांति संदेश और सकारात्मक संकल्प के साथ हुआ।

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