वन क्षेत्र में होने के कारण चश्‍मा-ए-नूर स्मारक में विकास कार्यों की अनुमति नहीं: मंत्री विश्वेन्द्र सिंह

सिंह ने प्रश्नकाल के दौरान दिया सवाल का जवाब

वन क्षेत्र में होने के कारण चश्‍मा-ए-नूर स्मारक में विकास कार्यों की अनुमति नहीं: मंत्री विश्वेन्द्र सिंह

पर्यटन मंत्री ने कहा कि अजमेर स्थित चश्‍मा-ए-नूर (हैप्‍पीवेली) संरक्षित स्‍मारक मुगलकालीन अवशेष हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि वहां विकास कार्यों के लिए राज्य सरकार द्वारा वन विभाग को पुनः पत्र लिखकर समाधान का प्रयास किया जाएगा।

जयपुर। पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि अजमेर स्थित चश्‍मा-ए-नूर (हैप्‍पीवेली) संरक्षित स्‍मारक वन क्षेत्र में स्थित होने के कारण वहां विकास कार्यों के लिए अनुमति प्राप्त नहीं है।

सिंह ने प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में सदस्य द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि अजमेर स्थित चश्‍मा-ए-नूर (हैप्‍पीवेली) संरक्षित स्‍मारक मुगलकालीन अवशेष हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि वहां विकास कार्यों के लिए राज्य सरकार द्वारा वन विभाग को पुनः पत्र लिखकर समाधान का प्रयास किया जाएगा।

इससे पहले पर्यटन मंत्री ने विधायक अनिता भदेल के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि चश्‍मा-ए-नूर (हैप्‍पीवेली) संरक्षित स्‍मारक को पर्यटक स्‍थल के रूप में विकसित किए जाने हेतु साल 2017 में 50 लाख रूपए का प्रोजेक्‍ट स्‍वीकृत किया गया था। उन्होंने कहा कि उक्‍त स्‍मारक वन क्षेत्र में स्थित है। वन विभाग के स्‍तर से विकास कार्यों हेतु अनापत्ति नहीं देने के बाद 23 फरवरी, 2018 को उक्‍त कार्य हेतु जारी प्रशासनिक व वित्‍तीय स्‍वीकृति सक्षम अनुमोदन के बाद निरस्‍त कर दी गयी है, इसलिए राशि खर्च नहीं की जा सकी।

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