जंक फूड खतरनाक : दादी की किचन के पुराने नुस्खे सेहत का खजाना

जंक फूड्स के दुष्प्रभाव पाठ्यक्रम में शामिल हों

जंक फूड खतरनाक : दादी की किचन के पुराने नुस्खे सेहत का खजाना

जंक फूड्स से बचाव के लिए माता-पिता व टीचर करें जागरूक क्योंकि जंक फूड बीमारियों का वाहक है।

कोटा। दैनिक नवज्योति कार्यालय में होने वाली मासिक परिचर्चा की श्रृंखला में गुरुवार को (हाउ टू रिड्यूज जंक फूड इंटेक इन यंग्स्टर एन्ड इनक्रीज हेल्दी डाइट) जंक फूड से बच्चों की हेल्थ को हो रहे नुकसान और हेल्दी डाइट में कैसे वृद्धि करें  इस विषय को लेकर चर्चा की गई। परिचर्चा में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों ने कहा कि इसके लिए हमारा पुराना खानपान, हमारा कल्चर, जीवन जीने की शैली,हमारी सब्जियां, फ्रूट जिन्हें हम भूल रहे हैं उन्हें फिर से अपनाने की जरूरत है। इसके साथ बच्चों को जागरुक करने की भी जरूरत है। संभागियों का कहना था कि हमारी पुरानी रसोई जो दादा दादी के समय चलती थी उसकी फिर से जरूरत है। आज हम जंक फूड से बच नहीं सकते लेकिन इसे कम कर सकते हैं। संभागीयों ने जंक फूड से नुकसान को छोटी क्लास के सेलेबस में शामिल करने तक की बात कही। इससे होने वाली बीमारियों व महामारी का रूप लेता जंक फूड पर भी चर्चा की। इस परिचर्चा में जहां गेस्ट्रोएन्ट्रोलॉजिस्ट, पीडियाट्रिक,न्यूट्रिशियन काउंसलर, डायटीशियन, फूड प्रस्तुत करने वाले, फूड को लेकर दीवाने टीन, बच्चे, उनके माता पिता,के साथ वनस्पति विशेषज्ञ, जिम संचालक, योग गुरू आदि ने हिस्सा लिया।  प्रस्तुत हैं परिचर्चा के अंश... 
 
हेल्दी भोजन शरीर के लिए जरूरी
आजकल रेडी टू ईट के नाम पर कुछ भी परोसा जा रहा है। जिससे बच्चे बीमार हो रहे है। बच्चों को जंक फूड की ओर आकर्षित करने के लिए टीवी पर दिनभर विज्ञापन चलते रहते हैं। ऐसे में यह यक्ष प्रश्न है कि बच्चों को हेल्दी खाना क्या दें इस पर पूरा फोकस होना चाहिए। जीरो से 5 साल के बच्चों को कैफिन से दूर रखना चाहिए। बच्चे को दो समय समझाने के लिए बेहतर होते है। एक कुक टाइम दूसरा बेड टाइम खाने के समय और सोने के समय ही बच्चे को अच्छे और बुरे के बारे में विस्तार समझा सकते है। जंक फूड वो जिसमें नमक ज्यादा, फेट और चीनी ज्यादा कैलेरी ज्यादा हो जंक फूड होता है। जंक फूड में विटामिन और मिनरल कम होते है। अल्ट्रा प्रोसस फूड नुकसान पहुंचाते है। एनर्जी ड्रिंक का चलन भी ज्यादा है जो नुकसान दायक है। माता पिता को अपने खाना बनाने के तरीके में बदलाव करना होगा। खाने में पौष्टिक चीजों की वेराइटी देनी होगी। कैफिन वाले डिंÑक नहीं देने होंगे। इसके नुकसान बताने होंगे।
- डॉ. अविनाश बंसल, शिशुरोग विशेषज्ञ

