चीता बसाने को 42563 हैक्टेयर वनखंड को वाइल्ड लाइफ में शामिल करने की तैयारी
वन्यजीव विभाग ने सीसीएफ कोटा को भेजा प्रस्ताव
शेरगढ़ सेंचुरी से सटे बारां-झालावाड़ व कोटा के तीन वनखंडों को वन्यजीव के अधीन करने का मामला।
कोटा। हाड़ौती में चीता बसाने के लिए शेरगढ़ सेंचुरी से सटे बारां, झालावाड़ व कोटा वनमंडल के तीन वनखंडों का 42 हजार 563.52 हैक्टेयर वनभूमि को वन्यजीव विभाग के अधीन किए जाने की तैयारी है। इसके लिए वाइल्ड लाइफ कोटा डीसीएफ ने संभागीय मुख्य वनसंरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक मुकुंदरा टाइगर रिजर्व को प्रस्ताव भेजा है। जिसमें शेरगढ़ सेंचुरी से सटे बारां, झालावाड़ व कोटा वनमंडल के अधीन वनखंडों को चीता लैंडस्केप के रूप में डवलप किए जाने की बात कही गई है। ताकि, भविष्य में यहां चीता बसाया जा सके और उसके अनुकूनल हैबीटाट विकसित हो सके।
बारां-झालावाड़ व कोटा के इन वनखंडों को शेरगढ़ से जोड़ने की तैयारी
वन्यजीव विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, झालावाड़ के 16 वनखंड जिसका क्षेत्रफल 2892.14 हैक्टेयर है। इसी तरह बारां वनमंडल के दो वनखंड, जिनका क्षेत्रफल 11830.37 है और कोटा वनमंडल का 1 वनखंड जिसका क्षेत्रफल 1806.88 हैक्टेयर है। इन तीनों वनमंडलों का कुल 42 हजार 563.52 हैक्टेयर वनखंडों को वन्यजीव विभाग के अधीन किए जाने को लेकर वन्यजीव डीएफओ अनुराग भटनागर ने सीसीएफ कोटा को प्रस्ताव भेजा है। हालांकि, सीसीएफ कार्यालय में इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।
चीतों का हैबीटॉट होगा विकसित
कोटा वन्यजीव विभाग के डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि बारां, झालावाड़ व कोटा वनमंडल के तीन वनखंड, जिनका क्षेत्रफल 42 हजार 563.52 हैक्टेयर है। यह तीनों वनखंड शेरगढ़ सेंचुरी से सटे हैं, जो चीता लैंडस्केप की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसे वन्यजीव विभाग के अधीन किया जाना चाहिए ताकि यहां चीतों का बेहतर हैबीटाट विकसित किया जा सके। क्योंकि, शेरगढ़ अभयारणय चीतों के अनुकूल है लेकिन चीतों के लिहाज से इसका क्षेत्रफल छोटा है। ऐसे में बारां, झालावाड़ व कोटा के यह तीनों वनखंडों को शेरगढ़ सेंचुरी में शामिल कर लिया जाए तो 52 हजार 444.12 हैक्टेयर का चीता लैंडस्केप डवलप हो सकता है।
जंगल और वन्यजीवों की बढ़ जाएगी सुरक्षा
डीएफओ भटनागर ने बताया कि 42 हजार 563.52 हैक्टेयर वनभूमि वर्तमान में बारां, झालावाड़ व कोटा वनमंडल के अधीन है। लेकिन, वन्यजीव प्रबंधन के लिहाज से यहां बेहतर कार्य नहीं हुआ। ऐसे में इस क्षेत्र को वाइल्ड लाइफ के अधीन कर दिया जाए तो जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा पुख्ता हो जाएगी। साथ ही ग्रासलैंड, वैटलैंड व वाटर प्वाइंट विकसित होंगे। सुरक्षा दीवार बनेगी। जिससे वन्यजीवों व जंगल की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हो सकेंगे। वर्तमान में इस क्षेत्र में पिछले 15-20 वर्षों में वन्यजीव संरक्षण एवं प्रबंधन की दृष्टि से कोई विशेष कार्य नहीं हुए हैं। यदि इस क्षेत्र में भविष्य में चीता इन्ट्रोड्यूज किया जाता है, तो यह इस पूरे क्षेत्र के लिए बहुत श्रेयकर होगा। चीता को बसाए जाने के क्षेत्र में यह एक महत्वपूर्ण कार्य होगा।
4 साल पहले कूनों की टीम ने किया था सर्वे
डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि चीता लैण्डस्कैप के सर्वे के लिए 23 नवम्बर 2020 को वन्यजीव संस्थान देहरादून के डॉ वाई.वी. झाला की टीम ने शेरगढ़ सेंचुरी का निरीक्षण किया था। टीम में तत्कालीन मुकुंदरा सीसीएफ एस.आर. यादव भी शामिल थे। यादव ने सर्वे के बाद 22 जनवरी 2021 को शेरगढ सेंचुरी से लगते हुए वन मण्डल बारां, झालावाड, एवं कोटा के वनखण्डों को जोड़कर चीता लैण्डस्कैप बनाने के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा था। इन तीनों जिलों के वन मण्डलों का क्षेत्रफल 425.64 वर्ग किलोमीटर नापा गया था। वर्तमान में उक्त वनखण्ड टेरिटोरियल वन मण्डलों के अधीन है। इन वनखण्डों को वन्यजीव मण्डल के अधीन कर दिया जाए तो वन्यजीवों का बेहतर प्रबंधन हो सकता है। इसके अलावा शाकाहारी वन्यजीव, आॅगमेन्टेशन, ग्रासलैंड व वेटलैंड डवलपमेन्ट वन्यजीव प्रबन्धन कार्य कराये जाए तो यह क्षेत्र चीता लैण्डस्कैप एवं वन्यजीवों के प्रबन्धन के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
इनका कहना है
कोटा वन्यजीव विभाग द्वारा शेरगढ़ से सटे बारां-झालावाड़ व कोटा वनमंडल के 42 हजार 563.52 हैक्टेयर के वनखंड़ों को वाइल्ड लाइफ में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा है। यह चीता लैंडस्केप बनाने, हैबीटाट इम्प्रूमेंट व बेहतर वन्यजीव प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। हालांकि, इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।
- रामकरण खैरवा, संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक वन विभाग कोटा
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