बरसात से पहले ही बूढ़ी सड़कें तड़की
मानसून का इन्तजार : सड़कों पर हो रहे बड़े-बड़े गड्ढ़े, लोगों को लग रहे झटके
शहर में हाल ही में हुई जरा सी बरसात में ही कई सड़कों का डामर उखड़ने से उन सड़कों की दुर्दशा हो गई है।
कोटा । करीब एक महीने बाद मानसून आने से शहर में बरसात का दौर शुरु हो जाएगा। उस दौरान तो सड़कों पर गड्ढ़े होने से लोगों को परेशानी का सामना करना ही पड़ता है। लेकिन शहर में तो अभी बरसात से पहले ही सड़कों के गड्ढ़े दर्द देने लगे हैं। शहर में अधिकतर मुख्य मार्गों पर इन दिनों सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढ़े हो रहे हैं। जिससे उन गड्ढ़ों पर अचानक से दो पहिया वाहनों के आने पर झटके लगने के साथ ही गिरने का भी खतरा बना हुआ है। इधर शहर में हाल ही में हुई जरा सी बरसात में ही कई सड़कों का डामर उखड़ने से उन सड़कों की दुर्दशा हो गई है।
यहां हैं हालत अधिक खराब
शहर के प्रवेश नयापुरा स्थित विवेकानंद सर्किल की सड़क ही उखड़ी हुई है। उस पर बड़े-बड़े गड्ढ़ो हो रहे हैं। जबकि यहां केडीए की ओर से कई बार सड़क बनाई जा चुकी है और कई बार पेच वर्क किया जा चुका है। सीएडी रोड पर पुलिस कंट्रोल रूम के पास हो या बैराज के समानांतर पुल के कॉर्नर का हिस्सा। छावनी रामचंद्रपुरा का मुख्य मार्ग हो या नयापुरा का। नई धानमंडी सर्किल से लायंस क्लब बाईपास रोड हो या विज्ञान नगर मुख्य मार्ग। अधिकतर जगहों पर अभी से सड़कों के गड्ढ़े दुर्घटना का कारण बन रहे हैं।
अभी ठीक नहीं किया तो बढ़ जाएंगे
शहर में अभी तो कई जगह पर जो सड़कों पर गड्ढ़े हो रहे हैं। उन्हें यदि समय रहते सही नहीं किया गया तो बरसात होने पर ये और अधिक बढ़ जाएंगे। बरसात के समय में उन गड्ढ़ों की मरम्मत या पेच वर्क तक नहीं किया जा सकेगा। जिससे बरसात के समय में इनमें पानी भरने पर ये अधिक खतरनाक व हादसों का कारण बनेंगे।
डिवाइडर नहीं सड़कें हो स्मूथ
लोगों का कहना है कि आमजन को डिवाइडर सजाने से नहीं सड़कें सही होने से मतलब है। विज्ञान नगर निवासी विवेक नायक का कहना है कि क्षेत्र में मेन रोड की सड़कें ही इतनी अधिक खराब हो रही हैं कि उन पर दो पहिया वाहन आसानी से व सुरक्षित रूप से चलाना मुश्किल हो रहा है। वाहन चलाने पर संतुलन बिगड़ने से गिरने का खतरा बना रहता है। केडीए या निगम की ओर से डिवाइडरों को तो सजाया जा रहा है। जबकि सड़कों की हालत सही करने की जरूरत है। अनंतपुरा निवासी कासिम अली का कहना है कि हर साल सड़कों पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। लेकिन विभागों में समंवय की कमी होने से बनने के बाद उन्हें खोदा जाता है। जिससे सड़कें अधिक खराब होती है। यदि समय रहते छोटे-छोटे गड्ढ़ों को भर दिया जाए। तो अधिक समस्या नहीं होगी। यह जिम्मेदारी सड़क बनाने वाले संवेदक की होनी चाहिए। इधर केडीए अधिकारियों का कहना है कि समय-समय पर सड़कों को सही करने व पेचवर्क के काम करवाए जाते हैं। अभी भी प्रयास रहेगा कि बरसात से पहले जहां भी आवश्यक होगा वहां काम करवाए जाएंगे।
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