स्कूली सेलेबस में शामिल होना चाहिए
लोग चाहकर भी जंक फूड से बच नहीं पा रहे हैं। बच्चों में आउटडोर एक्टीविटी कम हो गई है। मोबाइल देखते हुए चिप्स, नमकीन, पिज्जा बर्गर फास्ट फूड खाते हैं। जिससे शरीर में फेट बढता है। शारीरिक गतिविधियां कम होने से फेट लिवर में जमा होने लगता है बच्चे फेटी लिवर का शिकार हो जाते है। बच्चों में ओबीसीटी बढ़ रही है। 6 से 10 तक की कक्षा के बच्चों के पाठ्क्रम में हेल्दी फूड का पाठ होना चाहिए। क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए और जंक फूड फास्ट फूड की हानि के बारे में विस्तार से बताए। छोटे बच्चों को मोबाइल नहीं दे। रोकथाम बचपन से ही करनी होगी। बच्चों को नैतिकता सिखाने के  लिए वह अपने माता पिता की बात मानें इसके लिए बचपन में ही उन्हें राजा हरिचंद्र और दूसरा श्रवण कुमार की कहानी बतानी चाहिए। इससे बच्चों का सर्वागीण विकास हो सकता है। 
- डॉ. अनिल शर्मा, आचार्य ग्रेस्ट्रो मेडिकल कॉलेज 

योग से मन होता कंट्रोल
जीवन शैली में बदलाव करने से हम जीवन में बहुत कुछ चेंज कर सकते है। हमारे आहार विहार को ठीक करने मन  स्थिर हो जाता है। योग से हम जंक फूड से जंग कर सकते हैं। योग हमारे मस्तिष्क को नियंत्रण करने में काफी सहायता करता है। योग का नियमित अभ्यास करने से मन पर काबू करना सीख सकते जिससे हम अनहेल्दी चीजे नहीं खाएंगे। योग करने से आत्म विश्वास बढ़ता है। योग करने मन पर पूरा कंट्रोल आ जाता फिर आपके सामने पिज्जा बर्गर जंक फूड रखा होगा वो भी आप नहीं खाएंगे। जैसा खाएंगे अन्न वैसा बनेगा मन । शुद्ध आहार के लिए बच्चों को बचपन से संस्कार देने होंगे। हेल्दी और जंक फूड में अंतर बताना होगा। डिब्बा बंद सामानों पर लिखे कोड को बच्चों को समझाना होगा। क्या खाना चाहिए और क्या नहीं यह जिम्मेदारी माता पिता की है। किचन में हेल्दी और टेस्टी चीजें बनेगी तो बच्चे बाहर की चीजें  अपने आप खाना छोड देंगे। 
- वसुधा राजावत योगा इंस्ट्रेक्टर 

जंक फूड से जंग करने का समय
हमारे जीवन में पाश्चात्य संस्कृति और खान पान  हावी होता जा रहा है। जिसके चलते बच्चे से लेकर बडे तक बीमार हो रहे हैं। आज जंक फूड का चलन इतना बढ गया है कि लोग अपने घर का खाना और पुराने हेल्दी खाने की वस्तुओं को खाना भूलते जा रहे हैं। आज जंक फूड से जंग करने का समय है। पहले के समय सुबह के नाश्ते लेकर रात के खाने में पूरा सांइस छिपा था। हमारे घर के किचन में पूरे परिवार के स्वास्थ्य का राज होता था। उसको लोग भूल रहे हैं। लापसी, दलिया, सत्तू,चना, मुरमुरे लोग खाना भूल गए है। किचन से 36 प्रकार के औषधि मसाले गायब हो गए हैं। जिससे लोग अब जंक फूड की ओर आकर्षित हो रहे हंै। अब समय आ गया है कि हमें पुराने खानपान की ओर लौटना होगा।
- पृथ्वीपाल सिंह, वनस्पति विशेषज्ञ

