युवाओं में पिछले साल से इस साल 10 फीसदी हार्ट अटैक बढ़े

शरीर अटैक से पहले देता है चेतावनी, युवा करते हैं नजरअंदाज

युवाओं में पिछले साल से इस साल 10 फीसदी हार्ट अटैक बढ़े

30 से 40 की उम्र के लोगों को ज्यादा आ रहा साइलेंट अटैक ।

कोटा। केस 1 - हॉकी खेलते आया अटैक 
शहर के वर्कशॉप के मैदान में 26 जनवरी को 30 साल के कोचिंग अध्यापक पकंज सोनी की  हॉकी खेलते समय खेल के दौरान अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई।  साथी खिलाड़ी उसे अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन तब तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी। मृतक का विवाह लगभग एक वर्ष पहले ही हुआ था। 

केस 2 - पुलिस ट्रेनिंग के दौरान हुई मौत
झालरापाटन में 18 फरवरी को  पुलिस ट्रैनिग सेंटर में प्रशिक्षण ले रहे 28 साल के जवान जितेंद्र सिंह को अचानक सीने में दर्द हुआ। दर्द बढ़ने पर अस्पताल लेकर गए वहां उसकी मौत हो गई। 

केस 3 - समय पर इलाज मिलने से बची जान
कुन्हाडी क्षेत्र में 16 फरवरी को बाइक चलते 45 वर्षीय अधिवक्ता अश्विनी शर्मा को अचानक सीने में दर्द हुआ। उन्होंने यातायात कर्मियों से सहायता ली उन्हें भी साइलेंट अटैक आया उन्हें तुरंत सीपीआर देकर अस्पताल पहुंचाया। जिससे उनकी जान बच गई। 

केस 4 - समय पर अस्पताल पहुंचने से बची जान
15 जनवरी को 32 साल के  राहुल बैरागी  को अचानक चक्कर आया गिर पड़ा अस्पताल लेकर गए जांच साइलेट अटैक आना बताया युवक कोलेस्टॉल बढ़ा हुआ था। इस दौरान युवक लीवर और किडनी में समस्या हो गई है। युवक इलाज चल रहा है। वहीं कुन्हाडी में एक युवक बाइक चलाने के दौरान अचानक सीने में दर्द हुआ। गाड़ी रोकर डिवाइड पर बैठ गया लोगों ने उसे अस्पताल पहुंचाया उसको साइलेट अटैक आया। यह तो एक उदाहरण है ऐसे केस रोज आठ से दस आ रहे है। खराब जीवनशैली, खानपान, शारीरिक व्यायाम की कमी और कम पौष्टिक वाले आहार के कारण युवा  में हाई कोलेस्ट्रॉल के स्तर में वृद्धि हो रही है।

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कोटा में युवाओं में तेजी से साइलेंट अटैक के मामले बढ़ रहे। पिछले साल की अपेक्षा इस साल दस फीसदी अटैक के मामले बढ़ गए है। हर साल बड़ी संख्या में लोग इस घातक बीमारी के शिकार हो रहे हैं। दिल की बीमारियों के कारण ही हर साल बढ़ी संख्या में लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ रही है। इसका एक सबसे बड़ा कारण लाइफ स्टाइल और खराब खानपान है। इसमें हार्ट ब्लॉकेज की समस्या आम होती जा रही है। बुजुर्गों में होने वाली यह बीमारी युवाओं को भी तेजी से प्रभावित कर रही है। युवा वाहन चलाते समय, खेलते समय और कम्प्यूटर पर काम करने के दौरान अटैक के शिकार हो रहे है। हाड़ौती संभाग में पिछले कुछ महीनों से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसमें युवाओं की संख्या ज्यादा हो गई है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होने पर नींद में हार्ट अटैक या फिर ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है। एमबीएस, नवीन चिकित्सालय अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों में रोजाना 100 से अधिक मरीजों का कोलेस्ट्रॉल टेस्ट कराया जा रहा है। जिसमें से 75 फीसदी मरीजों को दिक्कत मिल रही है। इसमें 60 से 65 फीसदी युवा वर्ग के पुरुष व महिलाएं शामिल हैं। इसका बड़ा कारण ये सामने आ रहा है कि लोगों का लाइफ स्टाइल डिस्टर्ब हो गया है। 

