बढ़ती आबादी भी भ्रष्टाचार की जिम्मेदार है...?

बढ़ती आबादी भी भ्रष्टाचार की जिम्मेदार है...?

देश में समस्याओं के दो ही कारण है, जनसंख्या और भ्रष्टाचार। बेतहाशा बढ़ती आबादी का असर हर चीज पर पड़ता है। जिस रफ्तार से जनसंख्या बढ़ रही है, संसाधन घटते जा रहे है।

 कोटा। देश में समस्याओं के दो ही कारण है, जनसंख्या और भ्रष्टाचार। बेतहाशा बढ़ती आबादी का असर हर चीज पर पड़ता है। जिस रफ्तार से जनसंख्या बढ़ रही है, संसाधन घटते जा रहे है। इसका असर खाने- पीने की वस्तुओं , दवाइयों, बेरोजगारी, फल-सब्जियों,दूध, पानी, बिजली, आवास जैसी जरूरी चीजों की उपलब्धता पर पड़ता है। जब यह सब जनता को उपलब्ध नहीं होता, तब भ्रष्टाचार बढ़ता है। इसका असर देश के विकास की राह पर पड़ता है। भ्रष्टाचार से सृजनात्मकता खत्म हो जाती है। अपराध बढ़ते है। रोजगार के अवसर तेजी से गिरते जाते है। योग्य लोगों की काबिलियत पर असर पड़ता है। बढ़ती आबादी, बेरोजगारी की समस्या सीधे तौर पर, भ्रष्टाचार से जुड़ी हुई है। आईआईटी, नीट, रीट, पटवारी, आरएएस की परीक्षाएं हो या अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं इनमें प्रवेश के लिए सीट सीमित होती है। लेकिन इन परीक्षाओं में बैठने वाले  प्रतियोगियों की संख्या लाखों में होती है। नतीजा यह होता है कि फर्जी तरीके अपनाकर सीट की जोड़ तोड़ करते है। किसी भी काम को करवाना हो रिश्वत, चुनावों में धांधली, टैक्स चोरी, परीक्षार्थियों का गलत मूल्यांकन, पैसे लेकर वोट देना, यह सब भ्रष्टाचार ही है। 

भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी मजबूत हो चुकी है कि कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है। जनसंख्या जैसे-जैसे बढ़ेगी चीजों की डिमांड बढ़ती जाएगी,  उसके अनुरूप सप्लाई कम होती जाएगी। खाद्य पदार्थों में मिलावट, सिंथेटिक दूध, फल-सब्जियों की जल्दी पैदावार के लिए पेस्टीसाइड का छिड़काव करना। फसलों की उपज बढ़ाने के लिए खेतों में ज्यादा कीटनाशक डालने से भूमि का बंजर होना । खाद्य-पदार्थों में मिलावट स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है इनके  सेवन से कैंसर, अस्थमा, अल्सर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती है। पानी का दोहन जिस तरह से  हो रहा है वर्ष 2030 तक पीने का पानी खत्म हो जाएगा। पीने के पानी के लिए मारामारी शुरू हो जाएगी। सरकार संसाधनों को एक सीमा तक ही बढ़ा सकती है। जनसंख्या वृद्धि से शत-प्रतिशत भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा? इससे देश के आर्थिक विकास की गति प्रभावित होती है। 
बढ़ती आबादी और भ्रष्टाचार इन दोनों से लड़ना चुनौती बन गया है। भ्रष्टाचार की समस्या इतनी उग्र है कि हर व्यक्ति इससे त्रस्त है। जनसंख्या बढ़ेगी तो लोगों का ना तो जीवन स्तर सुधरेगा, ना ही शिक्षा मिलेगी और ना ही रोजगार उपलब्ध होगा।  दुनियाभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए 9 दिसंबर को अंतरराष्टÑीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर दैनिक नवज्योति ने शहरवासियों के सामने एक प्रश्न रखा कि क्या जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ भ्रष्टाचार भी  बढ़ता है?
 
