सुविधाओं की कमी, फिर भी कोटा में तैयार हो रहे मलखम्ब चैंपियन
पारंपरिक खेल को प्रोत्साहन की दरकार
मलखंब ,लुप्त होते जा रहे इस पारंपरिक खेल ने कोटा से कई नेशनल लेवल के खिलाड़ी देश को दिए हैं। कोटा के अनेक खिलाड़ियों ने नेशनल स्तर पर मलखंब में गोल्ड, सिल्वर, व ब्रोंज मेडल हासिल किए हैं।
कोटा। किसी भी व्यक्ति के लिए खेलना उतना ही जरुरी है, जितना कि खाना खाना। खेल से हमारा शरीर फिट रहता है और फैसला करने की क्षमता का विकास होता है। इसलिए हर एक खेल को खेलना जरूरी है। बदलते परिवेश के साथ खेलों में भी काफी बदलाव आया है। क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी के बीच अब एक नया खेल उभर रहा है। जिसका हर कोई दीवाना हो रहा है। केन्द्र और राज्य सरकारों की कोई रुचि नहीं दिखाने के चलते इस खेल को आज तक वह उंचाई नहीं मिल पाई, जिसका यह हकदार है। बात की जा रही है मलखंब की, जिसने ना सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने झंडे गाड़े हैं। लुप्त होते जा रहे इस पारंपरिक खेल ने कोटा से कई नेशनल लेवल के खिलाड़ी देश को दिए हैं। कोटा के अनेक खिलाड़ियों ने नेशनल स्तर पर मलखंब में गोल्ड, सिल्वर, व ब्रोंज मेडल हासिल किए हैं।
कोटा में दो व्यायामशाला
कोटा में नेशनल लेवल पर 23 खिलाड़ी खेल चुके है। जिनमें से 6 खिलाड़ियों को गोल्ड मेडल, 12 को सिल्वर व 1 खिलाड़ी को ब्रोंज मेडल मिल चुका है। मलखंब के कोच गोपाल सिसोदिया बताते हैं कि मलखंब महाभारत के समय का सबसे पुराना खेल है। मलखंब को बढ़ावा देने के लिए पूरे राजस्थान में 2 व्यायामशाला है जो कि कोटा में ही स्थित है। यह व्यायामशाला मलखंब को जीवित करने के लिए निरतंर प्रयास कर रही है। इन व्यायामशालाओं में अनाथ व जरुरतमंद बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है।
नेशनल व राज्य स्तर के खिलाड़ी
मोहित सिंह, दक्ष सुमन, जतिन सेन, निशाकं प्रजापति, रोहन बैरवा, पवन चौरसिया को नेशनल स्तर पर गोल्ड व सिल्वर मेडल मिल चुके है। इसके अलावा निर्भय प्रजापति, प्रिंस कटारिया, आयुष सुमन, दक्ष राठौर, नवीन पारीक राज्य स्तर पर खेलकर कोटा का नाम रोशन कर रहे हैं। कोटा में मलखंब के 150 से ज्यादा खिलाड़ी हैं।
खेल की तरफ ध्यान दे सरकार
कोटा में मलखंब एकेडमी से अभी तक 25 से ज्यादा खिलाड़ी नेशनल लेवल के निकल चुके है। लगातार खिलाड़ियों की संख्या बढ़ रही है। राज्य सरकार को इस लुप्त होते जा रहे खेल की ओर ध्यान देना चाहिए और कोटा में खेल के लिए इनडोर हॉल बनवाना चाहिए। अगर हमें पूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए तो हम ओलंपिक में मेडल जीत कर देश का नाम रोशन कर सकते हैं।
-गोपाल सिसोदिया, नेशनल मलखंब कोच
सुविधाओं की कमी
हमारे पास सुविधाओं की कमी है। इसके बावजूद भी हम लोग लगातार अभ्यास कर रहे है। हमारे पास रस्सी भी नहीं है। हम लोग नार्मल रस्सी से रोप मलखंब का अभ्यास करते है। हमें समाज के लोगों द्वारा सहयोग मिले और सरकार हमें पूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाए तो हम राष्टÑीय लेवल पर कोटा का नाम रोशन कर सकते हैं।
-रोहित सिंह, गोल्ड मेडल खिलाड़ी

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