कंगाली की हालत से गुजर रहे पाकिस्तान को तालिबान ने बड़ा झटका, 30 फीसदी बढ़ाए कोयले के दाम
पाकिस्तान विदेशी मुद्रा की भारी कमी से गुजर रहा
इस्लामाबाद। कंगाली की हालत से गुजर रहे पाकिस्तान को अब दोस्त तालिबान ने बड़ा झटका दिया है। पाकिस्तान की शहबाज सरकार बढ़ती मंहगाई से बचने के लिए अफगानिस्तान से सस्ता कोयला मंगाना चाहती थी। तालिबान को जब पाकिस्तान के इस फैसले की इसकी भनक लगी, उसने अफगानी कोयले के दाम में 30 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है।
इस्लामाबाद। कंगाली की हालत से गुजर रहे पाकिस्तान को अब दोस्त तालिबान ने बड़ा झटका दिया है। पाकिस्तान की शहबाज सरकार बढ़ती मंहगाई से बचने के लिए अफगानिस्तान से सस्ता कोयला मंगाना चाहती थी। तालिबान को जब पाकिस्तान के इस फैसले की इसकी भनक लगी, उसने अफगानी कोयले के दाम में 30 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। तालिबान के इस दांव से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को अब अपने नागरिकों को महंगी बिजली देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। पाकिस्तान में इस भारी बिजली कटौती चल रही है जिससे जनता परेशान है और कई जगहों पर प्रदर्शन हुए हैं। यही वजह है कि पाकिस्तान सरकार अफगानिस्तान से कोयला लेना चाहती थी। अब अफगानिस्तान के वित्त मंत्रालय ने कोयले के दाम को 90 डॉलर प्रति टन से बढ़ाकर 200 डॉलर प्रति टन कर दिया है। अफगान मंत्रालय ने कहा कि दुनियाभर में कोयले के दाम में बढ़ने की वजह से उन्होंने यह दाम बढ़ाया है। उधर, शहबाज शरीफ उम्मीद लगाए बैठे थे कि अफगानिस्तान से सस्ते कोयले के आयात से 2 अरब डॉलर की बचत होगी।
पाकिस्तान विदेशी मुद्रा की भारी कमी से गुजर रहा
पाकिस्तान इस समय कतर के एलएनजी की बढ़ती कीमतों से काफी परेशान है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि उच्च गुणवत्ता वाले इस अफगानी कोयले से न केवल सस्ती बिजली मिलेगी बल्कि देश बहुत जरूरी विदेशी मुद्रा भी बचेगी। पाकिस्तान इन दिनों विदेशी मुद्रा की भारी कमी से गुजर रहा है। शहबाज सरकार ने डॉलर की बजाय पाकिस्तानी रुपए में इस कोयले के आयात को मंजूरी दी थी ताकि सस्ती बिजली पैदा हो सके। शहबाज शरीफ ने कोयले के आयात के लिए एक सिस्टम बनाने का आदेश दिया था। इस बीच तालिबान के मुताबिक कोयले के दाम बढ़ाने का मकसद टैक्स से आय बढ़ाना और देश के लिए राजस्व पैदा करना है। तालिबान ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था इस समय चौपट है और इसकी वजह यह है कि अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मदद मिलनी बंद हो गई है। महत्वपूर्ण बात यह है कि तालिबान की सरकार अपना 30 फीसदी कस्टम ड्यूटी कोयला का निर्यात करके हासिल करती है। तालिबान पर कई प्रतिबंध लगे हैं, इस वजह से वह अब प्राकृतिक संसाधनों की मदद से कमाई बढ़ाना चाहता है।
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