अब कोटावासी पाल सकेंगे टाइगर, लॉयन और भालू

आमजन गोद ले सकेंगे शाकाहारी व मांसाहारी वन्यजीव

अब कोटावासी पाल सकेंगे टाइगर, लॉयन और भालू

वन विभाग ने शुरू की कैपटिव एनिमल स्पोंसरशिप स्कीम।

कोटा। अब तक आपने लोगों को डॉग, कैट पालते हुए देखा होगा लेकिन बब्बर शेर, टाइगर, पैंथर, भालू, भेड़िए और मगरमच्छ जैसे जंगली जानवरों को पालने का मौका मिल जाए तो....अब आप कहेंगे ऐसा तो ख्वाब में ही हो सकता है लेकिन जनाब, आपके ख्वाब जल्द ही हकीकत में बदल सकते हैं और दिल की हसरत पूरी हो सकती है। क्योंकि, वन विभाग इन वन्यजीवों का पालनहार बनने का मौका देने जा रहा है।  दरअसल, वन विभाग की ओर से कैपटिव एनिमल स्पोंसरशिप स्कीम शुरू की जा रही है। जिसके तहत आमजन चिड़ियाघर व बायोलॉजिकल पार्क में रहने वाले शाकाहारी व मांसाहारी वन्यजीवों को गोद लेकर पाल सकते हैं। 

वन्यजीवों को  कैसे लेंगे गोद 
चिड़िया घर या अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में मौजूद वन्यजीवों को गोद लेने वाले व्यक्ति, संस्था या कॉपोरेट कम्पनी को पहले जू-इंचार्ज को आवेदन करना होगा। जिसके आवेदन को इंचार्ज द्वारा मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को भेजेंगे। जहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही एडोप्शन की कार्यवाही की जाएगी। 

क्या है कैपटिव एनिमल स्पोंसरशिप स्कीम
वन्यजीव विभाग के उप वन संरक्षक अनुराग भटनागर ने बताया कि यह कैपटिव एनिमल स्पोंसरशिप स्कीम सरकार ने वर्ष 2022 में शुरू की थी। जिसके तहत प्रदेशभर के बायोलॉजिकल पार्क व चिड़िया घर में रहने वाले शाकाहारी व मांसाहारी वन्यजीवों को आमजन, ग्रुप मेंबर, कॉरपोरेट कम्पनियां, संस्थाएं सहित वन्यजीव प्रेमी कोई भी गोद ले सकता है। जानवर जू  या बायोलॉजिकल पार्क में ही रहेंगे। पालनहार को गोद लिए एनिमल की देखरेख, खानपान, दवाइयां सहित इनके मेंटिनेंस का खर्चा वहन करना होगा। इस स्कीम उद्देश्य लोगों में प्रकृति और जानवरों के प्रति जागरूकता व लगाव पैदा करना है। 

पांच तरह की मिलेगी स्पोंसरशिप
डीसीएफ भटनागर कहते हैं, वन्यजीवों को गोद दिए जाने की पांच तरह की स्पोंसरशिप है। जिसमें एस-1 से लेकर ए-5 तक शामिल हैं। जिसमें एडोप्शन से संबंधित पूरा सलैब है। गोद लेने के बाद जानवर जू में ही रहेंगे। पालनहार कभी भी आकर उन्हें देख सकते हैं। गोद लेने वाले व्यक्ति को कई तरह की सुविधाएं भी मिलती हैं।

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यह हैं स्पोंसरशिप - वन्यजीवों के प्रति बढ़ेगा लगाव, जानवरों की बेहतर हो सकेगी परवरिश
1. इंडिज्यूअल एनिमल एडोप्शन : पहली स्पोंसरशिप में कोई भी व्यक्ति, संस्था या कम्पनी चाहे तो अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में इंडिज्यूअल रह रहे किसी भी एक वन्यजीव को गोद ले सकता है। जैसे अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में दो टाइगर है और कोई एक टाइगर को ही गोद लेना चाहे तो ले सकता है। संबंधित व्यक्ति को गोद लिए एनिमल की देखरेख, भोजन, दवाइयां, मेंटिनेंस सहित सम्पूर्ण खर्चा वहन करना होगा। वन्यजीवों को गोद 1 से 12 माह या इससे अधिक समय तक के लिए नियमानुसार ले सकता है। 

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2. पूरा एनक्लोजर ही गोद लेना : इसमें पालनहार पूरा एनक्लोजर ही गोद ले सकता है। उस एनक्लोजर में रहने वाले सभी जानवरों की देखरेख, भोजन, दवाइयां, साफ-सफाई व पानी, मेंटिनेंस सहित सम्पूर्ण खर्चा उन्हें ही वहन करना होगा। यह एस-2 कैटेगिरी में आती है। 

