Women Reservation Bill: राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने बिल के देरी से लागू होने पर उठाए सवाल, 2029 तक करना पड़ेगा महिलाओं को इंतजार
क्या ये आरक्षण केवल एक चुनावी झुनझुना है? - रंजीता रंजन
रंजीता रंजन ने सरकार को घेरते हुए कहा कि आप महिला अधिकारों की बात करते हैं लेकिन नए संसद भवन के उद्घाटन में आपने राष्ट्रपति मुर्मू को नहीं बुलाया।
नई दिल्ली। राज्यसभा में गुरुवार को महिला आरक्षण बिल पर चर्चा हुई। बिल पर बोलते हुए कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन ने सरकार को घेरते हुए कहा कि आप महिला अधिकारों की बात करते हैं लेकिन नए संसद भवन के उद्घाटन में आपने राष्ट्रपति मुर्मू को नहीं बुलाया। रंजीता ने परिसीमन और जनगणना कराने के बाद ही आरक्षण लागू होने की बात पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि आरक्षण लागू करने में ये बाधा क्यों रखी गई है? क्या ये आरक्षण केवल एक चुनावी झुनझुना है?
इससे पहले कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल को पेश किया। उन्होंने इसे बड़ा कदम करार देते हुए कहा कि आयोग इस बात का फैसला करेगा कि कौन सी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएगी।
आज बिल पास नहीं हुआ तो 2029 में भी नहीं चुनी जाएगी 33% महिलाएं: जेपी नड्डा
बीजेपी सांसद जेपी नड्डा ने चर्चा के दौरान कहा कि मैं बीते 9 साल में महिलाओं के लिए किए गए कामों के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं का बड़ा स्थान रहा है। हमने नारी को देवी के रूप में देखा है। कई ऐसे देश हैं जहां महिलाओं को वोट देने के अधिकार के लिए लंबा संघर्ष हुआ है। हमने हमेशा स्त्रियों को सम्मान दिया। हमारा नजरिया कभी अबला नारी जैसा नहीं रहा। नड्डा ने कहा कि रिसर्च में कहा गया है कि महिलाओं के भीतर फैसले लेने की क्षमता ज्यादा होती है।
नड़्डा ने कहा कि अगर आज बिल पास हो गया तो साल 2029 में 33% महिलाएं सांसद चुनी जाएगी। आज बिल पास नहीं हुआ तो 2029 में भी ऐसा नहीं हो पाएगा। ओबीसी महिलाओं को आरक्षण देने की मांग के संदर्भ में नड्डा ने कहा कि कांग्रेस के पास कुल जितने सांसद हैं उससे ज्यादा तो हमारे ओबीसी सांसद हैं। आप ओबीसी को गाली देते हैं और माफी नहीं मांगते हो। हमारी पार्टी ने देश को पहला ओबीसी पीएम दिया।
सरकार अभी मौजूदा 545 सांसदों पर क्यों नहीं लागू करती बिल, सरकार केवल क्रेडिट लेना चाहती है: संदीप कुमार पाठक
आप के राज्यसभा सांसद संदीप कुमार पाठक ने कहा कि ये बिल महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला है। ये रिजर्वेशन देने वाला नहीं बल्कि रिजर्वेशन लेने वाला बिल है। उन्होंने कहा कि पहले जनगणना होगी और फिर परिसीमन होगा। ऐसे में महिला आरक्षण बिल के भविष्य का कोई अंदाजा नहीं है। इस बिल को लोकसभा में मौजूदा 545 सांसदों पर क्यों नहीं लागू कर देते। संदीप ने कहा कि सरकार इस बिल को लागू करना नहीं चाहती केवल क्रेडिट लेना चाहती है।
पुरानी संसद में कोई वास्तु दोष था क्या जो बिल लाने में इतना टाइम लग गया: केसी वेणुगोपाल
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने मोदी सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि आप 9 साल से सरकार में हो फिर इस बिल को लाने में इतनी देर क्यों कर दी? क्या पुरानी संसद में कोई वास्तु दोष था? वेणुगोपाल ने कहा कि महिला आरक्षण को लेकर यह सरकार गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पूर्व नेता महिलाओं को आरक्षण देने का विरोध करते रहे हैं। कांग्रेस ने स्थानीय स्वशासन संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण देकर उन्हें मजबूती दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार आम जनता की समस्याओं को लेकर गंभीर रही है। मनरेगा इसका जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने महिलाओं को सही मायने में सशक्तिकरण किया है। भाजपा चुनावी हथकंडा के रूप में महिला आरक्षण विधेयक का प्रयोग कर रही है। अगर सरकार वास्तव में महिलाओं की हितैषी है तो उसे ओबीसी वर्ग की महिलाओं को भी आरक्षण देना चाहिए। सरकार को जातिगत जनगणना करानी चाहिए।
मनोज झा ने कहा 33% ही क्यों 50 या 55% क्यों नहीं
आरजेडी सांसद मनोज झा ने बिल पर अपनी बात रखते हुए कहा कि एससी और एसटी के लिए पहले से ही सीटें कम है। उन्हीं सीटों में से महिलाओं को आरक्षण देने से उनकी सीटें और कम हो जाएगी। मनोज झा ने कोटे के भीतर कोटा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि 180 सीटों में से ही एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण केवल 33% ही क्यों दिया जा रहा है, 50 या 55% क्यों नहीं?
चुनाव को देखकर विधेयक लाई है सरकार: इलामारम करीम
इलामारम करीम ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव को देखकर यह विधेयक लाई है। कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में मिली हार के साथ ही दिल्ली नगर निगम चुनाव में मिली पराजय से उबरने के लिए सरकार यह विधेयक लेकर आई है।
सरकार को केवल वादे करने का शौक है, उन्हें पूरा करने का नहीं: डोला सेन
तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह विधेयक बुधवार को लोकसभा ने पास किया और गुरूवार को राज्यसभा में पेश कर दिया गया इससे लगता है कि यह केवल चुनाव को ध्यान में रखकर लाया गया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक का लाभ 2029 में महिलाओं को मिलने की बात कही जा रही है इससे लगता है कि यह खोखला वादा भी साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने जिस तरह से कृषि कानूनों को वापस लिया था ऐसा लगता है कि बाद में इस विधेयक का भी यही हश्र न हो। उन्होंने कहा कि इस सरकार को केवल वादे करने का शौक है और उन्हें पूरा करने का नहीं।
महिलाओं को 2029 में मिलेगा लाभ, यह बहुत लंबा इंतजार: कनिमोझी
द्रमुक की कनिमोझी ने कहा कि सरकार ने अनेक विवादास्पद विधेयक पारित किए लेकिन यह महिला आरक्षण विधेयक से बचती रही और अब चुनावी फायदे के लिए यह विधेयक लेकर आयी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विधेयक के लिए जरूरी तैयारी नहीं की और इसे अधिक बेहतर बनाया जा सकता था। विधेयक का लाभ महिलाओं को 2029 में मिलने की बात का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह बहुत लंबा इंतजार हो जायेगा। ऐसा लगता है कि सरकार लोगों को भ्रमित कर रही है।
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