प्रकृति से जितना जल लें, उतना करे संरक्षण : मीना

संरक्षण करके प्रकति को वापस लौटाएं

प्रकृति से जितना जल लें, उतना करे संरक्षण : मीना

मीना विश्व जल दिवस पर बुधवार को जेकेके में राज्य स्तरीय कार्यक्रम में राजीव गांधी जल संचय योजना (आरजीजेएसवाई) के दूसरे चरण का शुभारम्भ करने के बाद राज्य भर से आए जलग्रहण समितियों के प्रतिनिधियों, विभागीय अधिकारियों, ग्रामीणों को सम्बोधित कर रहे थे।

जयपुर। पंचायती राज मंत्री रमेशचंद मीना ने कहा है कि प्रकति में जल सीमित है। हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम प्रकति से जितना जल अपने उपयोग के लिए लें, उतना ही संरक्षण करके प्रकति को वापस लौटाएं। मीना विश्व जल दिवस पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम में राजीव गांधी जल संचय योजना (आरजीजेएसवाई) के दूसरे चरण का शुभारम्भ करने के बाद राज्य भर से आए जलग्रहण समितियों के प्रतिनिधियों, विभागीय अधिकारियों, ग्रामीणों को सम्बोधित कर रहे थे। मीना ने ग्रामीणों को नदियों की सेंटर लाइन तय करने, लुप्त हो चुकी नदियों के पुनर्जीवन के लिए प्रयास करने, पौधे लगाने, खेती के लिए जैविक खाद का उपयोग करने, रास्तों से अतिक्रमण हटाकर जलाशयों में पानी की पहुंच सुनिश्चित करने में सहयोग के लिए कहा। मीना ने सोशल मीडिया के साथ ही जलग्रहण क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए जिला स्तर, ब्लॉक स्तर, परियोजना स्तर और ग्राम पंचायत स्तर पर पुरस्कार प्रदान किए गए। 

एसीएस अभय कुमार ने कहा कि जलग्रहण क्षेत्र विकास के अधिकतर कार्यों को आजीविका से जोड़ा जाएगा। सचिव नवीन जैन ने कहा कि जल संरक्षण की शुरुआत खुद के घर से होती है। योजना में आगामी वर्ष में 2600 करोड़ की लागत से दो लाख जल संग्रहण एवं संरक्षण के कार्य करवाकर एवं 2000 हैक्टेयर बंजर भूमि में चारागाह और उद्यानिकी के कार्य किए जाएंगे। 

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