चीनी विशेषज्ञों का दावा: जनसंख्या के मामले में 2027 से पहले ही चीन को पीछे छोड़ देगा भारत
भारत संयुक्त राष्ट्र के अनुमान से पहले ही चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। चीन के विशेषज्ञों के अनुसार संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2027 में भारत के सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनने का अनुमान किया गया था, लेकिन चीन में लगातार कुछ वर्षों से जन्मदर आई गिरावट की वजह से भारत वर्ष 2023-2024 तक दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा।
बीजिंग। भारत संयुक्त राष्ट्र के अनुमान से पहले ही चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। चीन के विशेषज्ञों के अनुसार संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2027 में भारत के सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनने का अनुमान किया गया था, लेकिन चीन में लगातार कुछ वर्षों से जन्मदर आई गिरावट की वजह से भारत वर्ष 2023-2024 तक दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। संयुक्त राष्ट्र के 2019 के अनुमान के मुताबिक भारत की जनसंख्या में 2050 तक 27.3 करोड़ का इजाफा होगा और वह 2027 तक दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में भारत की जनसंख्या करीब 1.37 अरब जबकि चीन की 1.47 अरब थी।
चीन की ओर से एक दशक में एक बार जारी होने वाली जनगणना रिपोर्ट में बताया गया कि चीन में जनसंख्या दर बहुत धीमी गति से बढ़ रही है। जनसंख्या वृद्धि दर में इस गिरावट से चीन को भविष्य में श्रम संसाधन की कमी जूझना पड़ सकता है और उपभोग स्तर में भी गिरावट आ सकती है। ऐसे में भविष्य में देश के आर्थिक परिदृश्य पर भी इसका असर होगा। चीन की सरकार द्वारा जारी 7वीं राष्ट्रीय जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक सभी 31 प्रांतों, स्वायत्त क्षेत्रों और नगरपालिकाओं को मिलाकर चीन की जनसंख्या 1.41178 अरब हो गई है, जो 2010 के आंकड़ों के मुकाबले 7.2 करोड़ ज्यादा है। आने वाले सालों में चीन की प्रजनन दर में गिरावट की संभावना व्यक्त करते हुए विशेषज्ञों ने पूर्वानुमान जताया कि अपनी ऊंची प्रजनन दर के साथ भारत वर्ष 2023 या 2024 तक चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा।
पेकिंग विश्वविद्यालय में समाज शास्त्र के प्रोफेसर लू जिहुआ ने कहा कि गिरावट से पहले चीन की जनसंख्या वर्ष 2027 तक अपने चरम पर पहुंच सकती है। चीन प्रजनन दर में गिरावट के जोखिम का सामना कर रहा है क्योंकि देश में वर्ष 2020 में एक करोड़ 20 लाख बच्चे पैदा हुए और यह लगातार चौथे साल प्रजनन दर में गिरावट दर्ज की गई। चीन ने जनसंख्या संबंधी संकट को देखते हुए वर्ष 2016 में अपनी वन चाइल्ड पॉलिसी पर रोक लगाते हुए दो बच्चे पैदा करने की अनुमति प्रदान की थी।
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