विदेशी या चौथी डोज की जरूरत नहीं

भारत की बूस्टर डोज के मुकाबले बेहतर नहीं विदशी डोज, तेजी से फैलता है नया वैरिएंट एक्स बीबी 1.5, एंटी बॉडी से नुकसान होगा कम, मास्क जैसी बरतें सावधानियां

विदेशी या चौथी डोज की जरूरत नहीं

फिलहाल चौथी डोज लेने की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही विदेशी वैक्सीन फाइजर और मार्डना के मिक्स डोज को लेकर कहा कि अभी देश में इसका प्रयोग नहीं हुआ है। हालांकि विदेशों में इसका प्रयोग हुआ है। लेकिन उसका परिणाम भारत की बूस्टर डोज के मुकाबले बेहतर नजर नहीं आए हैं।

कोटा। प्रदेश सहित कोटा संभाग में कोरोना की रफ्तार तेज होने के साथ ही अब लोग चौथी बूस्टर डोज को लेकर चर्चा करने लगे हंै। कोरोना वैक्सीन की चौथी डोज लगवाने की जरूरत है या नहीं? इस सवाल को लेकर फैल रहे भ्रम के बीच नवज्योति ने कोराना जांच प्रभारी डॉ. अभिमन्यु शर्मा से बातचीत की। उन्होंने वैक्सीन की तीसरी डोज लेने पर काफी जोर दिया। लेकिन चौथी डोज के सवाल पर कहा कि ऐसा कोई डेटा अब तक नहीं आया है, जो चौथी डोज की जरूरत पर जोर देता हो। यानी फिलहाल चौथी डोज लेने की जरूरत नहीं है।  इसके साथ ही विदेशी वैक्सीन फाइजर और मार्डना के मिक्स डोज को लेकर कहा कि अभी देश में इसका प्रयोग नहीं हुआ है। हालांकि विदेशों में इसका प्रयोग हुआ है। लेकिन उसका परिणाम भारत की बूस्टर डोज के मुकाबले बेहतर नजर नहीं आए हैं। ऐसे में चौथी डोज की आवश्यकता नहीं है।  उन्होंने  कहा कि इसकी जरूरत तब तक नहीं है, जब तक की कोई विशेष प्रकार का बाइवेलेंट टीका  नहीं आ जाता है। वायरस इतना नहीं बदला है कि एक नए टीके की आवश्यकता होगी, इसलिए टी-सेल प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पर भरोसा रखें। उनके अनुसार, बूढ़े लोगों को मास्क पहनने जैसी सावधानियां बरतनी जारी रखनी चाहिए।   केंद्र सरकार के आला अधिकारियों की एक हाई लेवल मीटिंग जनवरी में हुई थी।  बैठक में देश में वैक्सीनेशन में सुधार पर जोर दिया गया अब तक देशभर की सिर्फ 27 फीसदी आबादी ने ही कोरोना वैक्सीन की प्रिकॉशन डोज तीसरी  लगाई है, ये चिंता जनक है। 

बाइवेलेंट वैक्सीन क्या होती है
डॉ. अभिमन्यु शर्मा ने बताया कि बाइवेलेंट टीके को  फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन  ने परिभाषित किया है।  उनके मुताबिक बाइवेलेंट वैक्सीन वह वैक्सीन होती है, जो मूल वायरस के स्ट्रेन के कंपोनेंट और ओमिक्रॉन वैरिएंट के एक कंपोनेंट को मिलाकर बनाई जाती है। इससे संक्रमण के खिलाफ बेहतर और ज्यादा सुरक्षा मिलती है।  इन दो कंपोनेंट के इस्तेमाल के कारण ही इसे बाइवेलेंट वैक्सीन कहा जाता है।  बाइवेलेंट वैक्सीन को कोविड-19 की बूस्टर डोज के अपडेट वर्जन के तौर पर भी देखा जाता है।  कोरोना की मूल वैक्सीन सबसे पहले 2019 में वजूद में आए सार्स -2 वायरस को निशाना बनाती है, लेकिन बाइवेलेंट वैक्सीन कोरोना के 2 स्ट्रेन्स (मूल और ओमिक्रॉन दोनों) को टारगेट करती है। डॉ. शर्मा ने बताया कि  भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) में महामारी विज्ञान और संचारी रोगों के पूर्व प्रमुख डॉ. रमन गंगाखेडकर ने हाल ही कहा था कि भारत में अभी कोरोना वैक्सीन की चौथी खुराक की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि वायरस के वैरिएंट को देखते हुए यह इतना बड़ा नहीं है कि कोविड-19 वैक्सीन की चौथी खुराक की कोई आवश्यकता है। इसके कई कारण हैं। वर्तमान में, जो भी टीके हैं, वे वायरस उनके ऊपर पलायन म्यूटेंट बनाता है जो संक्रमण का कारण बनता है। अगर किसी व्यक्ति ने एंटी-कोविड-19 वैक्सीन की तीसरी खुराक ली है, तो इसका मतलब है कि उसकी टी-सेल प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को तीन बार प्रशिक्षित किया गया है। 

इनका कहना है
वर्तमान में देश में इस्तेमाल किया जा रहा कोई भी टीका बाइवेलेंट नहीं है।  भारत के बाहर फाइजर और बायोएनटेक की बाइवेलेंट वैक्सीन और मॉडर्ना की आरएनए वैक्सीन बूस्टिंग की दृष्टि से इस्तेमाल किया जा रहा है । बूस्टर खुराक के साथ समस्या यह है कि उसका प्रभाव कम समय के लिए होता र्है।  जिन एमआरएनए वैक्सीन को दूसरे देशों में चौथी खुराक के रूप में उपयोग किया गया है, उसके रिजल्ट बताते हैं कि उनका प्रभाव तीसरी खुराक की तुलना में तेजी से घटता है।
- डॉ. अभिमन्यु शर्मा,कोरोना जांच प्रभारी, कोटा

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