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घर पर ही बनाएं स्वादिष्ट चीजें
जंक फूड का चलन अब लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अब तो घर के बाहर ही यह फूड मिलने लगा है। बाजार में पैक्ड सामान भी शरीर के लिए जहर बनता जा रहा है। ऐसे में हमें बच्चों को जंक फूड से होने वाले नुकसान के बारे में बताना होगा। उनके जिद करने पर उन्हें धीरे-धीरे समझाएं। इसके अलावा घर पर स्वादिष्ट चीजें बनानी चाहिए, जो बच्चों को अच्छी लग सके। आटा सहित अन्य खाद्य सामग्री के आयटम पीजा-बर्गर के शेप में बनाकर बच्चों को खिलाएं। शुरुआत में तो बच्चे खाने में आनाकानी करेंगे, लेकिन बाद में अच्छा टेस्ट आने पर खाने लगेंगे। हर पैरेंटस को इस तरह का प्रयास करना चाहिए।
- सुनीता माथुर, पैरेंटस

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डाइट हेल्दी होगी तो बॉडी भी हेल्दी बनेगी
पैरेंटस बच्चों को सेहत बनाने के लिए जिम में तो भेज देते हैं, लेकिन उनके खान-पान के बारे में ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। जबकि जिम के साथ-साथ डाइट का ध्यान रखना भी जरूरी है, तभी तो शरीर स्वस्थ रह सकता है। जंक फूड के पैकेट पर क्या लिखा है इसकी समझ किसी को नहीं है। लोगों को पता होना चाहिए कि पैकेट में क्या नुकसानदायक चीज है। सरकार को इसके लिए प्रयास करने चाहिए।  मेरा मानना है कि इस मामले में पैरेंटस को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों को जंक फूड खाने से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी देनी चाहिए। उन्हें बताएं कि जिम जाने का फायदा तभी होगा जब साथ में हेल्दी डाइट लोगे। जिम में आने वाले बच्चों को भी हम जंक फूड से दूर रहने की सलाह देते रहते हैं। अगर डाइट हेल्दी होगी तो बॉडी भी हेल्दी बनेगी।     
- विवियन तिमोती, फिटनेस ट्रेनर

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असंतुलित आहार और जंक फूड कर रहा बीमार
आजकल स्कूल कॉलेज में बर्थ डे पार्टी चॉकलेट, चिप्स, कुरकुरे बांटने का चलन चल रहा है। माता पिता को  बच्चों को खाने में विकल्प देने होंगे। कोल्ड ड्रिंक की जगह छा लस्सी, नींबू पानी के विकल्प से रिप्लेस कराएं।  मखाने दे सकते हंै। बच्चों को जंक फूड की हानियां बताएं। घर के खाना बनाने में बदलाव करें बच्चों को पौष्टिक खाने में टेस्ट बदलाव करें। बच्चों को चपाती पिज्जा, आटा व सूजी के पिज्जा बेस तैयार उसमें सब्जियों की मात्रा बढा सकते हैं। मेयोनिज सबसे हानिकार है। जंक फूड को कम करने के लिए सप्ताह बच्चा चार बार खा रहा है तो पहले उसको तीन बार करें फिर दो बार फिर सप्ताह में एक बार उसके बाद महीने में एक बार पर लाए साथ ही उसको इसके विकल्प दे दूसरी चीजों टेस्ट डवलप कराएं।      
- अभिलाषा मंगल, डाइटिशियन 

बच्चों को जंक व फास्ट फूड्स में अंतर बताएं
बच्चों को जंक फूड की जंग में धकेलने वाले भी माता पिता ही है। बच्चों को पौष्टिक खाने के प्रति जागरूक करने के बाजार से कुछ भी खाने की छूट उन्हें बीमारियों की ओर धकेल रही है। बच्चों को जंक फूड व फास्ट फूड में अंतर करना बताना होगा। आज माता पिता के पास बच्चों को गाइड करने का समय नहीं बच्चे क्या खा रहे क्या उनकी चॉइस है इस पर होमवर्क ही नहीं करते है।  स्कूल में टीचर के वाक्य वेद वाक्य की तरह होते ऐसे में बच्चों को जंक फूड व फास्ट फूड में अंतर टीचर बेहतर बता सकते है। कंज्यूमर एजुकेशन की सख्त आवश्यकता है। जंक फूड पर लिखे कोड को बच्चों समझाना होगा।
- प्रोफेसर नीरजा श्रीवास्तव, पोषण विशेषज्ञ

