75 साल बाद भी 80 करोड़ को मुफ्त राशन देने की जरूरत?

75 साल बाद भी 80 करोड़ को मुफ्त राशन देने की जरूरत?

देश की बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है। आजादी से लेकर अब तब देश से गरीबी का उन्मूलन नहीं हो सका है। यह जानकर हैरानी होती है कि 75 साल बाद भी 80 करोड़ जनसंख्या गरीब है। सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के 80 करोड़ गरीबों को दीपावली तक मुफ्त अनाज देगी। 75 वर्षों में ऐसी स्थिति क्यों आई की देश के 80 करोड़ लोगों के लिए दो वक्त के भोजन की व्यवस्था सरकार को करनी पड़ रही है।

@नरेंद्र चौधरी
देश की बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है। आजादी से लेकर अब तब देश से गरीबी का उन्मूलन नहीं हो सका है। यह जानकर हैरानी होती है कि 75 साल बाद भी 80 करोड़ जनसंख्या गरीब है। सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के 80 करोड़ गरीबों को दीपावली तक मुफ्त अनाज देगी। 75 वर्षों में ऐसी स्थिति क्यों आई की देश के 80 करोड़ लोगों के लिए दो वक्त के भोजन की व्यवस्था सरकार को करनी पड़ रही है। इतने वर्षों में गरीबी उन्मूलन के लिए जितना धन खर्च हुआ उसका क्या हुआ? वह धन डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से आयकर दाताओं का ही था। एक ही समस्या के लिए क्या आयकरदाता जिंदगी भर पैसा देते रहेंगे उन्हें क्या हर साल पैसा देना पड़ेगा जबकि गरीबी उन्मूलन आज तक नहीं किया गया। 80 करोड़ गरीब अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं रोटी, कपड़ा और मकान से वर्तमान में भी ऊपर नहीं उठ पाए हैं, इनकी आय का स्तर इतना कम है कि भौतिक आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ है। दो वक्त की रोटी जुटा पाने में इनकी जिंदगी निकल जाती है। उसी में इतने उलझे रहते हैं तो शिक्षित कैसे हो पाएंगे।

जब इतनी आबादी शिक्षित नहीं हो पाएंगी तो देश का विकास कब व कैसे होगा? देश के फैसले में इनकी भागीदारी नहीं हो पाती है। बड़े मुद्दों पर निर्णय लेने में इनकी राय नहीं आ पाती है। ओपिनियन बिल्डिंग में इनका कोई सहयोग ही नहीं है। 80 करोड़ यानी 57 प्रतिशत आबादी की महत्वपूर्ण मुद्दों पर भागीदारी नहीं मिलती, कैसे तरक्की होगी देश में...? यदि 80 करोड़ शिक्षित होंगे तो देश का भविष्य और विकास की दिशा ही बदल जाएगी, क्योंकि यह अपने अधिकारों के बारे में जागरुक हो जाएंगे। अभी ये अपने अधिकारों के बारे में जानते नहीं है। सरकार एजुकेशन के नाम पर एजुकेशन सेस भी ले रही है। वह पैसा  भी कहां जा रहा है? गरीबी उन्मूलन समस्या के लिए बार-बार पैसा लिया जाता है लेकिन आज तक इतनी सरकारें आईं और गईं, किसी का भी यह एजेंडा नहीं रहा कि हम इतने समय अवधि में देश से गरीबी का उन्मूलन कर देंगे। इस बात की आज तक किसी ने गारंटी नहीं दी। यह समस्या सिर्फ अकेले ना तो केंद्र सरकार की है, और ना ही राज्य सरकारों की है। यह सबकी समस्या है। इस पर राज्य व केंद्र सरकार दोनों को मिलकर काम करना चाहिए?

विश्व में बड़े-बड़े अर्थशास्त्री और बुद्धिजीवी हैं। उनसे इस मसले पर चर्चा की जानी चाहिए। वह पूरा प्लान बताएं कि इतनी समय अवधि में संपूर्ण देश से गरीबी उन्मूलन कर दिया जाएगा और उसके लिए इतना धन लगेगा। गरीबी हटाओ का नारा तो 1971 में दिया गया था इसके बावजूद आज भी गरीबी नहीं हटाई जा सकी। गरीबी देश के लिए नुकसानदायक ही है। गरीबी दूर होगी तो अपराध भी घटेंगे। भूख से जब इन्हें निजात मिलेगी तो शिक्षित होने के बारे में सोच पाएंगे क्योंकि भूखे पेट पढ़ाई भी नहीं होती है। भूख ही है जो आपराधिक गतिविधियों के दलदल में धकेलती है। वहीं दूसरी ओर देश की राजनीति भी गरीबों को अशिक्षित और गरीब बनाए रखना चाहती है जिससे राजनीति चलती रहे। जब गरीबी हटेगी और शिक्षा का स्तर बढ़ेगा तो देश उन्नति कर पाएगा। 

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