बिना डॉक्टरों के चल रही खेड़ारसूलपुर की आदर्श पीएचसी, डॉक्टर के अभाव में फार्मासिस्ट दे रहे दवाइयां
भारी पड़ सकती है लापरवाही
चिकित्सा कर्मियों के आधे से ज्यादा पद खाली, मरीजों को हो रही परेशानी
खेड़ारसूलपुर। राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने को लेकर सरकार चाहे जितने दावे करे, जमीनी हकीकत इन दावों के बिल्कुल उलट है। ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज आज भी लोगों के लिए सपना बना हुआ है। सरकार की उदासीनता के चलते अस्पतालों की स्थितियां बद से बदतर हो रही हैं। हालत यह है कि सरकारी अस्पतालों में ना तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और ना ही अन्य स्टाफ। ऐसे में मरीजों को कई बार बिना उपचार के ही वापस बैरंग लौटना पड़ता है। इतना ही नहीं डॉक्टर के अभाव में यहां कार्यरत फार्मासिस्ट ही बिना डॉक्टर की पर्ची के दवाइयां दे रहा है। ग्रामीणों को चिंता है कि किसी दिन यह लापरवाही कहीं भारी नहीं पड़ जाए। ऐसा ही एक अस्पताल खेड़ारसूलपुर का आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जो बिना डॉक्टर के सिर्फ भगवान भरोसे चल रहा है। खेड़ारसूलपुर पीएचसी डॉक्टर का अन्यत्र स्थानांतरण हो गया है। उसकी जगह अभी तक खाली पड़ी हुई है। जिसके चलते ग्रामीणों को इलाज में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण प्रवीण नामा व अनूप मेहरा ने बताया कि खेड़ारसूलपुर हॉस्पिटल में न तो कोई डॉक्टर है, ना ही पूरा स्टाफ है। कुल स्टाफ में से 5 चिकित्सा कर्मी ही अपनी सेवाएं दे रहे है। पीएचसी में डॉक्टर नहीं होने के कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आदर्श पीएचसी में फैली अव्यवस्था चिंता की बात है।
इलाज के लिए जाना पड़ रहा कोटा
पीएचसी में खेड़ारसूलपुर व आरामपुरा पंचायत की करीब 20 हजार की आबादी जुड़ी हुई है। इसके साथ ही आपपास के गांवों के सैंकड़ों ग्रामीण हॉस्पिटल में दिखाने आते हैं। डॉक्टर के अभाव में मरीजों को बिना इलाज वापस लौटना पड़ता है। हॉस्पिटल में करीब 100 से अधिक प्रतिदिन की ओपीडी रहती है। डॉक्टर व अन्य चिकित्सा स्टॉफ नहीं होने के कारण बुजुर्ग पुरुष व महिलाओं तथा गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए कोटा जाना पड़ रहा है। गांव में इन दिनों खांसी, जुकाम, बुखार आदि मौसमी बीमारियां फैली हुई हैं। जिसके कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने कई बार चिकित्सा विभाग के उच्चाधिकारियों व प्रशासन से शिकायत की। लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। ग्रामीणों ने कहा कि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो जिला कलक्टर कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
पीएचसी में रिक्त हैं इनके पद
खेड़ारसूलपुर पीएचसी में पीएचसी प्रभारी डॉक्टर,1 फस्ट ग्रेड चिकित्सा कर्मी, सैकंड ग्रेड चिकित्साकर्मी, लैब टेक्नीशियन व एलएचवी स्टॉफ के पद रिक्त हैं। जिसके चलते ग्रामीणों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। हॉस्पिटल में अव्यवस्थाएं फैली हुई हैं। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
दवा काउंटर पर फार्मासिस्ट दे रहे दवा
पीएचसी खेड़ारसूलपुर में डॉक्टर व चिकित्सा कर्मियों के पद खाली होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए निजी हॉस्पिटलों का रुख करना पड़ रहा है। जिससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। हॉस्पिटल में स्टॉफ के नाम पर 5 कर्मचारी कार्यरत हंै। वही मरीजों को दवा दे रहे हैं। फार्मासिस्ट व चिकित्सा कर्मी बिना डॉक्टर की पर्ची के दवाइयां दे रहे हैं। जबकि नियमानुसार डॉक्टर की लिखी पर्ची से ही मरीजों को दवाइयां दी जा सकती हैं। चिकित्सा विभाग की लापरवाही किसी दिन मरीजों पर भारी पड़ सकती है।
मरीजों को हो रही परेशानियों से स्थानीय विधायक व चिकित्सा मंत्री को पत्र लिखकर अवगत कराया जाएगा। जल्द ही हॉस्पिटलों में चिकित्सा कर्मी व डॉक्टर लगा दिए जाएंगे।
-मुकेश वर्मा, जिला परिषद सदस्य
लाडपुरा ब्लॉक में चारों पीएचसी पर वर्तमान में डॉक्टर के पद खाली हैं। खेड़ारसूलपुर पीएचसी पर डॉक्टर व अन्य चिकित्सा कर्मी के पद रिक्त चल रहे हंै। रिक्त पदों को भरने के लिए जयपुर उच्च अधिकारियों व चिकित्सा विभाग को पत्र लिखकर अवगत करा दिया गया है। जहां से आदेश आने पर ही खेड़ारसूलपुर पीएचसी में डॉक्टर व अन्य चिकित्सा स्टॉफ लगाया जाएगा। इसके साथ ही बिना डॉक्टर की पर्ची के दवाई दी जा रही है तो ये गलत है।
-प्रभाकर व्यास, ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी, लाडपुरा
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