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3. नया एनक्लोजर बनाना : इस स्पोंसरशिप में पालनहार बायोलॉजिकल पार्क में नया एनक्लोजर बना सकते हैं। इसके लिए उन्हें एनक्लोजर  निर्माण खर्च, निश्चित अवधि तक मेंटिनेंस और उसमें रखा जाने वाला एनिमल, जहां से भी लाना है उसका सम्पूर्ण खर्च वहन करना होगा। इसमें एनक्लोजर की लागत, मेंटिनेंस, एनिमल शिफ्टिंग से देखरेख तक का खर्च शामिल है। 

4. वन्यजीवों का मेडिकेयर: पालनहार बायोलॉजिकल पार्क में रहने वाले सभी वन्यजीवों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी ले सकता है। पार्क  के सभी एनिमल्स की दवाइयां, जांच परीक्षण, वेक्सिनेशन सहित स्वास्थ्य से संबंधित सभी जरूरी आवश्यकताओं पर होने वाला खर्च उठाने की जिम्मेदारी ले सकता है। 

5. दुलर्भ वन्यजीवों को बसाना : यह स्पोंसरशिप उन लोगों के लिए है, जो दुलर्भ वन्यजीव जैसे उदबिलाउ व गोडावन को कैपटिव में बसाना चाहते हैं। इन वन्यजीवों को कहीं ओर से लाकर कैपटिव ब्रिडिंग करवाने यानी पालन करना चाहते हैं तो इसके लिए विशेष लोगों की जरूरत होगी। जिसमें बायोलॉजिस्ट, केयर टेकर का खर्चा वहन करना होगा। क्योंकि, इन्हीं की निगरानी व देखरेख में यह काम होगा। 

एनिमल गोद लेने वालों को क्या फायदा
डीसीएफ भटनागर कहते हैं, वन्यजीवों को गोद लेने वालों को कई फायदे होंगे। 
आत्मसंतुष्टी : वन्यजीवों को गोद लेने वालों को सबसे पहले किसी बेजुबान जानवर की मदद करने या ख्याल रखने उसे पालने से आत्म संतुष्टी मिलेगी। उनकी व उनके साथ आने वालों की एंट्री फ्री होगी।
पब्लिकसिटी : एनिमल को गोद लेने वाले व्यक्ति या कम्पनी की नेम प्लेट एनक्लोजर के बाहर लगाई जाएगी। जिन्हें बायोलॉजिकल पार्क में आने वाले लोग देखकर एंसपायर होंगे। प्रशंसा के साथ सोसाइटी में मान-सम्मान बढ़ेगा। 
एडवरटाइजमेंट : पालनहार कम्पनी या संस्था गोद लिए वन्यजीव की फोटो को अपने लोगों में लगाकर उपयोग कर सकते हैं।  जैसे किसी ने लॉयन या भालू को गोद लिया तो वह उसकी फोटो को अपने लोगों के साथ लगाकर यूज कर सकते हैं। 
मान-सम्मान : वन्यजीव विभाग की ओर से होने वाले सभी कार्यक्रमों  में पालनहारों को बतौर चीफ गेस्ट आमंत्रित किया जाएगा। वीआईपी गेस्ट के रूप में मान-सम्मान व आदर-सत्कार के साथ अभिनंदन किया जाएगा। 

पाई-पाई का मिलेगा हिसाब 
डीसीएफ ने बताया कि पालनहार द्वारा गोद लिए एनिमल पर जितने भी पैसे खर्च होंगे, उसकी आॅडिट करवाई जाएगी। वे कभी भी अपने पैसे का हिसाब ले सकते हैं। उन्हें खर्च हुई राशि की आॅडिट रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इससे कार्य व सिस्टम में पारदर्शिता रहेगी ।

हम जल्द ही अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में कैपटिव एनिमल स्पोंसरशिप स्किम शुरू करने वाले हैं। इसकी तैयारियां पूरी हो चुकी है। एडोप्शन में एनिमल की कोस्ट कितनी रहेगी, यह हैड आॅफिस द्वारा आएगी। इसके लिए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को पत्र लिखा गया है। कोस्ट मिलते ही तुरंत यह स्किम शुरू कर दी जाएगी। कई लोग ऐसे हैं जो वन्यजीवों की मदद करना चाहते हैं लेकिन कैसे करें इसकी जानकारी नहीं है। इस प्लेटफॉर्म से लोगों में वन्यजीवों के प्रति लगाव व जुड़ाव बढ़ेगा। 
- अनुराग भटनागर, उप वन संरक्षक, वन्यजीव विभाग कोटा

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