दक्षिण निगम ने मेले का बजट देने से हाथ झाड़े

बोर्ड बैठक में होगा निर्णय

दक्षिण निगम ने मेले का बजट देने से हाथ झाड़े

मेले का पूरा खर्च व भुगतान संचंधी कार्य कोटा उत्तर निगम करेगा।

कोटा। नगर निगम की ओर से अगले महीने आयोजित होने वाले 130 वें राष्ट्रीय दशहरा मेले की शुरुआत से पहले ही दोनों नगर निगमों में टकराव की स्थिति बनने लगी है। कोटा उत्तर निगम दक्षिण निगम से मेले की आधी राशि लेना चाहता है जबकि कोटा दक्षिण निगम यह राशि देने को सहमत ही नहीं है। 

दशहरा मेले के लिए पूर्व में 8 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित था। जिसमें से दोनों नगर निगमों को आधा-आधा खर्चा करना था। पिछली बार ऐसा ही हुआ था। साथ ही पूरा खर्चा नगर निगम दक्षिण ने किया था। लेकिन इस बार मेला समिति की पहली बैठक में बजट खर्च करने का अधिकार कोटा उत्तर निगम ने अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया। साथ ही यह भी निर्णय किया कि कोटा दक्षिण से 4 करोड़ रुपए कोटा दक्षिण निगम लेगा। मेले का पूरा खर्च व भुगतान संचंधी कार्य कोटा उत्तर निगम करेगा। नगर निगम कोटा उत्तर की शुक्रवार को हुई बोर्ड बैठक में मेले का बजट 10 करोड़ कर दिया गया। साथ ही कोटा दक्षिण निगम से 5 करोड़ रुपए लेने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया।  इस संबंध में यह भी तय किया गया कि कोटा दक्षिण निगम के महापौर व पार्षदों से बात की जाएगी। इस बारे में नगर निगम कोटा दक्षिण के नेता प्रतिपक्ष व मेला समिति के सदस्य विवेक राजवंशी का कहना है कि मेला समिति कोटा दक्षिण निगम की है। समिति का सचिव व मेला अधिकारी भी कोटा दक्षिण निगम के ही होंगे। कोटा उत्तर का मेला अधिकारी गलत बनाया गया है। साथ ही उन्होंने बजट को लेकर कहा कि यह संभव नहीं है। कोटा दक्षिण निगम उत्तर को बजट नहीं देगा। इसका निर्णय कार्यकार समिति या कोटा दक्षिण की बोर्ड बैठक में किया जाएगा। मेला समियि या कोटा उत्तर निगम बोर्ड को मेले की वित्तीय पावर ही नहीं है। कोटा उत्तर निगम की ओर से इस संबंध में पत्र कोटा दक्षिण को दिया जाए। उसे बोर्ड बैठक में रखकर ही निर्णय होगा। 

इधर कोटा दक्षिण के महापौर व मेला समिति के सदस्य राजीव अग्रवाल का कहना है कि मेले का बजट उत्तर को देना नहीं देना उनके हाथ में नहीं है। यदि नियमानुसार ऐसा हो सकता होगा तो करेंगे।  मेले के पिछली साल भुगतान में देरी के आरोप पर महापौर ने कहा कि भुगतान देरी से करने में निगम के जिस अधिकारी या कर्मचारी की गलती रही है उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। गौरतलब है कि कोटा दक्षिण के पार्षद पूर्व में ही इस निर्णय का विरोध कर चुके है। पार्षदों द्वारा कोटा उत्तर निगम को बजट ट्रांसफर नहीं करने का निर्णय किया गया था। 

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