बच्चों को स्पोर्ट्स से जोड़ना जरूरी
बच्चों को स्पोर्टस से जोड़ना जरूरी है। अच्छा खिलाड़ी बनना है तो उसे अपनी डाइट पर ध्यान देना पड़ेगा। इसलिए जब बच्चे मैदान पर खेल की प्रैक्टिस करने आते हैं तो उन्हें सबसे पहले डाइट के बारे में ही बताया जाता है। ऐसे में जितने ज्यादा बच्चे खेलो से जुड़ेंगे तो उन्हें पता चलेगा कि कौनसा फूड हेल्दी है और कौनसा अनहेल्दी। बच्चे जब सुबह प्रैक्टिस करने आते हैं तो उन्हें पहले बता दिया जाता है उन्हें अभी क्या खाकर आना है ताकि प्रैक्टिस में कोई दिक्कत नहीं आए। सुबह के समय केला और सेब खाना काफी फायदेमंद है। इन्हें खाने के बाद बच्चों को प्रैक्टिस के दौरान एनर्जी मिलती रहती है।     
- सूरज गौतम, एनआईएस कोच

जंक फूड इंटेक रोकें, करें सख्ती
अच्छी बॉडी बनाने के लिए आजकल बाजार काफी हेल्थ सप्लीमेंट बिक रहे हैं। जबकि यह सेहत बनाने की बजाय बिगाड़ते हैं। प्रोटीन के नाम पर कई लोग इनका लगातार सेवन करते हैं जबकि उन्हें यह नहीं पता कि इससे फायदे की जगह नुकसान हो रहा है। यदि बच्चों को जंक फूड खाने से रोकना है तो पैरेंटस को सख्ती करना जरूरी है। क्योंकि बच्चे तो जिद करते रहते हैं, लेकिन उनकी हर बात मानना जरूरी नहीं है। बच्चों को खेलने के भेजा जाए ताकि वहां पर उन्हें हेल्दी डाइट के बारे में काफी जानकारी मिल सकेगी।     
-डॉ. तूफेल अहमद, बीईएमएस,जिम संचालक

मम्मी ने समझाया तो कम किया जंक फूड इनटेक
हमें पास्ता व बर्गर खाना अच्छा लगता है। इसका स्वाद बढ़िया होने से इसे खाने की इच्छा होती रहती है। वहीं मेगों शेक पीने में भी काफी आनंद आता है। बाजार में घूमने जाते हैं तो यह चीजें नजर आते ही खाने का मन करता है। अब मम्मी इन चीजों को खिलाने से मना करनी लगी है। उनका कहना है कि यह चीजें हमें नुकसान पहुंचाती है। इससे काफी बीमारियां हो सकती है। ऐसे में अब हमने इन चीजों को खाना काफी कम कर दिया है। 
- धौविक बजाज, भाविशा बजाज

