कागजों में कैद होकर रह गई जंगल सफारी
अभेड़ा से सटे सकतपुरा वनखंड की 1100 हैक्टेयर
विधायक संदीप शर्मा ने विधानसभा में उठाया था मामला।
कोटा। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से सटे कोटा वनमंडल की 1100 हैक्टेयर वनभूमि पर वाइल्ड लाइफ सफारी शुरू किए जाने की योजना कागजों में कैद होकर रह गई। जबकि, वन्यजीव विभाग ने इस भूमि को वाइल्ड लाइफ में शामिल किए जाने के लिए उच्चाधिकारियों को प्रस्ताव तक भेजे, जिस पर अमल करना तो दूर एक साल बाद भी फाइल आगे नहीं बड़ी। जबकि, सकतपुरा वनखंड में बड़ी संख्या में वन्यजीवों का बसेरा है। ऐसे में यहां जंगल सफारी शुरू किए जाने से सरकार को राजस्व प्राप्त होगा। साथ ही वन्यजीवों की सुरक्षा भी पुख्ता होगी। दरअसल, कोटा वनमंडल का सकतपुरा वनखंड अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से सटा है, जो प्रस्तावित कोटा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट शंभुपुरा तक 1100 हैक्टेयर में फैला हुआ है। यहां बड़ी संख्या में शाकाहारी व मांसाहारी वन्यजीवों की मौजूदगी है। ऐसे में यह एरिया कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किए जाने से यह वनक्षेत्र संरक्षित हो जाएगा। वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 प्रवाही होने से जंगली-जानवरों व जंगल की सुरक्षा बढ़ जाएगी। वन्यजीव विभाग इसे कंजर्वेशन रिजर्व में तब्दील किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। विभाग ने गत 20 जुलाई को विधानसभा सत्र-2 में विधायक संदीप शर्मा द्वारा लगाए सवालों के जवाब से इसकी जानकारी दी थी।
भालू से लेकर पैंथर तक का बसेरा
वन्यजीव विभाग के डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि सकतपुरा वनक्षेत्र में बड़ी तादात में वन्यजीवों का बसेरा है। यहां भालू से लेकर पैंथर का मूवमेंट रहता है। इस क्षेत्र में चिंकारा की संख्या अच्छी है। साथ ही इंडियन वुल्फ, जैकाल, फॉक्स, नीलगाय, जंगली खरगोश, जंगली बिल्ली, जंगली सूअर, सिवेट, भालू, पैंथर, मोनिटर लिजार्ड सहित कई वन्यजीव शामिल हैं। ऐसे में इसे कंजरर्वेशन रिजर्व बनाकर वाइल्ड लाइफ सफारी शुरू करने की योजना है। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक के माध्यम से मुख्यालय भेजे गए हैं।
कंजर्वेशन रिजर्व बनने पर बढ़ेगी जंगल और जीवों की सुरक्षा
वन्यजीव पे्रमी नरेश कुमार ने बताया कि वर्तमान में सकतपुरा वनक्षेत्र में अवैध गतिविधियां हो रही है। जिससे वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है। संदिग्ध घुसपैठ होने से जंगली जानवरों का पलायन बढ़ रहा है। अभी तक यह एरिया साधारण वनक्षेत्र है। ऐसे में इसे कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किया जाना अति आवश्यक है। वनक्षेत्र का स्टेटस चेंज होते ही यहां वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 प्रभावी होगा। साथ ही विभिन्न मदों में विभाग को बजट प्राप्त होगा। जिससे सुरक्षा दीवार का निर्माण, वाटर कनजरर्वेशन स्ट्रेक्चर, ट्रैकिंग ट्रेक, ग्रासलैंड विकसित करने सहित अन्य डवलपमेंट कार्य हो सकेंगे।
जंगल सफारी शुरू होने से बढ़ेगा ट्यूरिज्म
नेचर प्रमोटर एएच जैदी ने बताया कि 1100 हैक्टेयर का सकतपुरा वनखंड घना जंगल है। शाकाहारी व मांसाहारी वन्यजीवों की तादाद भी ज्यादा है। सबसे अहम बात शहर के मध्य स्थित होने से लोगों की पहुंच में है। ऐसे में यहां वन्यजीव विभाग की ओर से जंगल सफारी शुरू की जाए तो शहरवासियों को एडवेंचर मिलेगा और ट्यूरिज्म को पंख लगेंगे।
इधर, दम तोड़ रही मुकुंदरा की सफारी
पर्यावरणविद् सत्यनारायण कुमार ने बताया कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दरा अभरारणय में जंगल सफारी शुरू हुए करीब दो साल बीत चुके हैं। फिर भी सफारी परवान नहीं चढ़ सकी। हालात यह है, शहर से दरा जाने वाले पर्यटकों को 50 किमी का चक्कर काटने के बाद भी वन्यजीवों की साइटिंग नहीं हो रही। मजबूरन उन्हें वापस 50 किमी का तय कर बैरंग लौटना पड़ता है। जबकि, सकतपुरा वनखंड शहर के मध्य स्थित है। यहां टाइगर को छोड़ अन्य मांसाहारी व शाकाहारी जानवरों का हैबीटाट है। ऐसे में यहां जंगल सफारी परवान चढ़ सकती है। वन विभाग के आला अधिकारियों को प्रस्ताव पर संज्ञान लेना चाहिए।
अवैध खनन व अतिक्रमण पर लगेगी रोक
वाइल्ड लाइफ रिसर्चर रवि नागर ने बताया कि वनमंडल का सकतपुरा वनक्षेत्र को सेंचुरी का दर्जा मिलता है तो यह संरक्षित हो जाएगा। चारों ओर सुरक्षा दीवार का निर्माण होने से अवैध खनन, संदिग्ध घुसपैठ व अवैध चराई जैसी गतिविधियों पर लगाम लगेगी। जिससे वहां ग्रासलैंड विकसित होगा। जिसका असर वन्यप्राणियों का प्राकृतिक आवास सुरक्षित होगा और शाकाहारी वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। जिससे फूड चैन व पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होने के साथ उनकी सुरक्षा भी बढ़ सकेगी।
सकतपुरा वनखंड का 1100 हैक्टेयर वन क्षेत्र को वाइल्ड लाइफ में शामिल करने के लिए उच्चाधिकारियों को प्रस्ताव भेजे गए हैं। यह एरिया वाइल्ड लाइफ में आ जाए तो इसका मैनेजमेंट बेहतर हो सकेगा। वहीं, इसे अभेड़ा कंजर्वेशन रिजर्व बनवाकर वाइल्ड लाइफ सफारी शुरू करने की योजना है। इस संबध में मुख्य वनसंरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक के माध्यम से प्रस्ताव वन मुख्यालय भेजा गया है। कंजर्वेशन रिजर्व बनने पर अतिक्रमण, अवैध खनन जैसी अवैध गतिविधियों पर लगाम लग सकेगी और ट्यूरिज्म बढ़ सकेगा।
- अनुराग भटनागर, उप वन संरक्षक, वन्यजीव विभाग

Comment List