सरिस्का में चारागाह विकास की बड़ी पहल, वन्यजीव संरक्षण को नया आधार देने वाली कार्यशाला आयोजित
अकबरपुर रेंज में बीज संग्रहण और घास प्रबंधन पर प्रशिक्षण
सरिस्का बाघ परियोजना की उमरी चौकी पर चारागाह विकास और बीज संग्रहण पर कार्यशाला आयोजित हुई। 500 हैक्टेयर क्षेत्र में स्वदेशी घास रोपण और खरपतवार उन्मूलन कार्य जारी है। यह पहल चीतल, सांभर और अन्य वन्यजीवों के लिए बेहतर चारा उपलब्ध कराकर सरिस्का की पारिस्थितिकी को मजबूत करेगी।
अलवर। सरिस्का बाघ परियोजना के उमरी चौकी पर 4 दिसंबर को पूर्व सहायक वन संरक्षक सतीश शर्मा द्वारा चारागाह विकास और बीज संग्रहण पर विशेष कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें सरिस्का के सभी रेंज स्टाफ ने भाग लेकर बीजों के प्रकार, संग्रहण, घास प्रजातियों की पहचान और बीजारोपण तकनीकों पर गहन चर्चा की।
500 हैक्टेयर में चारागाह विस्तार और खरपतवार उन्मूलन जारी
परियोजना क्षेत्र में 500 हैक्टेयर में चारागाह विकास, स्वदेशी घास—धामण, दूब, करड़, फूलेरा—का रोपण तथा जल-संरक्षण एवं मृदा स्थिरीकरण के कार्य प्रगति पर हैं। वहीं लेन्टाना, पार्थेनियम और जुलीफ्लोरा जैसी हानिकारक प्रजातियों को वैज्ञानिक विधियों से हटाया जा रहा है।
वन्यजीवों के लिए समृद्ध चारा और मजबूत पारिस्थितिकी
यह पहल चीतल, सांभर, नीलगाय तथा अन्य वन्यजीवों के लिए बेहतर चारा उपलब्ध कराएगी और सरिस्का की जैव विविधता व आहार श्रृंखला को दीर्घकालिक मजबूती प्रदान करेगी।

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