  जनसंख्या बढ़ेगी तो पूरी सुविधाएं नहीं मिलेगी इससे समस्याएं हो जाती है और लोग गलत तरीके से इस्तेमाल करेंगे। यदि अच्छी शिक्षा देंगे अच्छे संस्कार लेंगे तो करप्शन नहीं बढ़ेगा, अच्छी सुविधाएं, अच्छा मार्गदर्शन नहीं मिलेगा, अच्छा एनवायरमेंट नहीं मिलेगा तब वह गलत रास्ता अपना लें। अगर पूरी कम्यूनिटी उस पॉपुलेशन पर ध्यान देगी तो सब अच्छे से ग्रो करेंगे।  हमारे यहां पॉपुलेशन ज्यादा होने से अच्छी एज्युकेशन नहीं मिल रही है। दूसरी बात मार्डनाइजेशन हो रहा है हर व्यक्ति को कार व सभी सुविधाएं चाहिए। एक्सपेक्टेशन बढ़ जाती है तो समस्या होती है। हम सिर्फ पॉपुलेशन को ही नहीं कह सकते करप्शन बढ़ने के कई सारे फैक्टर्स है।
- डॉ. आरके अग्रवाल, डायरेक्टर,सुधा हॉस्पिटल 
 
जनसंख्या जब बढ़ती है तो सरकार के सामने चुनौती तो होती है। जनसंख्या जैसे बढ़ेगी शिक्षा की व्यवस्था करना और भी बहुत दैनिक आवश्यकताएं होती है जिनकी पूर्ति करनी होती है। जब बच्चा बड़ा होता है तो रोजगार की समस्या आती है। सरकार को रोजगार भी मुहैया करवाना है। कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार की संभावनाएं इसलिए है क्योंकि जनसंख्या बढ़ेगी तो कहीं न कहीं स्थितियां विस्फोटक होती है। शिक्षा रोजगार स्वास्थ्य आदि सुविधाएं सभी को नहीं मिल पाती।
- हनुमान सिंह तंवर, फाउंडर एवं डायरेक्टर,एक्सीलेंट लॉ कॉलेज
 
जनसंख्या बढ़ने के साथ साथ बिल्कुल भ्रष्टाचार बढेÞगा। अभी इतनी जनसंख्या है, उसमें ही देखें भ्रष्टाचार कम नहीं है। यह तो बिल्कुल बढ़ेगा। जनसंख्या नियंत्रण का बिल आ रहा है केन्द्र सरकार को नियम बनाना चाहिए। रोजगार के सोर्स नहीं हैं व्यक्ति अपने हिसाब से रोजी-रोटी चलाने के लिए कुछ तो करेगा, ऐसे में भ्रष्टाचार बढेÞगा।
- विजय पंडित, राष्टÑीय सचिव, मानवाधिकार एंड एंटीकरप्शन मिशन
 
जनसंख्या का अधिक होना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। यदि संसाधन जिसमें रोटी,कपड़ा,मकान से लेकर शिक्षा, चिकित्सा व नौकरी तक शामिल हैं, उस अनुपात में नहीं बढ़ रहें जैसे कि जनसंख्या तो ऐसी स्थिति में भ्रष्टाचार बढ़ता है । क्योंकि सीमित संसाधनों में से ज्यादा से ज्यादा हासिल करने के लिए लोग भ्रष्ट आचरण अपनाते हैं। एक तरह से जिनके पास पैसा और पावर है गलत इस्तेमाल से सब हासिल करने की कोशिश करता है और जिनके पास पैसा और पावर नहीं है वह चोरी और दूसरे गलत तरीके से ये सब हासिल करने की कोशिश करता है। इसका सबसे ताजा उदाहरण है भर्ती परीक्षाओं में नकल और पेपर आउट होना। नौकरियां सीमित है, लेकिन चाहिए तो सबको। इसलिए नौकरी हथियाने की कोशिश में कहीं नकल होता है तो कहीं पेपर आउट। अगर जनसंख्या भी सीमित हो तो यही संसाधन सभी को आसानी से बिना किसी भ्रष्ट आचरण के इस्तेमाल के भी उपलब्ध होंगे।
-डॉ. पूनम जायसवाल, सहायक आचार्य, वनस्पति शास्त्र , जेडीबी राज. कन्या महाविद्यालय, कोटा
 
