दोस्ती वाला प्यार या प्यार वाली चाहत, इश्क की अपनी चाल है, अब बर्बाद हो या आबाद किस्मत की बात है

फिल्म समीक्षा : आल मोस्ट प्यार विद डीजे मोहब्बत

दोस्ती वाला प्यार या प्यार वाली चाहत, इश्क की अपनी चाल है, अब बर्बाद हो या आबाद किस्मत की बात है

फिल्म की कहानी दो परिवेश में समांतर चलती है और लगभग एक जैसी हैं, लेकिन इनके बीच का कॉमन फैक्टर हैं डीजे मोहब्बत (विक्की कौशल),जो इन दोनों कहानियों को जोड़ता है। डीजे मोहब्बत लंदन का मशहूर डीजे है और चंबा में कॉन्सर्ट करने आने वाला है।

जयपुर। प्यार का कोई रंग नहीं होता, लेकिन सबसे गहरा यही रंग चढ़ता है। जब इस प्यार को ग्रे शेड में डाल के दो समांतर कहानियों को एक ही धागे में पिरोया जाए तो फिल्म बनती आलमोस्ट लव विथ डीजे मोहब्बत। हर मजहब प्यार करना सिखाता है फिर हिंदू हो या मुस्लिम या फिर सरहद के पार का, प्यार फर्क नहीं देखता । फिल्म की कहानी दो परिवेश में समांतर चलती है और लगभग एक जैसी हैं, लेकिन इनके बीच का कॉमन फैक्टर हैं डीजे मोहब्बत (विक्की कौशल),जो इन दोनों कहानियों को जोड़ता है। डीजे मोहब्बत लंदन का मशहूर डीजे है और चंबा में कॉन्सर्ट करने आने वाला है।

पहली कहानी डलहौजी में रहने वाली सोलह साल की अमृता की है, जो स्कूल में पढ़ती है और डीजे मोहब्बत के गानों और ख्यालों से इश्क करती है। उसे किसी भी कीमत पर डीजे मोहब्बत के कॉन्सर्ट में जाना है, इसलिए वह 21साल के याकूब के साथ घर से भाग जाती है और इस बात से अनजान है की उसकी मासूमियत समाज में लव जेहाद का रूप ले लेगी । वहीं दूसरी कहानी लंदन में रहने वाली रईस बाप की बेटी आयशा (अलाया एफ) की है। एक रात वह वहां के पब के डीजे हरमीत (करण मेहरा) को दिल दे बैठती है। हरमीत अपने करियर पर फोकस करना चाहता है, मगर आयशा का एकतरफा प्यार उसे अपनी गिरफ्त में ले लेता है। आयशा हरमीत को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है बिना ये जाने की उसका झूठ उसे किस अंजाम तक ले जाएगा। क्या होगा अनचाहे इश्क का अंजाम । क्या इस इश्क की कोई मंजिल है। क्या दोनों जोड़े आपस में टकराएंगे । क्या डीजे मोहब्बत इन्हें मिलाएगा या फिर ये इश्क की कहानी अधूरी रहेगी। कथा रोचक है, जो आज के परिवेश में इश्क की मासूमियत को भी ग्रे शेड में दिखाती है। पटकथा लचर है, दो अलग कहानियों को एक जैसे किरदारों से जोड़ना कन्फ्यूजन पैदा करता है। 
अमृता, आयशा हमशक्ल हैं, तो वहीं याकूब और हरमीत की सूरतें एक जैसी, ये तजुर्बा काम नहीं करता । प्यार में केमिस्ट्री मायने रखती है और यहां वही मिसिंग है। निर्देशक अनुराग कहानी को इटेंस इफेक्ट देते हैं, लेकिन वो इंपैक्ट नहीं डाल पाते जो फिल्म को अलग मायने दे। वहीं समाज की सोच और इश्क की बगावत का घिसापिटा फॉर्मूला  दर्शकों को कनेक्ट नहीं करता । अभिनय में विक्की कौशल अपनी भूमिका में फबते है, लेकिन आलिया एफ का अभिनय अब भी निखर नहीं पाया है । करण मेहरा अपने रोल में अच्छे लगते हैं, अन्य कलाकार भी अच्छे हैं। सिनेमेटोग्राफी अच्छी है। एडिटिंग ठीक है, लेकिन फिल्म का मजबूत पक्ष अमित त्रिवेदी का संगीत है जो इश्क के समुंद्र में गोते लगवाता है। बहरहाल फिल्म डीजे मोहब्बत इश्क को अलग अंदाज में पेश करती है। अब दर्शकों पर है, वो इस डीजे से मोहब्बत करते हंै या नहीं।
    -@दानिश राही

Tags: cinema

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