बस केयर-डे योजना की गति धीमी पड़ी तो बीच राह में अटकने लगी निगम की बसें

कोटा डिपो: 2012 मॉडल बसें बन रही परेशानी का सबब

बस केयर-डे योजना की गति धीमी पड़ी तो बीच राह में अटकने लगी निगम की बसें

रोडवेज में वर्तमान में 75 शिड्युल पर बसों का संचालन हो रहा है।

कोटा। यात्रियों को रोडवेज बसों में अच्छी सुविधाएं देने के लिए तीन साल पहले रोडवेज प्रशासन की ओर से अपनी बस केयर-डे योजना शुरू की थी। रोडवेज के तत्कालीन एमडी नवीन जैन ने तीन साल पहले रोडवेज की बसों की छवि सुधारने को लेकर यह योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत रोडवेज वर्कशॉप में कार्य करने वाले कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर खराब बसों की मरम्मत कर उसे रूट पर चलने योग्य करने के टारगेट दिए थे। जिसके शुरुआती दौर में काफी सार्थक परिणाम भी आए थे। नवीन जैन के एमडी पद से हटते ही कई डिपो में यह कार्य धीरे पड़ गए।  लेकिन कोटा वर्कशॉप में यहां के मैकेनिक अभी हर माह दिए टारगेट के अनुसार बसों की मरम्मत कर यात्रियों की सुविधाजनक बनाने में जुटे हुए हैं। लेकिन लगातार बसों की संख्या घटने से बसे रूट पर ही चल रही मरम्मत के लिए उन्हें चार से पांच दिन वर्कशॉप में खड़े होने का समय ही नहीं मिल पा रहा जिसके चलते  बसों ठीक से मरम्मत नहीं हो पा रही है और आए दिन बसे रास्ते में ब्रेक डॉउन हो रही है। दूसरी वर्कशॉप में नई बसे आई उनकी मरम्मत के लिए प्रशिक्षित मेकेनिक नहीं है ऐसे में कंपनी के मैकेनिक बुलाकर ठीक कराने में समय लगता है। ऐसे में उस रूट पर दूसरी बस उतारी पड़ी जो बीच रास्ते में ही धोका दे देती है। 

पार्ट्स नहीं मिलने से होती है परेशानी
वर्कशॉप में कई बसे पुरानी है उनके पार्ट्स नहीं मिलते है। जयपुर से पार्ट आने  समय लग जाता है।जिस बस आॅफ लाइन हो जाती है। वकशॉप में हर माह 30 टायर की आवश्यकता होती है लेकिन आते 8 ही ऐसे में बसों की ठीक से मरम्मत नहीं हो पाती है। कई बसों रूट पर चलाने के लिए एक दूसरी बसों के पार्ट लगाकर बस तैयार कर रूट पर चलाया जा रहा है। बेडे में अभी पांच नई बसे मिली वो अनुंबंधित है। 

75 शेड्यूल पर बसें हो रही संचालित 
रोडवेज में वर्तमान में 75 शिड्युल पर बसों का संचालन हो रहा है। ऐसे में बस केयर डे में बस की मरम्मत करने में परेशानी हो रही है। दूसरा स्टाफ की कम है। 28 मैनिक के भरोसे 76 बसों का भार है। बीएस -4 बसों मॉडल के बसों के प्रशिक्षित मैकेनिक नहीं है। 

वर्कशॉप में अभी 7 बसें कंडम 
कोटा वर्कशॉप में अभी सात बसें ऐसी हंै जो कंडम हैं। इनकी मरम्मत हो सकती है लेकिन इनके लिए मड रूट नहीं है। ऐसे में इनकी फिलहाल मरम्मत नहीं की जा रही है। इसके अलावा कुछ ग्रामीण परिवहन की बसें भी खटारा होकर पड़ी है। 

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आरामदायक सफर के लिए शुरू की थी योजना
तीन साल पहले राजस्थान रोडवेज की बसों में यात्रियों के सफर आरामदायक बनाने के लिए केयर-डे  योजना की शुरुआत की थी। एक साल तक तो इसके काफी सार्थक परिणाम भी आए। जिसमें  यात्रियों को सफर के दौरान रोडवेज की बसों में न तो हिचकोले खाने पड़े और न ही बसों में गंदगी नजर आई । ऐसा इसलिए संभव हो सका क्योंकि ‘केयर डे’ के दिन आगार प्रबंधन अपनी-अपनी बसों की ठीक से सार-संभाल कर रहे थे। 2020 से 2021 के मध्य यांत्रिक विभाग की मेहनत से कई खटारा हो चुकी बसें फिर से ठीक होकर रोड पर दौड़ने लगी जिससे बसों की कमी कुछ हद तक कम हुई । वर्तमान में बस केयर डे योजना ठंडे बस्ते चल रही है। 

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पहले एबीसीडी योजना से पूरी जांच करते थे
पिछले तीन साल में कोटा वर्कशॉप में 90 फीसदी बसों की मरम्मत एबीसीडी योजना के तहत की थी। लेकिन अब ये अभियान धीमा पड़ गया है। इस अभियान में  बस के बॉडीलुक-डे, बस पेंटिंग, डेंटिंग, साफ-सफाई, इलेक्ट्रिक-डे, बस की लाइट, बैटरी चैक, वायरिंग चैक, सेफ्टी-डे के कार्यक्रम शामिल थे। इसमें अलग-अलग प्रभारी लगाए गए थे, ताकि इसकी सही तरीके से मॉनिटरिंग की जा सके। आगार प्रबंधक बसों की संख्या व आवागमन को ध्यान में रखते थे प्रत्येक डे को दो या तीन दिन तक करते थे। इसमें बसों की फोटोग्राफी के साथ बसों के रखरखाव का पूरा ध्यान रखा जाता है। लेकिन अब समय अभाव से महीने में एक से दो बस की एबीसीडी जांच हो पाती है। नतीजा बस रास्ते में ब्रेक डाउन हो रही है। 

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35 पुरानी गाड़ियां 
चालक जयसिंह ने  बताया कि रोडवेज आगार में करीब 35 बसें 2012-2013 मॉडल की है। जो काफी पुरानी हो चुकी हैं। कई बार उनकी मरम्मत की जा चुकी है। जिनकी फर्श से लेकर अब बाडी कमजोर हो चुकी है। इनकी अवधि खत्म हो गई है। 

इनका कहना है
रोडवेज वर्कशॉप में बस केयर डे योजना के तहत हर माह एक से दो बसों की मरम्मत कर उन्हें यात्री सुविधा युक्त किया जाता है। 
- सुचिता गुप्ता, आगार प्रबंधक संचालन कोटा

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