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इस वजह से युवाओं में भी बढ़ रहा हार्ट अटैक का खतरा: वरिष्ठ हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. हंसराज मीणा ने बताया कि आजकल युवाओं में हार्ट अटैक के केस बढ़ रहे पिछले साल की अपेक्षा इस साल दस फीसदी बढोत्तरी हुई है। हम जो भी खाना या फूड खाते हैं, उसका असर हमारी धमनियों पर पड़ता है। अधिक तला हुआ, फैट युक्त और मीठा खाना खाने से शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है। ये धीरे-धीरे धमनियों में जमा होकर उन्हें संकरा कर देता है। इसके कारण ब्लड सकुर्लेशन रुक जाता है। जब रक्त हृदय तक नहीं पहुंच पाता तो दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। रक्त वाहिकाएं शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए अधिक मेहनत करती हैं। इससे ब्लड प्रेशर और हृदय गति बढ़ जाती है। इससे हार्ट को खून पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में हार्ट में ब्लॉकेज और अटैक का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

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ऐसे पहचानें कि दिल का दौरा पड़ा है
इसकी पहचान आसान है। मुट्ठी बांधकर सीने पर जहां दर्द हो वहां रखें। जहां मुट्ठी रखी है, उसके पूरे हिस्से में दर्द हो रहा है और छाती से गर्दन या बाएं हाथ की ओर बढ़ रहा है। यह दर्द 20 मिनट से ज्यादा समय रह रहा है तो हार्ट अटैक होने की आशंका अधिक रहती है। यह कई बार बैठे-बैठे होता है तो कई बार चलने पर। इसके अलावा सांस लेने में दिक्कत, पैरों में पसीना आना, चक्कर व बेहोशी महसूस होना भी इसके लक्षण हैं।

ऐसे कर सकते बचाव
डॉ. संजय सायर ने बताया कि हार्ट अटैक को पहले दवा से कंट्रोल किया जा सकता है और फिर उसे कम किया जा सकता है, लेकिन उन्होंने बताया कि शुरूआत में दवा जरूरी है। दवा के अलावा, रोगी के लिए भोजन और पेय पर भी पूरा ध्यान देना महत्वपूर्ण है। ऐसे फूड्स खाएं जो शरीर में खून के थक्के और रुकावटों को कम करते हैं। इसके अलावा सुनिश्चित करें कि आपके आहार में काबोर्हाइड्रेट और फैट कम हो सकता। इसके अलावा प्रोटीन और विटामिन से भरपूर फूड्स खाएं। हार्ट की हेल्थ के लिए मानसिक तनाव एक अहम योगदान देता है। ऐसे में मानसिक तनाव से बचने के लिए समय पर सोएं और समय पर उठें, शरीर को अच्छा आराम मिले और स्ट्रेस फ्री माइंड रहे। हार्ट की हेल्थ के लिए कुछ जरूर बातों का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है। इससे हार्ट की हेल्थ अच्छी बनी रहती है। इसमें उचित आहार और व्यायाम से इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। समय पर ध्यान देने से दवाओं और जीवनशैली में बदलाव के साथ धमनी स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है। प्रतिदिन 30-40 मिनट तेज चलना, योग और प्राणायाम करने से हार्ट मजबूत होता है। साइकिल चलाना, तैरना और हल्की दौड़ना भी लाभदायक है। इसके अलावा ध्यान और गहरी सांस लेना भी दिल के लिए अच्छा होता। रात को अच्छी नींद लें, क्योंकि कम नींद का दिल पर बुरा असर पड़ता है। 

इनका कहना है
एक स्वस्थ व्यक्ति के दिल की नसों में क्लॉटिंग परत जमा होती है। तनाव लेने पर बीपी बढ़ने से कई बार वह परत फट जाती है। इससे हार्ट अटैक आ जाता है। युवाओं व खिलाड़ियों को भी समय समय पर अपनी कॉर्डियक जांच अवश्य करवानी चाहिए।
- डॉ. हंसराज मीणा, हृदय रोग विशेषज्ञ, आचार्य कोटा मेडिकल कॉलेज

युवाओं हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों में सबसे ज्यादा तो अनहेल्दी लाइफ स्टाइल, लंबे समय तक बैठकर काम करना। जंकफूड्स और तैयार फूड्स का प्रयोग ज्यादा करना, जॉब को लेकर युवाओं तनाव की अधिकता, युवाओ  में स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता की कमी है। युवा को चेस्ट समस्या होती वो इसको गैस और सीने का दर्द मानकर इंग्नोर करता है। जिससे युवाओ हार्ट अटैक के केस बढ़ रहे। 
- डॉ. मनोज सलूजा, आचार्य विभागाध्यक्ष मेडिसन विभाग मेडिकल कॉलेज कोटा

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