कारण भी हम, निवारण भी हम ही 
आज जो स्कूल से लेकर समाज में जंक फूड खाने का ट्रेंड चल रहा है। ऐसे में बच्चे जंक फूड नहीं खाए तो उनको पिछड़ा समझा जाता है। इसके चलते बच्चे ना चाहते हुए भी जंक फूड की तरफ आकर्षित हो ही जाते है। हमारे कल्चर में जो पाश्चात संस्कृति ने बदलाव किया है जिसके चलते माता पिता चाहकर भी बच्चों को जंक फूड खाने से नहीं रोक पा रहे है। जंक फूड खाना कल्चर बन गया है।  टीवी पर जंक फूड्स के विज्ञापनों की बाढ आई हुई है। बाजार में चिप्स, कुरकुरे, पिज्जा, बर्गर कोल्ड डिंÑक, एनर्जी ड्रिंक  से इतने विज्ञापन आते है बच्चे उस ओर आकर्षित हो जाते है। जंक फूड खाना स्टेट्स सिंबल बनता जा रहा है। शादी समारोह में सबसे ज्यादा भीड़ जंक फूड काउंटर पर ही होती है। 
- रेणुका बजाज, पैरेंटस 

तब और अब में बच्चों को फर्क करना सिखाएं
मुझे जंक फूड ही पंसद है । इसका टेस्ट मेरे दिलो दिमाग पर हावी हो रखा है। मुझे मालूम है यह सब खाना हानिकारक है लेकर जुबां पर इसका स्वाद ऐसा चढा है कि और कुछ खाने का मन ही नहीं करता है।  मुझे कोल्ड कैफिन पीने की लत लग गई। रात के समय पढाई के दौरान भूख लगती है तो चिप्स, कैफिन  चाहिए जो दिमाग मांगता वहीं खाना पड़ता है। यह सब खाने से मेरा वजन बढ गया तो मम्मी पापा ने पिज्जा बर्गर, कोक, कैफिन खरीदने के लिए पैसा देना बंद कर दिया। मुझे योग क्लास जोड दिया अब मेरे खानपान में काफी बदलाव आया है। बच्चों को माता पिता के समय के खाने और अब के खाने में अंतर बताना होगा। बच्चा जंक फूड से तौबा कर लेगा।     
- आश्वि गर्ग, योग स्टूडेंट

मजबूरी में खाना पड़ता था, अब कम किया
दिन के समय के कॉलेज और कोचिंग के लिए जाना पड़ता है। इसके लिए सुबह जल्दी घर से निकलना पड़ता है। जिससे कई बार घर से खाना लेकर नहीं जा पाती। कॉलेज के बाहर जंक फूड आसानी से मिल जाता है। इसलिए  भूख लगने पर उसे खा लेती हंू। ऐसा ही अन्य स्टूडेंट भी करते हैं। पहले यह सिलसिला आए दिन चल रहा था। जिससे हेल्थ प्राब्लम होने लगी। इसका कारण लगातार फास्ट फूड खाना था। फिर जब प्राब्लम बढ़ने लगी तो उसने अब जंक फूड खाना कम कर दिया। इससे शरीर को नुकसान पहुंचने लगता है। मेरा मानना है कि जंक फूड लम्बे समय तक खाने से दिक्कत आने लगती है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।     
- दीपिका कुमारी, स्टूडेंट

डाइट को किया डायवर्ट तो बच्चों ने अपनाया
वह एक हॉस्टल में कैंटीन चलाते हैं। अधिकांश बच्चों की डिमांड फास्ट फूड की ही रहती है। यह फूड ऐसे केमिकल से बनते है, जो शरीर को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में उन्होंने इस केमिकल के बजाय आटे का पिजा बनाना शुरू कर दिया। इसका स्वाद अच्छा नहीं लगने के कारण शुरुआत में अधिकांश बच्चों ने इसे खाने से मना कर दिया। ऐसे में बच्चों को समझाया कि केमिकल से बना फास्ट फूड काफी नुकसानदेय है। इसके बाद बच्चों ने आटे से बने फास्ट फूड खाना शुरू कर दिया। इसके अलावा कैंटीन में इडली-सांभर भी बच्चों को देने लगे। इसका स्वाद बढ़िया होने से बच्चों को यह काफी पसंद आया है। यदि बच्चों को जंक फूड से दूर करना है तो उनकी डाइट को डायवर्ट करना जरूरी है।     
- विमल आजाद, कैंटीन संचालक

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