उद्यान के झूलों में झूल रहा खतरा
निगम के गांधी व हाड़ौती उद्यान के अधिकतर झूले टूटे
गार्डन घूमने आ रहे परिवारों को हो रही निराशा
कोटा। नगर निगम द्वारा एक तरफ तो विकास व निर्माण कार्यों पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है। वहीं दूसरी तरफ शहर के प्रमुख गार्डनों की ही दुर्दशा हो रही है। गांधी उद्यान व हाड़ौती उद्यान जैसे दो प्रमुख गार्डनों के अधिकतर झूले टूटे हुए है। जिससे वहां घूमने आने वाले परिवारों को निराश होना पड़ रहा है। नगर निगम कोटा दक्षिण क्षेत्र में चम्बल गार्डन के पास स्थित हैं गांधी उद्यान व हाड़ौती उद्यान। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर बनाए गए इस गांधी उद्यान में उद्यान समिति का कार्यालय बना हुआ है। समिति के अध्यक्ष यहां बैठते है। उस गांधी उद्यान में निगम की नर्सरी बनी हुई है। नए कोटा क्षेत्र में होने से यहां बड़ी संख्या में लोग सैर के लिए आते है। उस उद्यान की हालत यह है यहां के झूले तक टूटे हुए हैं। परिवारों के साथ आने वाले अधिकतर बच्चे गार्डन में झूला झृूलने हीआते है। लेकिन वहां जाकर उन्हें निराश ही होना पड़ रहा है। इसका कारण उद्यान में अधिकतर झूले टूटे हुए है। फिसल पट्टी हो या रिपसनी। सभी कोई ऊपर से तो कोई नीचे से। कोई बीच से टूटे हुए हैं। जिससे छोटे बच्चे उन पर झूल ही नहीं पा रहे।यदि किसी बच्चे को जिद करने पर परिजन झूलने भी देते हैं तो उनके चोट लगने का खतरा बना हुआ है।
दो उद्यानों को जोड़ता है गांधी उद्यान
गांधी उद्यान दो उद्यानों को जोड़ने का काम करता है। चम्बल गार्डन और हाड़ौती उद्यान के बीच में स्थित है गांधी उद्यान। चम्बल गार्डन में सैर करने वाले अधिकतर लोग वहां से गांधी उद्यान जाते है। वहां लोहे का पुल चढ़कर हाड़ौती उद्यान तक घूमकर आते है। ऐसे में गांधी उद्यान में झूले टूटे होने के बाद लोग हाड़ौती उद्यान में बच्चों को झूले झुलाने के लिए लेकर जाते हैं। लेकिन वहां भी यही स्थिति है।
हाड़ौती उद्यान की हालत तो और भी बदतर
कोटा दक्षिण निगम क्षेत्र में केवल गांधी उद्यान के ही झूले टूटे हुए नहीं है। उसके पास ही उससे भी बड़ा हाड़ौती उद्यान है। उस उद्यान में झूले तो बहुत सारे लगे हुए हैं। लेकिन उनमें से शायद ही कोई झूला ऐसा हो जिस पर बच्चे झूल सकते हो। यहां भी अधिकतर झूले अपनी दशा पर आंसु बहा रहे हैं। यहां तो गांधी उद्यान से भी बदतर हालत है। यहां भी अधिकतर झूले टूटे हुए है। छोटे से लेकर बड़ा झूला तक सभी टूटे हुए हैं। यहां तक कि बच्चों के मनोरंजन के लिए बनाए गए हाथी का पिछला हिस्सा तक लोगों ने तोड़ दिया है।
जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
गार्डन घूमने आ रहे लोगों का कहना है कि नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं देने के कारण गार्डनों की दुर्दशा हो रही है। शास्त्री नगर दादाबाड़ी निवासी महेश सुमन ने बताया कि वह बच्चों को घुमाने केलिए गार्डन लाए थे। यहां आकर देखा तो ’यादातर झुले टूटे हुए हैं। गार्डन में प्रवेश का टिकट भी निगम द्वारा वसूल किया जा रहा है। गार्डन में सिर्फ घास पर घूमने ही नहीं आते।बच्चों को तो झृले झूलने होते है। लेकिन गार्डन में एक भी झूला झृलने लायक नहीं है। जब प्रमुख गार्डनों के झूलों की हालत यह है तो फिर वार्डों के पार्को कीहालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। किशोरपुरा निवासी मोहम्मद शाहिद ने बताया कि गांधी उद्यान व हाड़ौती उद्यान जैसे प्रमुख गार्डनों के झूले ही टूटे हुए हैं। जबकि इस क्षेत्र में लोकसभा अध्यक्ष व कोटा दक्षिण के विधायक, महापौर सभी आते हैं। उसके बाद भी अधिकारियों की अनदेखी का खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है।
इनका कहना है
चम्बल गार्डन,भीतरिया कुंड व हाड़ौती उद्यान में बड़े स्तर पर काम करवाए जाएंगे।इसके लिए पहले डिजाइन तैयार करवाई जा रही है। उसके बाद उसका एस्टीमेट तैयार होगा। डीपीआर बनाई जाएगी । उसके बाद इन तीनों गार्डनों की दशा सुधारीजाएगी।लेकिन उससे पहले दोनों गार्डन गांधीउद्यान व हाड़ौती उद्यान के झूलों को सही करवाने का कार्य करवा दिया जाएगा।
- ए.क्यृू कुरैशी, एक्सईएन नगर निगम कोटा दक्षिण
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