दुर्घटना में पैर गंवाया, लेकिन जोश अभी भी शिखर पर

पैदल सफर पर निकला तो दोस्त भी साथ हो लिए

दुर्घटना में पैर गंवाया, लेकिन जोश अभी भी शिखर पर

दोस्त छंदन ने हौंसला दिया कि पैर गंवाने के बाद जिंदगी खत्म नहीं होती। पैदल सफर का प्लान बनाया तो घरवालों ने अनुमति नहीं दी।

नवज्योति, जयपुर। दुर्घटना में बायां पैर गवां दिया। सोचा आगे क्या करूंगा। दोस्तों और घरवालों ने सपोर्ट किया। इसके बाद मैंने बैंगलूरू से लद्दाख तक पैदल सफर करने की ठानी, ताकि मेरे जैसे दूसरे विशेष योग्यजनों को संदेश दे सकूं कि आप भी ऐसा कर सकते हैं। यह कहना था बैंगलूरू से पैदल निकले गगन एसबी का। जो अपने दोस्त छंदन कुमार एनजी के साथ सोमवार को 1900 किमी से अधिक का सफर कर हवामहल स्मारक पहुंचे। गगन ने बताया कि यहां तक पहुंचने के लिए ज्यादातर पैदल ही चले हैं। अगर कोई लिफ्ट देता है तो मना नहीं करते। रात में पेट्रोल पम्प या अन्य जगहों पर टैंट लगाकर समय गुजारते हैं। दोस्त छंदन ने हौंसला दिया कि पैर गंवाने के बाद जिंदगी खत्म नहीं होती। पैदल सफर का प्लान बनाया तो घरवालों ने अनुमति नहीं दी। 30 किमी पैदल चला, तब उन्हें विश्वास हुआ और मुझे जाने की अनुमति दी। पिताजी डिलिवरी कम्पनी में काम करते हैं। माताजी हाउस वाइफ है। जब से पैदल सफर पर निकला हूं, माताजी रोज दिन में तीन बार कॉल कर हाल-चाल पूछती है।

विशेष योग्यजनों को कहना चाहता हूं कि कमी को कमजोरी ना बनने दें। हौंसलों के साथ आगे बढ़े। अब यहां से आगरा, दिल्ली, मनाली, शिमला और लेह-लद्दाख के लिए निकलेंगे। हवामहल स्माकर पहुंचा तो अधीक्षक मैडम और स्टाफ ने सहयोग दिया।

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