मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दवाइयों का टोटा, मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ रही
अस्पताल में गैस्ट्रो, न्यूरो और बच्चों की जीवन रक्षक दवाएं नहीं मिल रही
मरीज उन एक दो दवाओं को लेने की जगह बाजार से मंहगी दवा खरीदने को मजबूर हो रहें है।
कोटा। संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दवाओं का अभाव है। अस्पताल में दवाओं की कमी पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। डाक्टर द्वारा मरीजों की पर्ची पर जो दवाएं लिखी जाती है। उनमे से अस्पताल में केवल एक दो दवा ही मिल पाती है। मरीज उन एक दो दवाओं को लेने की जगह बाजार से मंहगी दवा खरीदने को मजबूर हो रहें है। वही जांच में भी देरी हो रही है और अगर कोई बड़ी जांच करवानी हो तो उसके लिए का कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। अस्पताल में गैस्ट्रो, न्यूरो और बच्चों की जीवन रक्षक दवाएं नहीं मिल रही है जिससे लोगों बाहर से दवाईयां खरीदनी पड़ रही है।
दवा नहीं, जांच करवानें में हफ्तों का इंतजार, इलाज अधूरा
मरीजों का कहना है कि अस्पताल में पूरे हाड़ौती संभाग से मरीज इलाज करवाने आते है अस्पताल में जांच में भी समय लगता है वही एमआरआई की जांच के लिए कई हफ्तो बाद की तारीख दी जाती है। मरीजों का कहना है कि डॉक्टर द्वारा लिखी जाने वाली दवाओं में से अस्पताल में कुछ ही दवा मिल पाती है एक मरीज ने बताया कि अस्पताल में मुंह के छालों के इलाज के लिए आया था डॉक्टर ने देखने के बाद दवाईयां लिखी अस्पताल में स्थित दवा काउंटर पर एक घंटे लाइन में लगा जब जाकर मेरा नम्बर आया। लेकिन दवा काउंटर पर मौजूद स्टाफ ने कहा की अभी यह दवा सप्लाई में नही आ रही है।
- राहुल जादोन, तीमारदार
अस्पताल में केवल सस्ती दवा, महंगी दवा बाहर से
मरीजों का कहना है कि अस्पताल में केवल वे दवाएं उपलब्ध है। जिनकी कीमत बहुत कम है। जिन दवाओं की कीमत ज्यादा है। वे अस्पताल में नही मिल पा रही है। मरीज मजबूरी में बाहर से महंगी दवा खरीदने पर मजबूर हो रहे है। डॉक्टर ने पांच दवाए लिखी लेकिन मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा काउंटर पर तीन दवाएं ही मिली दो दवाएं बार से लानी पड़ी। अस्पताल में बच्चों सिरप तक नहीं है। गरीब आदमी के लिए बाजार से मंहगी दवाएं खरीदना आसान नहीं है। गरीब आदमी पर दोहरी मार पड़ रही है।
- दिनेश सोलंकी, तीमारदार
इनका कहना है
दवाईयों की सप्लाई समय से हो रही है, कई बार कुछ दवा जल्दी खत्म हो जाती है। जो दवाइयां नही आ रही उसे हम आरएमसीएल से खरीदकर मरीजों को उपलब्ध करवाते है। जिससे मरीजों को परेशानी न हो।
- आशुतोष शर्मा, अधिक्षक मेडिकल कॉलेज
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