डॉ. गिरिजा व्यास : महिला सशक्तिकरण और विकास की प्रखर आवाज, उदयपुर से दिल्ली तक रही सियासी धमक
राजनेता, शिक्षाविद्, कवयित्री और समाजसेवी की पहचान
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीकृष्ण शर्मा और समाज सुधारक यमुना देवी व्यास के घर 8 जुलाई 1946 को जन्मी डॉ. व्यास का पालन-पोषण एक सामान्य परिवार में हुआ।
उदयपुर। डॉ. गिरिजा व्यास भारतीय राजनीति और समाज सेवा की एक ऐसी शख्सियत रहीं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत, समर्पण और सामाजिक बदलाव के लिए किए गए संघर्षों से समाज में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की वरिष्ठ नेता, समाज सेविका और महिलाओं के अधिकारों की प्रबल समर्थक रही हैं। उनके कार्यों ने न केवल राजनीति को आकार दिया, बल्कि भारतीय समाज में महिलाओं और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए भी मार्ग प्रशस्त किया। मेवाड़ की लाड़ली डॉ. गिरिजा व्यास की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनेता, शिक्षाविद्, कवयित्री और समाजसेवी के रूप में रही है। उन्होंने अपने जीवन काल में देश और विशेष रूप से मेवाड़ क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीकृष्ण शर्मा और समाज सुधारक यमुना देवी व्यास के घर 8 जुलाई 1946 को जन्मी डॉ. व्यास का पालन-पोषण एक सामान्य परिवार में हुआ।
लेकिन उनके अंदर विशेष प्रकार की विद्यमान शक्ति और संघर्ष की भावना थी। उनका शिक्षा जीवन हमेशा उत्कृष्ट रहा और उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनकी शिक्षा में विशेष ध्यान समाजशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान पर था, जो उनके भविष्य में समाज सेवा और राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ। डॉ. गिरिजा व्यास ने संसद और राज्य विधानसभाओं में अपनी आवाज उठाई, जहां उन्होंने महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज के पिछड़े वर्गों के अधिकारों पर जोर दिया। उनका यह मानना था कि एक मजबूत समाज बनाने के लिए महिलाओं, बच्चों और किसानों की भलाई सर्वोपरि होनी चाहिए। उन्होंने लोकसभा और राज्यसभा में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार रखे और उन्हें संसद में व्यापक समर्थन मिला।
महिला सशक्तिकरण में योगदान
डॉ. गिरिजा व्यास की पहचान एक महिला सशक्तिकरण की प्रबल समर्थक के रूप में बनी। उन्होंने भारतीय समाज में महिलाओं के अधिकारों के लिए हमेशा संघर्ष किया।
उनका मानना था कि जब तक महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं मिलता, तब तक समाज में स्थायी परिवर्तन संभव नहीं है। वे विभिन्न योजनाओं और पहल के माध्यम से महिलाओं के शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और उनके सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए काम करती रहीं।
उन्होंने महिलाओं के लिए विशेष योजनाओं का प्रस्ताव रखा और उनके उत्थान के लिए कार्यशालाएं, सेमिनार और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए। उनकी मान्यता थी कि यदि महिलाओं को समान अवसर मिलें, तो वे समाज को सशक्त बना सकती हैं।
अंतरराष्ट्रीय पहचान
डॉ. गिरिजा व्यास एक संवेदनशील कवयित्री और लेखिका थी। उनकी 6 पुस्तकें और 100 से अधिक लेख भारत और विदेशों में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय दर्शन, महिला सशक्तिकरण और सांस्कृतिक संवाद को नई दिशा दी। उन्होंने अमेरिका के कुछ विश्वविद्यालयों में अध्ययन भी करवाया। गीता पर उनकी रिसर्च बहुत अच्छी मानी जाती है।
अकादमिक उपलब्धियां
एम.ए. (दर्शनशास्त्र) प्रथम स्थान, तीन संकायों (कला, वाणिज्य एवं विधि) में प्रथम श्रेणी, तीनों में स्वर्ण पदक। पीएच.डी. गीता एवं बाइबिल का तुलनात्मक अध्ययन एवं अमेरिका में भारतीय दर्शन का अध्ययन।
पोस्ट-डॉक्टरेट (अमेरिका)- प्रमुख धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर में दर्शनशास्त्र की प्रोफेसर रहीं।
राजनीतिक यात्रा एवं उपलब्धियां
केन्द्र में सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री।
केन्द्र में कैबिनेट मंत्री (आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन)।
चित्तौड़गढ़ से सांसद।
उदयपुर से तीन बार सांसद।
राजस्थान सरकार में शिक्षा, पर्यटन एवं बाल विकास राज्य मंत्री।
राष्ट्रीय महिला आयोग में दो कार्यकाल तक अध्यक्ष।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता और मीडिया चेयरपर्सन।
अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष।
दक्षेस (सार्क) संसदीय महिला संगठन की अध्यक्ष।
100 से अधिक देशों में का प्रतिनिधित्व।
कॉमनवेल्थ में एशिया का प्रतिनिधित्व।
अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक मंचों पर भारत की उपस्थिति।
विकास कार्य एवं बुनियादी ढांचे में योगदान
उदयपुर में पर्यटन को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
उदयपुर-चित्तौड़, चित्तौड़-अजमेर और मावली-बड़ी सादड़ी रेलवे ब्रॉडगेज में परिवर्तन।
उदयपुर में जयसमंद एवं बड़ी से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था।
देवास योजना के द्वितीय चरण की स्वीकृति।
उदयपुर बाईपास और उदयपुर-गोमती चौराहा 4-लेन सड़क निर्माण।
महाराणा प्रताप हवाई अड्डे का नवीनीकरण।
महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना।
झील संरक्षण प्राधिकरण एवं नगर निगम की स्थापना।
शिल्पग्राम और पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना।
सज्जनगढ़ अभयारण्य का निर्माण।

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