वर्ल्डवाइड अगर आंकड़ें देखें तो उसमें भ्रष्टाचार और जनसंख्या का कोई को-रिलेशन नहीं है। जो को-रिलेशन होता है वह विकसित, अल्पविकसित और विकासशील देश का बनता है। विकासशील और अल्पविकसित देश में भ्रष्टाचार ज्यादा होता है। चाहे जनसंख्या ज्यादा हो या कम हो। ऐसे कोई आंकड़ें उपलब्ध नहीं है कि पॉपुलेशन ज्यादा होगी तो भ्रष्टाचार ज्यादा हो जाएगा। अल्पविकसित और विकासशील देशों में भ्रष्टाचार ज्यादा देखा जा रहा है। विकसित देश बड़ा है जैसे अमेरिका वहां करप्शन कम है। इसका मतलब है भ्रष्टाचार और पॉपुलेशन में कोई सह-संबंध नहीं है। जिस देश में प्रशासनिक लागते कम रखी जाए तो फायदे मिलते है और भ्रष्टाचार कम होता है पॉपुलेशन के संदर्भ  में फिर वह चाहे बड़ा हो या छोटा हो। पॉपुलेशन ग्रोथ के साथ में अगर हमारे पास कोई डाटा है जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में भ्रष्टाचार के मामले बढ़ें है तो कह सकते है कि पॉपुलेशन के कारण भ्रष्टाचार बढ़ा है। लेकिन ऐसा कोई डाटा नहीं है। डेमोक्रेसी जैसे- जैसे वाइब्रेंट होता है इसमें जनसंख्या से ज्यादा जरूरी हैं लोकतंत्र किस तरह से डवलप हुआ है। अगर वह ज्यादा ग्रेंड स्प्रेंट हो उसमें ज्यादा वाइब्रेन्सी हो तो निश्चित रूप से भ्रष्टाचार कम होना चाहिए। देश में अब लग रहा है कि भ्रष्टाचार के मामले बढ़ गए है क्योंकि रिपोर्टिंग भी बहुत ज्यादा हो रही है। सरकारी एजेंसी जो करप्शन फाइट करती है उनके पास ज्यादा मामले आ रहे है। जब से देश आजाद हुआ उसके बाद से। एक समाज के रूप में ज्यादा भ्रष्ट हो गए है? ये कैसे कहेंगें जो वर्ल्डवाइड डेटा है उसमें तो यही कहा जा रहा है जहां पर प्रजातंत्र ज्यादा पारदर्शी है, जहां पर डेमोक्रेसी के एडमिनिस्ट्रेटिव कॉस्ट बहुत कम है वहां पर भ्रष्टाचार कम है। पॉपुलेशन से कोई लेना-देना नहीं है।
-डॉ. अमिताव बासु, एसोसिएट प्रोफेसर, इकोनॉमिक्स, गवर्नमेंट आर्टस कॉलेज,कोटा
 
जनसंख्या बढ़ने के साथ भ्रष्टाचार बढ़ता है ऐसा नहीं है। जनसंख्या से भ्रष्टाचार का कोई संबंध नहीं है। भ्रष्टाचार का रिलेशन है कि हम कितने जागरूक है। अभी हम रास्ते ढूंढ़ते है कि ये करें या ये करें। जैसे जैसे कानून आते जा रहे हैं थोड़ी स्ट्रिजेंसी होती जा रही है। टैक्सेशन की रेट कम होती जाएगी। अगर हमारी अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार नहीं होगा तो रोजगार अपने आप जनरेट होगा। इकोनॉमी के साथ टैक्सेशन प्रॉपर रहेगा। अपने आय ही सोशल डवलमेंट की तरफ ज्यादा जाएगा। जॉब अपने आप क्रिएट होंगे। अभी अमीर आदमी अमीर बनता जा रहा है गरीब-गरीब ही बनता जा रहा है। मेरे विचार से जनसंख्या से भ्रष्टाचार का कोई लेना देना है, अगर लेना देना है तो हमारी विचारधारा से है हर व्यक्ति ईमानदारी से टैक्स पे करने लग जाए तो धीरे-धीरे इकोनॉमी में अपने आप ही टैक्सेशन आ जाएगा। जब टैक्स चोरी होती है तो वह डेवलपमेंट में काम ही नहीं आता है। टैक्स चोरी ना करके टैक्स प्लानिंग करनी चाहिए। जिससे इकोनॉमी का पैसा वाइट इकोनॉमी में रहे और वह सोशल डेलपमेंट में काम आए और रोजगार सृजन में काम आए।
- निमिषा मेघवानी, सीए  
 



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