यहां है नाम की प्रयोगशाला, लटका है बरसों से ताला
गांधी उद्यान में है गुणवत्ता नियंत्रण जांच प्रयोगशाला
निर्माण कार्य के सैम्पलों की निजी प्रयोगशालाओं में करवानी पड़ रही जांच।
कोटा। डामर की सड़क हो या सीसी रोड। नाली का निर्माण हो या भवन का। कोई भी निर्माण कार्य शुरु होने से पहले उसमें उपयोग होने वाली निर्माण सामग्री के सैम्पलों की जांच की जाती है। नगर निगम द्वारा करवाए जाने वाले कार्यों में निर्माण सामग्री के सैम्पलों की जांच के लिए निगम की प्रयोगशाला तो है लेकिन उसका उपयोग नहीं होने से बरसों से उस पर ताला लटका हुआ है। चम्बल गार्डन के पास स्थित गांधी उद्यान में नगर निगम की गुणवत्ता नियंत्रण जांच प्रयोगशाला है। यहां पूर्व में तो जांच के लिए उपकरण व मशीनरी भी थी। लेकिन वर्तमान में हालत यह है कि इस प्रयोगशाला में न तो पर्याप्त उपकरण हैं और न ही जांच के लिए प्रशिक्षित तकनीकी स्टाफ। यही कारण है कि प्रयोगशाला होने के बाद भी नगर निगम द्वारा इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। जिससे पिछले कई सालों से इस पर ताला लटका हुआ है। कोटा में वर्तमान में दो नगर निगम होने के बावजूद कोटा दक्षिण निगम क्षेत्र में ही एक मात्र प्रयोगशाला है।
निर्माण सामग्री की होती है जांच
शहर में निर्माण कार्य से संबंधित सरकारी एजेंसियों में नगर निगम के अलावा कोटा विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड व सार्वजनिक निर्माण विभाग हैं। इनके द्वारा किसी भी तरह का कोई निर्माण कार्य कराया जाता है। उसमें उपयोग होने वाली निर्माण सामग्री बजरी, रेत, सीमेंट,डामर व कंकरीट की जांच प्रयोगशाला में ही की जाती है। जानकारी के अनुसार कोटा में सार्वजनिक क्षेत्र में सार्वजनिक निर्माण विभाग की अपनी प्रयोगशाला है।
निजी प्रयोगशालाओं से करवा रहे जांच
नगर निगम की प्रयोगशाला होने के बाद भी उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। निगम की प्रयोगशाला में पूर्व में लाखों की मशीनरी व उपकरण लगाए गए थे। जहां निर्माण सामग्री के सैम्पलों की जांच नि:शुल्क की जाती थी। लेकिन इस पर ताला लटका हुआ है। जिससे निगम द्वारा संवेदक के माध्यम से करवाए जाने वाले निर्माण की सामग्री की जांच निजी प्रयोगशालाओं में करवानी पड़ रही है। जिसके लिए संवेदक को जांच का निर्धारित शुल्क देना पड़ रहा है।
न्यूनतम तीन सैम्पलों की जांच
सूत्रों के अनुसार निर्माण कार्य की लागत के हिसाबम से उसमें प्रयोग होने वाली सामग्री के सैम्पलों की जांच करवाई जाती है। 10 लाख तक के निर्माण कार्य के तीन सैम्पलों की जांच कवाई जाती है। इसके बाद 20 लाख तक के निर्माण के 6 सैम्पल और उसके बाद लागत के हिसाब से सैम्पलों की जांच की जाती है। निगम के इंजीनियरों के निर्देश पर तकनीकी स्टाफ द्वारा जांच में मानक पर गुणवत्तापूर्ण होने पर ही उसका उस निर्माण में सामग्री का उपयोग किया जाता है। जांच रिपोर्ट के आधार पर ही काम का भुगतान किया जाता है।
उपकरण व मशीनरी चोरी
सूत्रों के अनुसार प्रयोगशाला गांधी उद्यान में है। जहां रात के समय अक्सर अंधेरा रहता है। यहां सुरक्षा गार्ड तो हैं लेकिन वह अधिकतर मुख्य द्वार पर या गार्डन में ही रहते हैं। प्रयोगशाला की सुरक्षा के लिए अलग से कोई गार्ड नहीं है। वहीं बरसों से इस पर ताला लगा हुआ है। सूत्रों के अनुसार प्रयोगशाला से कई कीमती उपकरण चोरी तक हो चुके हैं। जिसकी जानकारी निगम अधिकारियों तक को है। हालांकि यह जानकारी उन्हें काफी देर से लगी जब तक सामान चोरी हो चुका था।
इनका कहना है
नगर निगम की गांधी उद्यान स्थित गुणवत्ता नियंत्रण जांच प्रयोगशाला है। जिसके उपकरण काफी पुराने हो चुके हैं। निगम की ओर से यहां आधुनिक उपकरण लगाने व उसके हिसाब से ही प्रशिक्षत तकनीकी स्टाफ लगाकर इसे शीघ्र ही शुरु करने की योजना है। प्रयास किया जा रहा है कि इस प्रयोगशाला को नगर निगम भवन में ही शिफ्ट किया जाए। जिससे इसका सही उपयोग भी हो सकेगा। वर्तमान में निर्माण सामग्री के सैम्पलों की जांच सरकार द्वारा आईएसओ सर्टिफाइड प्रतोगशाला में करवाई जा रही है। जिसके लिए संवेदक को जांच शुल्क का भुगतान करना पड़ रहा है।
- ए.क्यू कुरैशी, अधिशाषी अभियंता नगर निगम कोटा दक्षिण
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