हर गली मौहल्ले में ट्रांसफार्मर्स के नीचे बैठा काल

ट्रांसफार्मर में आग का कारण बन रहा कचरा : सुरक्षा के लिए लगाई जालियों के अंदर डाला जा रहा कचरा

हर गली मौहल्ले में ट्रांसफार्मर्स के नीचे बैठा काल

यह स्थिति किसी एक या दो जगह पर नहीं है वरन् पुराने शहर से लेकर नए कोटा क्षेत्र के अधिकतर इलाकों में देखने को मिलेगी।

कोटा। केस1 - मक बरा थाना क्षेत्र में दो दिन पहले घंटाघर पुलिस चौकी के पास भीड़भाड़ वाले इलाके में एक ट्रांसफार्मर में अचानक आग लग गई थी। आग अधिक होने से वहां अफरा-तफरी का माहौल हो गया था। ट्रांसफार्मर में आग लगने का कारण वहां पड़ा कचरे का ढेर बताया जा रहा है। 

केस 2 - नयापुरा थाना क्षेत्र में करीब 15 दिन पहले  अंटाघर चौराहे के पास एक निजी स्कूल के नजदीक ट्रांसफार्मर में आग लग गई थी। आग शाम के समय लगी ली जिसे तुरंत काबू कर लिया था। यहां भी आग लगने का कारण कचरे का ढेर ही बताया जा रहा है। 

केस 3 - जवाहर नगर थाना क्षेत्र में गत दिनों तलवंडी मेन रोड पर एक ट्रांसफार्मर में आग लग गई थी।  आस-पाह रिहायशी इलाका होने से लोग घबरा गए थे। सरस बूथ के पास ट्रांसफार्मर में आग लगने का कारण वहां लगे कचरे को ढेर को बताया जा रहा है। 

ये तो उदाहरण मात्र हैं उस भयावयता को बताने के जो गर्मी में हर साल देखने को मिलती है। गर्मी का सीजन शुरू हो गया है। ऐसे में आग लगने की घटनाएं भी अधिक होती है। वैसे तो आग की घटना किसी भी जगह और कभी भी हो सकती है। लेकिन पिछले कुछ समय से शहर के हर क्षेत्र में ही आए दिन ट्रांसफार्मर में आग लगने की मामले सामने आ रहे हैं।

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ट्रांसफार्मर में हमेशा नीचे से आग
शहर में अभी तक जितने भी ट्रांसफार्मर में आग लगी वह अधिकतर जमीनी सतह से ही लगी है। इसका कारण वहां लगे कचरे के ढेर हैं। गर्मी में कई बार तापमान अधिक होने से वहां कचरे में कागज, सूखे पत्ते व अन्य ज्वलनशील पदार्थ डालने से वह तुरंत आग पकड़ लेती है। जिससे आग ट्रांसफार्मर की केबल में लगती है और वह ट्रांसफार्मर में आॅयल होने से आग तेजी से फेलने लगती है। ऐसे मामले आए दिन हो रहे हैं। शरारती तत्वों या नशा करने के आदि लोग अक्सर बीड़ी, सिगरेट  का उपयोग करने के बाद बचा हुआ जलता हिस्सा या माचिक की तीली कचरे में डाल देते हैं। जिससे आग अधिक लगने की घटनाएं हो रही हैं। 

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करीब 10 से 15 फीसदी ट्रांसफार्मर के चारों तरफ कचरे के ढेर
जानकारों के अनुसार कोटा शहर में बिजली विभाग के करीब डेढ़ से दो हजार ट्रांसफार्मर होंगे। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से अधिकतर ट्रांसफार्मर ऊचाई पर रखे हुए हैं। उनके आस-पास लोहे की जालियां, फेंसिंग की हुई है। जिससे  ट्रांसफार्मर में करंट होने के कारण लोगों को खतरे से बचाया जा  सके। लेकिन उसके बाद भी करीब 10 से 15 फीसदी 150 से 200 ट्रांसफार्मर ऐसे हैं जिनके आस-पास कचरे के ढेर लगे हुए हैं। यह स्थिति किसी एक या दो जगह पर नहीं है वरन् पुराने शहर से लेकर नए कोटा क्षेत्र के अधिकतर इलाकों में देखने को मिलेगी। 

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जनता को परेशानी, घंटों लाइट गुल
ट्रांसफार्मर में आग लगने पर  या तो उसकी केबल जलने से लाइट स्वत: ही बनद हो जाती है। लेकिन अग्निशमन विभाग की दमकलें आग बुझाने आती हैं तो सबसे पहले लाइट बंद करवाती हैं।  बिजली विभाग की तरफ से लाइट बंद की जाती है और जली हुई केबलों को सही करने या बदलने में समय लगता है। जिससे घंटो लाइट गुल रहने से लोगों को ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। गर्मी में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है। 

कम्पनी की ओर से ट्रांसफार्मर को सुरक्षित रखा गया है। जिससे आमजन को किसी तरह का कोई खतरा नहीं हो। ट्रांसफार्मर के चारों तरफ फेंसिंग व जाली लगाई गई है। लेकिन लोग उन जालियों में कचरा डाल देते हैं। उस कचरे में जलती बीड़ी, सिगरेट, माचिस डालने से वह कचरा आग पकड़ लेता है। जिसके ट्रांसफार्मर के केबल जलती है। ट्रांसफार्मर नहीं। घंटाघर वाले ट्रांसफार्मर में भी ऐसा ही हुआ। ट्रांसफार्मर को कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन केबल जल गई थी। समय-समय पर उस कचरे को भी साफ करवाते रहते हैं लेकिन सभी जगह पर ऐसा कर पाना भी संभव नहीं हो पाता। गर्मी में आग लगने की घटनाएं अधिक होती हैं। 
- अनोमित्रो  डॉली,  हैड टैक्नीकल, केईडीएल 

गर्मी में तापमान अधिक होने पर ’वलनशील पदार्थ तेजी से आग पकड़ते हैं। पिछले कुछ समय से ट्रांसफार्मर में आग लगने की घटनाएं अधिक हुई हैं। इसका कारण वहां लगा कचरे का ढेर है। शॉर्ट सर्किट की चिंगारी या कोई जलती चीज डालने से ट्रांसफार्मर का आॅयल आग जल्दी पकड़ता है। ट्रांसफार्मर में आग लगने की अधिकतर घटनाएं वहां लगे कचरे के ढेर के कारण हुई है। समय रहे आग पर काबू नहीं पाने पर वहां करंट फेलने का भी खतरा रहता है। 
- राकेश व्यास, सीएफओ नगर निगम कोटा दक्षिण 

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