पेट्रोल-डीजल से वैट घटाने के सीएम ने दिए संकेत : कल कैबिनेट में होगा फैसला

पेट्रोल-डीजल से वैट घटाने के सीएम ने दिए संकेत : कल कैबिनेट में होगा फैसला

राज्यों को लेकर मोदी सरकार की नीतियों पर गहलोत ने उठाए सवाल

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को पेट्रोल और डीजल से राज्य सरकार की तरफ से वैट कम करने के संकेत दिए हैं। वैट कम करने का फैसला संभवत: कैबिनेट बैठक में होगा। गहलोत ने केन्द्र सरकार की राज्यों को लेकर जारी नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं। रामनिवास बाग में नेहरू जयंती पर कार्यक्रम में भाग लेने के बाद गहलोत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि संघीय ढांचे में हमारे देश में लोकतंत्र है। उसमें राज्यों को मजबूत करने की बात कही है, क्योंकि गांवों तक विकास राज्यों के माध्यम से होता है। केन्द्र की यह नीति होनी चाहिए कि राज्य सरकारें मजबूत रहें। तब चाहे वो कोरोना का मुकाबला करना हो या विकास की बात हो तभी संभव होगा। एनडीए सरकार उलटा चल रही है। हर बात में हिस्सा राज्य सरकार का बढ़ा देती है। पहले जो केन्द्र प्रवर्तित योजनाएं होती थीं, सभी योजनाओं में केन्द्र और राज्य की 50-50 फीसदी हिस्सेदारी कर दी गई। राज्यों के पास वित्तीय संसाधन बहुत कम होते हैं तथा कोरोना में और बड़ी मार पड़ रही है। अब जल जीवन मिशन है। इसके अंदर बनाई योजना में 45-45 प्रतिशत केन्द्र और राज्य तथा दस प्रतिशत जनता से इकट्ठा करने की बात है। इस कारण हमसे प्रतिनिधिमंडल मिल रहे हैं। हमें इसके संचालन में परेशानी आ रही है। गांव में लोगों से कैसे पैसे लें, यह स्थिति केन्द्र को समझनी चाहिए।

गहलोत कैबिनेट की बैठक कल
 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कैबिनेट बैठक मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित होगी। कैबिनेट बैठक के बाद मंत्री परिषद की बैठक होगी। बैठक में मुख्य मुद्दा पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने का रहेगा। इसके अलावा एजेंडें में कई विकास योजनाओं और सरकार के तीन साल के कार्यकाल के जश्न पर आयोजित कार्यक्रमों पर भी चर्चा होगी।

राज्यपाल ने समझी प्रदेश की परिस्थिति
गहलोत ने कहा कि दिल्ली में राज्यपालों की कान्फ्रेंस में राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजस्थान को लेकर अच्छा पक्ष रखा। भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान दूसरे राज्यों से अलग है। यहां एक गांव से दूसरे गांव के बीच की दूरियां बहुत है। पानी को लेकर यहां सदियों से तकलीफें रही हैं, लोग पानी के लिए तरसते रहे हैं। उस राज्य के अंदर घर-घर जल पहुंचाना है। यूपी में पास-पास गांव हैं, लेकिन राजस्थान में गांवों के बीच में आठ से 15 किमी तक दूरियां हैं। ढाणियां तो और भी दूर हैं। इसलिए यहां पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क आदि की अन्य राज्यों के मुकाबले में सर्विस डिलीवरी की कीमत ज्यादा पड़ती है। ऐसे हालातों को देखते हुए केन्द्र को यहां प्राथमिकता देनी चाहिए। पिछले कई सालों से विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर केन्द्र ध्यान नहीं दे रहा। राज्यपाल ने राजस्थान की स्थिति देखने के बाद अपनी दिल की बात कही। मुझे उम्मीद है कि केन्द्र सरकार पर इसका असर पड़ेगा और जरूर राज्यहित में वे निर्णय लेंगे।

केन्द्र की नीतियां खराब : गहलोत
गहलोत ने कहा कि पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों में केन्द्र की नीति बहुत खराब रही है। रोज दाम बढ़ाते गए। पहले 25-30 रुपए बढ़ा दिए और अब 5-10 रुपए कम कर रहे हैं।  अकेले 2020 में 15-20 रुपए बढ़ा दिए। मैं पहले भी कह चुका हूं कि जितना वे कम करते हैं, उस हिसाब से खुद ही राज्य सरकारों का हिस्सा वैट और टैक्स कम हो जाता है। केन्द्र के कम करने से हमें राजस्व कम मिलेगा। जनवरी में हमने दो प्रतिशत कम किया तो हमें एक हजार करोड़ रुपए की राजस्व हानि हुई। अब हमने मांग की है कि केन्द्र 10-15 रुपए कम कर दे। केन्द्र कम करेगी तो हमारे 3500 करोड़ रुपए कम होंगे, लेकिन जनता के हित के लिए हमें मंजूर है। जनहित में मंहगाई कम होनी चाहिए। दामों में कमी के लिए राज्यों में प्रतियोगिता चल रही है। कोई दो रुपए तो कोई पांच-सात रुपए कम कर रही है। फिर भी हमने तय किया है कि हम एक दो दिन में कैबिनेट बैठक बुला रहे हैं। कैबिनेट और मंत्रिपरिषद बैठक में विचार विमर्श के बाद कोई फैसला लेंगे। 

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